हम लोगों से किए गए प्राइवेसी के वादे को कभी नहीं तोड़ेंगे: सिग्नल निदेशक मेरेडिथ ह्विटेकर

साक्षात्कार: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित किया जाना चाहिए. साथ ही वे मानती हैं कि यूज़र्स की निजता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

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सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर. (फोटो: द वायर)

साक्षात्कार: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित किया जाना चाहिए. साथ ही वे मानती हैं कि यूज़र्स की निजता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए.

सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर. (फोटो: द वायर)

सैन जोस (कोस्टारिका): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर एक टेक वर्कर होने के साथ-साथ एक स्काॅलर भी हैं. वर्तमान भूमिका संभालने से पहले वे गूगल के साथ जुड़ी थीं और बतौर सलाहकार सरकारों के साथ भी काम कर चुकी हैं. वे निजता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसानों की भूमिका की प्रबल पैरोकार हैं. ह्विटेकर ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप सिग्नल के बुनियादी उसूलों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में मची हलचल पर द वायर  से बात की.

इस दलील के साथ कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रसारित किए जाने वाले संदेशों को लेकर आंखें नहीं मूंद सकते हैं, सरकारें इन प्लेटफॉर्मों से इनक्रिप्शन को तोड़ने (ब्रेक करने) की मांग कर रही हैं.

इस पर ह्विटेकर ने कहा, ‘हम इसके खिलाफ हैं. किसी बड़े कॉरपोरेशन या शक्तिशाली सरकारों द्वारा जासूसी को हम स्वाभाविक नहीं मान सकते हैं. हजारों सालों की मानव सभ्यता में हमारे आपसी संवाद पर इस तरह की पहरेदारी कभी स्वाभाविक चीज नहीं रही. यही आदर्श स्थिति थी. हमें इस बात को लेकर स्पष्ट होना चाहिए कि निजता का अधिकार सिर्फ इस वजह से समाप्त नहीं हो जाता है कि क्योंकि हमें डिजिटल टेक्नोलाॅजी को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया है. यह याद रखना बेहद जरूरी है.’

कंप्यूटेशनल टेक्नोलॉजी के इतिहास पर काम कर चुकी ह्विटेकर ने कहा कि ब्रिटेन की सरकार का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से इनक्रिप्शन को ब्रेक करने की मांग करने वाला प्रस्तावित बिल एक ‘नुकसान पहुंचाने वाली परंपरा’ की शुरुआत कर रहा है जो ‘टेक्नोलॉजी की क्षमता के किसी जादुई ख्याल’ पर आधारित है.’

ब्रिटेन की सरकार का यह दावा है कि जैसा आज जक नहीं हुआ, वैसा करने के लिए उसके पास मास सर्विलांस करने का हक है. इसकी नकल दूसरे देशों द्वारा भी की जाएगी. उन्होंने कहा कि ‘इनक्रिप्शन को तोड़े बिना- सभी संदेशों को देखना’ मुमकिन नहीं हैं. दोनों ही चीजें ‘बुनियादी तौर अंतर्विरोधी हैं.’

सर्विलांस मॉडल

भारत सरकार द्वारा अप्रैल में अधिसूचित विवादास्पद आईटी नियमों पर खासतौर पर बात करते हुए ह्विटेकर ने कहा कि इनक्रिप्शन को ब्रेक करने के लिए कहे जाने पर सिग्नल सहमत नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘जो हम पर विश्वास करते हैं, हम उनके साथ किए गए निजता के वादे को कभी नहीं तोड़ेंगे. यह एक लक्ष्मण रेखा है. इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. हम एक छोटा संगठन हैं. लेकिन हम गैरलाभकारी हैं, और इसलिए दुनियाभर के लोगों को एक वास्तविक प्राइवेट कम्युनिकेशन ऐप देने के अलावा हमारे वजूद की कोई और वजह नहीं है. और अगर हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो हम कोई और काम करेंगे. यह हमारा मानक है.’

क्या सिग्नल, वॉट्सऐप (रिलायंस की साझेदारी में) की तरह मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के बिजनेस माॅडल को अपनाने- जिसने व्यापक चिंताओं को जन्म दिया है- के बारे में विचार करेगा.

