कांग्रेस ने अमेरिका के साथ किए गए ड्रोन सौदे पर सवाल उठाए, कहा- रफाल डील को दोहराया जा रहा है

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के महंगे शौक अब देश पर भारी पड़ रहे हैं. रफाल डील में जो हुआ, वहीं अब अमेरिका के प्री​डेटर्स ड्रोन्स की ख़रीद में दोहराया जा रहा है. जिस ड्रोन को बाकी मुल्क चार गुना कम कीमत में ख़रीदते हैं, उसी ड्रोन को ख़रीदने पर हम 880 करोड़ प्रति ड्रोन ख़र्च कर रहे हैं.

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नई ​दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवन खेड़ा. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी के महंगे शौक अब देश पर भारी पड़ रहे हैं. रफाल डील में जो हुआ, वहीं अब अमेरिका के प्री​डेटर्स ड्रोन्स की ख़रीद में दोहराया जा रहा है. जिस ड्रोन को बाकी मुल्क चार गुना कम कीमत में ख़रीदते हैं, उसी ड्रोन को ख़रीदने पर हम 880 करोड़ प्रति ड्रोन ख़र्च कर रहे हैं.

नई ​दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवन खेड़ा. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को करोड़ों रुपये के भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार अधिक कीमत पर 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर यूएवी ड्रोन खरीद रही है. पार्टी ने इस अनुबंध के संबंध में पूर्ण पारदर्शिता की मांग की है.

मुख्य विपक्षी दल ने दावा किया कि कई देश भारत से कम कीमत पर एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन या इसके समान वेरिएंट लाए हैं.

नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के ये जो महंगे शौक हैं, अब ये देश के लिए महंगे पड़ रहे हैं. रफाल डील में जो हुआ, वहीं अब प्री​डेटर्स ड्रोन्स की खरीद में भी दोहराया जा रहा है. जिस ड्रोन को बाकी मुल्क चार गुना कम कीमत में खरीदते हैं, उसी ड्रोन को खरीदने पर हम 110 मिलियन डॉलर यानी 880 करोड़ प्रति ड्रोन खर्च कर रहे हैं. 3 बिलियन डॉलर यानी 25 हजार करोड़ रुपये में हम 31 ड्रोन खरीद रहे हैं.’

कांग्रेस ने सरकार से कई सवाल पूछे.

खेड़ा ने कहा, ‘मेक इन इंडिया कहा गया. डीआरडीओ को 1786 करोड़ रुपये आपने (प्रधानमंत्री मोदी) ‘रुस्तम’ और ‘घातक’ नाम के ड्रोन्स विकसित करने के लिए आवंटित किए थे. तो 1786 करोड़ आपने डीआरडीओ को दिए थे और अब 25 हजार करोड़ अमेरिका में जाकर दे आए कि हमें ड्रोन्स दे दो. तो या तो ये 1786 करोड़ रुपये आपने गलत दिया या फिर वो 25 हजार करोड़ आपने गलत दिया. दोनों तो सही हो नहीं सकते.’

उन्होंने आगे कहा, ‘और ये अमेरिका में कौन से ड्रोन्स हैं, ये वो ड्रोन्स हैं जो आउटडेटेड टेक्नोलॉजी के हैं. उस ड्रोन को अब अमेरिका इस्तेमाल नहीं कर रहा है. ये उसके स्टोर रूम में पड़े हैं कि साहब आप ले जाओ. तो जब हम कबाड़ में कुछ बेचते हैं तो सस्ता बेचते हैं या महंगा बेचते हैं? ओरिजिनल कीमत से महंगी कबाड़ की कीमत कैसे हो सकती है? तो मेक इन इंडिया सिर्फ एक नारा था, आप ये बता ​दीजिए.’

उन्होंने कहा, ‘लोकसभा में इसी ड्रोन के विषय में एक सवाल पूछा गया कि क्या इसमें ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी होगी तो स्पष्ट किया गया कि ऐसा नहीं होगा. तो आप इस कीमत पर पूरी तरह से टेक्नोलॉजी भी नहीं ले रहे हो, फिर आप 25 हजार करोड़ रुपये क्यों खर्च कर रहे हो? क्या एक ड्रोन के साथ एक पेगासस फ्री है? क्या एक ड्रोन के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड्स की भी शर्तें हैं?’

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खेड़ा ने दावा किया कि अमेरिकी वायुसेना ने एमक्यू-9 ड्रोन का बेहतर गुणवत्ता वाला संस्करण 56.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति ड्रोन पर खरीदा, जबकि ब्रिटिश वायुसेना ने 2016 में 12.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति ड्रोन पर एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदा था.

उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलियाई सरकार को प्रति एमक्यू-9 ड्रोन के लिए 137.58 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करके अमेरिका से ड्रोन खरीदना था, लेकिन बाद में उन्होंने सौदा रद्द कर दिया, क्योंकि उन्हें यह बहुत महंगा लगा. स्पेन ने भी प्रति रीपर एमक्यू-9 ड्रोन के लिए 46.75 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करके ये ड्रोन खरीदे थे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा ताइवान ने प्रति स्काईगार्डियन एमक्यू-9बी ड्रोन 54.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान करके खरीदा. इटली और नीदरलैंड दोनों ने इसे 82.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीदा. जर्मनी ने इसे 17 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति ड्रोन के हिसाब से खरीदा है, लेकिन मोदी सरकार भारत को प्रति ड्रोन 110 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर रही है, जो किसी भी देश के लिए सबसे महंगी खरीद है.’

खेड़ा ने कहा, ‘ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक क्यों नहीं हुई? हम उस ड्रोन के लिए सबसे अधिक कीमत क्यों चुका रहे हैं, जिसमें एआई एकीकरण (AI Integration) नहीं है? जब वायुसेना को इन ड्रोनों की आसमान छूती कीमतों पर आपत्ति थी, तो सौदा करने की इतनी जल्दी क्या थी?’

उन्होंने कहा, ‘हम इस सौदे में पूर्ण पारदर्शिता की मांग करते हैं. भारत को महत्वपूर्ण सवालों के जवाब चाहिए.’

इस बीच, भाजपा ने भारत-अमेरिका ड्रोन सौदे पर सवाल उठाने के लिए कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि रक्षा सौदों में घोटाला करना विपक्षी दल के डीएनए का हिस्सा बन गया है और वह भ्रष्टाचार से परे नहीं देख सकती.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि रक्षा और रणनीतिक विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान शिकारी ड्रोन खरीदने के फैसले का सर्वसम्मति से स्वागत किया है.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि खरीद के लाभ दुनिया को दिखाई दे रहे हैं, सवाल यह है कि कांग्रेस समझौते की आलोचना क्यों कर रही है? इसका कारण यह है कि आदतन चोर दूसरों में भी चोर देखता है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि 1952 के कथित जीप घोटाले से लेकर बोफोर्स तोपों, पनडुब्बियों की खरीद में संदिग्ध भ्रष्टाचार और अगस्ता वेस्टलैंड सौदे तक कांग्रेस द्वारा किए गए घोटालों की सूची लंबी है. उन्होंने गांधी परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोग उन सभी में ‘पिता, चाचा और बहनोई’ की छाया देख सकते हैं.