बिहार में किशनगंज ज़िले की मेची नदी पर बन रहे पुल का एक हिस्सा बीते 24 जून को ढह गया था. इस पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाया जा रहा था. इससे पहले बीते 4 जून को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.
नई दिल्ली: बिहार में गंगा नदी पर बने एक पुल के ढहने और राज्य सरकार की आलोचना के बमुश्किल तीन हफ्ते बाद किशनगंज जिले में मेची नदी पर बन रहे एक और पुल का एक हिस्सा शनिवार (24 जून) को ढह गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुल को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा बनाया जा रहा था, जो केंद्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत किशनगंज और कटिहार जिलों को जोड़ने वाली 49 किलोमीटर लंबी चार-लेन सड़क का हिस्सा है. पुल का निर्माण पिछले साल शुरू हुआ था और अगले साल इसका उद्घाटन होना था.
रिपोर्ट के अनुसार, 1,080 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले पुल को ‘जीआर इंफ्रा लिमिटेड’ द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा था.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, ‘पुल का निर्माण एनएचएआई द्वारा किया जा रहा था. इसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं है. इस मामले में संबंधित अधिकारियों या एजेंसियों को दंडित करने का अधिकार एनएचएआई के पास है.’
एनडीटीवी के रिपोर्ट के अनुसार, एनएचएआई ने रविवार को परियोजना का हिस्सा रहे चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
एनएचएआई के क्षेत्रीय प्रबंधक अवधेश कुमार ने कहा, ‘एनएचएआई ने पुल के निर्माण से जुड़े चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.’
हालांकि, उन्होंने निलंबित किए गए अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया.
मालूम हो कि बिहार के भागलपुर जिले में बीते 4 जून की शाम को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.
बिहार सरकार के अधिकारियों ने दावा किया था कि पुल के कुछ हिस्सों को विशेषज्ञों की सलाह के तहत योजनाबद्ध तरीके से जान-बूझकर ध्वस्त किया गया है, क्योंकि इसके डिजाइन में खामियां थीं.
खगड़िया जिले के अगुवानी को भागलपुर के सुल्तानगंज से जोड़ने वाले 3.1 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था और इसके 2019 में पूरा होने की उम्मीद थी. तब से समयसीमा को चार बार बढ़ाया जा चुका था.