‘हम कदम फूंककर कदम रखना चाहेंगे. सर्विलांस मॉडल का मौद्रीकरण करना एक अहम बिजनेस मॉडल रहा है. पिछले 20 वर्षों से टेक इंडस्ट्री में इसका वर्चस्व रहा है. विज्ञापनों की बिक्री, यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल एआई को ट्रेन करने या दूसरे डेरिवेटिव फंक्शंस के लिए करना… यह सबसे प्रमुख बिजनेस मॉडल है और यही कारण है कि सिग्नल ने गैरलाभकारी (नॉन प्रॉफिट) होना चुना. हम नहीं चाहते हैं कि निवेशक या अंशधारक हम पर कभी भी निजता में सेंध लगाने का दबाव डालें. ‘वे कह सकते हैं कि हम पैसे नहीं कमा रहे हैं, इसलिए क्यों न हम निजता का हनन करके थोड़े और पैसे कमाएं.’ इसलिए हम कभी भी सर्विलांस बिजनेस माॅडल को अपनाने नहीं जा रहे हैं.’

ह्विटेकर कहती हैं, ‘हमने हम पर भरोसा करने वाले लोगों से जिस निजता का वादा किया है, हम उस वादे को कभी भी नहीं तोड़ेंगे. ऐसा करने से पहले, हम कंपनी पर ताला लगा देंगे. यह खतरे की रेखा है, हम इससे समझौता नहीं कर सकते. लेकिन हम लड़ेंगे.’

एआई नाम के बारे में

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई को लेकर अपनी समझ साझा करते हुए ह्विटेकर ने कहा, ‘निजता और एआई पर चर्चा एक दूसरे से जुड़े हैं. कई टेक कंपनियां यह दावा कर रही हैं कि एआई सचेत (conscious) है और इसमें इंसानी जीवन को समाप्त करने की शक्ति है. (वे ऐसा) दावा कर रहे हैं, जिसका कोई वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद नहीं है.’

‘यह मशीन द्वारा जादुई सोच- जिस पर सियासतदां भी यकीन करते हैं’- के विचार को हवा देता है और यह विनियमन के मानकों में को भी नुकसान पहुंचाता है. इससे अक्सर बिग टेक पर नियंत्रण करने के लिए कोई फ्रेमवर्क खतरे में पड़ जाता है.’

प्रसिद्ध साइंस फिक्शन लेखक टेड चियांग ने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि एआई संज्ञा अपने आप में समस्यादायक है और इसे वास्तव में ‘अनुप्रयुक्त सांख्यिकी’ (अप्लाइड स्टैटिस्टिक्स) कहा जाना ज्यादा उचित होगा.

ह्विटेकर ने कहा, ‘हमारे पास काउंटर फैक्चुअल इतिहास नहीं है- बर्लिन में रिपब्लिका से बात करते हुए मैंने उस नाम के इतिहास पर विचार किया था- एआई नाम कितना प्रासंगिक है? 1950 के दशक में काॅग्निटिव एंड कंप्यूटर साइंटिस्ट जॉन मैकार्थी ने इस शब्द का चयन किया था. इसका मुख्य कारण यह था कि वे एक ऐसा नाम चाहते थे, जो अतिशयोक्तिपूर्ण कथन को पसंद करने वाले सैन्य निवेशकों को आकर्षित करे. इसके पीछे उनका एक मकसद अपने अकादमिक प्रतिद्वंद्वी नाॅर्मन वीनर को अलग रखना था. वीनर वही थे जिन्होंने ‘साइबरनैटिक्स शब्द का ईजाद किया था और उस समय यह पूरा क्षेत्र इसी पद के अंदर आता था.’

‘टेड चियांग पर लौटें, तो इस पद को 2010 के दशक के अंत में काॅरपोरेट टेक, जिसके लिए बड़ी मात्रा में डेटा की जरूरत थी, के विभिन्न पहलुओं को व्याख्यायित करने के लिए फिर से दोबारा लाया गया था. अगर हमें सर्विलांस को समझना है तो हमें इसे समझना होगा. इसके लिए बहुत बड़े कंप्यूटेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है और इतने संसाधन सिर्फ कुछ ही कंपनियों के पास है. इसलिए यह मार्केटिंग का टर्म या पद है, न कि तकनीकी. और यह एक ताकतवर शब्द है. किसी चीज को हर दिन इंटेलिजेंट बताना, इसकी जादुई विशेषताओं को दिखाता है.’

एआई का विनियमन

एआई का नेतृत्व कर रहे कई निवेशकों की उन टिप्पणियों, जिनमें वे भविष्य में एआई के हाथों इंसानों की विलुप्ति के खतरे की बात करते हैं, से पूरी तरह से सहमत नहीं हैं.

‘मैं इसे दो तरह देखती हूं- मैं यह नहीं कह रही हूं कि वे सारे लोग जो यह मानते हैं, ईमानदार नहीं हैं, लेकिन यह इन कंपनियों और टेक्नोलॉजी को लोकतांत्रिक तरीके से चलाने की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रहा है. खतरे की घंटी काफी आगे की, भविष्य के 20, 40, 70 साल दूर की बात है… और एकाधिकारवाद, सर्विलांस के जरिये होने वाले नुकसानों और जो नुकसान अभी ही हो रहे हैं, को नजरअंदाज करने के समान है, क्योंकि यह तकनीक लोगों के रोजमर्रा के जीवन से उनके नियंत्रण/अधिकार को हटा रही है.’

उन्होंने जोड़ा कि एक और चीज जो वे कर रहे हैं, वह है समस्याओं को एक विनियामक नजरिये से नए ढांचे में ढालना.’

‘हम मजदूरों के अधिकारों की बात करते रहे हैं, मसलन, ऑटोमेशन द्वारा उनके अधिकार (डिस्क्रीशन) को समाप्त करना. हम बुनियादी मसलों की बात कर रहे हैं, जो इस समय घटित हो रहे हैं और ये वे समस्याएं थीं, जिनका समाधान खोजने का जिम्मा विनियामकों पर था. उन्होंने अब समस्या को नया आकार दे दिया है- वे इसे बहुत दूर भविष्य में ले गए हैं और वे विनियामकों से असलियत के आधार पर नहीं, बल्कि फंतासी के आधार पर नियमन करने के लिए कह रहे हैं. यह विनियमन को खोखला करके उसे अप्रासंगिक बनाने की एक आज़माई हुई युक्ति है- जब कारोबारों को यह लगे कि विनियमन होकर ही रहेगा, तो उसे ही अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करना..’

न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने हाल ही में एआई का विनियमित करने को उड़ते हुए राॅकेट की मरम्मत करने के समान बताया था. क्या वे एआई का विनियमन करने को एक असंभव काम भी मानती हैं?

‘मैं इसे एक असंभव काम के तौर पर नहीं देखती हूं- इसके खिलाफ कई दबाव हैं, लेकिन ये दबाव राजनीतिक हैं, तकनीकी नहीं. अगर यूरोप में सर्विलांस पर प्रतिबंध लगाने का कानून बनता है, तो यह एआई के राॅकेट पर ब्रेक लगा देगा. क्योंकि ऐसा करके हम डेटा फ्लो और एआई के केंद्र में मौजूद आर्थिक अनिवार्यताओं को अलग कर देंगे. संरचनात्मक बंटवारा या या इन संयुक्त (टेक) एकाधिकारों (मोनोपोलीज) को बांटने का आदेश देने वाला कानून इन नुकसानों को कम करने की दिशा में दूरगामी परिणाम देने वाला होगा. इस काम को करने के कई व्यावहारिक तरीके हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह विज्ञान की निरंकुशता या अत्याचार नहीं है, बल्कि यह जरूरत से ज्यादा शक्तिशाली कॉरपोरेट प्रतिष्ठानों का काबू से बाहर होना है, और हमें पता है कि इसका समाधान कैसे किया जाना है.’

एआई में कामगारों की भूमिका

एक स्कॉलर के तौर पर ह्विटेकर ने आधुनिक टेक्नोलॉजी में श्रम की भूमिका और एक बड़े और ऑटोमैटिक और तथाकथित आर्टिफिशियल तंत्रों के निर्माण में मानवीय प्रयासों को कम से कम करने के प्रणालीगत अभियान पर काम किया है.

‘अगर आप एआई तंत्रों को तैयार करने में श्रम की जरूरत का पता लगाना शुरू करते हैं, तो उन तंत्रों के बारे में, वे तंत्र क्या हैं और इंटेलिजेंस का वास्तव में कहां है, को लेकर एक बिल्कुल अलग ही कहानी सामने आती है. इसलिए एआई को जिन डेटा सेट से ट्रेन किया जाता है, उसको तैयार करने, उनकी लेबलिंग करने, उन तंत्रों को रूप देने के लिए और उन्हें ट्रेन करने के लिए और उन्हें रोजमर्रा के कानूनों के हिसाब से स्वीकार्य बनाने के लिए कई कामगारों की जरूरत होती है, जिससे कि वे नस्लवादी, स्त्रीद्वेषी बकवास न करें- क्योंकि स्वाभाविक तौर पर उन्हें ऐसा करना चाहिए, क्योंकि उन्हें इंटरनेट पर ट्रेन किया जाता है, है न! और फिर दूसरे छोर पर भी कामगार चाहिए, जो आउटपुट का परीक्षण करते हैं और जिस माहौल में वे काम करते हैं, उसके हिसाब से उन्हें नए सिरे से रूप देने करने का काम करते हैं. आपको उनका ख्याल रखने के लिए लोगों की जरूरत पड़ती है, क्योंकि ये (तंत्र) कभी भी काम नहीं करते हैं, क्योंकि यह दुनिया एक सांख्यिकीय पूर्वानुमान लगाने के लिए प्रशिक्षित एक ऑटोमेटेड तंत्र की क्षमता से कहीं ज्यादा जटिल और रोचक है.’

ह्विटेकर इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि ‘एआई में शामिल इंटेलिजेंस या बुद्धि कामगारों की धारणा है, यह कामगारों में अंतर्निहित कौशल है, यह कामगारों द्वारा अपने असली/वास्तविक इंटेलिजेंस द्वारा हस्तक्षेप करने की क्षमता है, ताकि सांख्यिकीय मॉडल को फिर से पटरी पर लाया जा सके, ताकि यह बुद्धिमान नजर आए. और मशीनों को बुद्धिमान करार देना और कामगारों को हटा देना कोई नई परिघटना नहीं है. यह इन तकनीकों द्वारा काफी हद तक बढ़ाई गई है.’

तो क्या अभी हम जहां खड़े हैं, उससे पीछे लौट सकते हैं और कामगारों और इंसानों को फिर से काम में शामिल कर सकते हैं?

उन्होंने कहा, ‘हम जो बन पड़ेगा, वह करने वाले हैं.’

एआई और लोकतंत्र

ह्विटेकर राइटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका, हॉलीवुड के उन लेखकों जो एआई के संभावित उपयोग को लेकर बड़े मुद्दों को लेकर हड़ताल पर हैं, को लेकर आशान्वित हैं. वे एआई के इस्तेमाल को लेकर निर्णय करने के अधिकार की मांग कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि वे प्रोडक्शन हाउसेस को इस तकनीक का इस्तेमाल करके उनके काम, उनकी क्षमताओं और उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने और उनके काम को गिग वर्क में बदलने की इजाजत नहीं देंगे. स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड ने इस हड़ताल को प्राधिकृत किया है.

तो, क्या विनियमन को लेकर कोई उम्मीद है?

चैट जीपीटी के अनेक संस्करण और दूसरे टूल्स द्वारा अकूत मात्रा में सूचनाएं बाहर निकालने के कारण हमारे सामने काफी ‘सूचनाएं’ हैं. सूचनाएं और सूचनाओं से लैस नागरिक समाज एक स्वस्थ लोकतंत्र का सार तत्व है.

यह पूछने पर कि वे एआई के सूचना और आखिरकारक लोकतंत्र के साथ रिश्ते को कैसा शक्ल लेता हुआ देखती हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं काफी चिंतित हूं. क्योंकि हमारे पास पहले ही काफी बिगड़ा हुआसूचना तंत्र है, जिसकी एक बड़ी वजह प्लेटफॉर्म का बिजनेस मॉडल है, जिसने स्थानीय खबरों और पत्रकारिता को समर्थन देने की हमारी क्षमता पर काफी कम कर दिया है. और यह सतत चल रहा है.’

‘अब हम इसके ऊपर इन धुंधले केंद्रीकृत तंत्रों को जोड़ देते हैं, जिनका अर्थहीन और तथ्यात्मक तौर पर शून्य कंटेंट- जो ऊपरी तौर पर विचारणीय लगते हैं, लेकिन जिनका सच्चाई से कोई नाता नहीं है, न ही प्रामाणिकता की उनके पास कोई समझ है- उगलने के मामले में कोई सानी नहीं है. इसलिए यह निश्चित तौर पर दुष्प्रचार अभियान के मसले को प्रमुख बना देता है. मुझे लगता है कि इस समय इन कंपनियों के द्वारा इन टूल्स को प्रयोग में लाना असाधारण तरीके से गैरजिम्मेदार है.’

क्या कोई उम्मीद है?

वे सिर हिलाते हुए कहती हैं, टहां. अग्रिम मोर्चे पर संगठनों के साथ लामबंद होना.’

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