मुंबई के मीरा रोड पर निजी हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति पर बकरीद से पहले अपने फ्लैट में बकरियां लाने के कारण कथित तौर पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था. इस संबंध में एक केस दर्ज किया गया है. अब दंपति के ख़िलाफ़ महिलाओं पर हमला, शांतिभंग, आपराधिक धमकी के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई है.
![](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2023/06/Hindutva-Mob-Violence-Communalism-Illustration-Pariplab-Chakraborty.png)
नई दिल्ली: मुंबई में एक मुस्लिम दंपति, जिन पर ईद-उल-अजहा (बकरीद) त्योहार से पहले अपने फ्लैट में बकरियां लाने के कारण उनके अपार्टमेंट परिसर में कथित तौर पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था, अब उनके खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है.
बीते 27 जून को मीरा रोड पर एक निजी हाउसिंग कॉलोनी में रहने वाले एक दंपति द्वारा बकरीद पर बलि देने के लिए बकरियों को घर लाने का कथित तौर पर विरोध करते हुए उनके साथ मारपीट की गई थी.
द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने उसी परिसर की निवासी सुमन मेहंदीरत्ता की शिकायत के आधार पर मोहसिन और यास्मिन खान के खिलाफ आईपीसी की चार धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें महिलाओं पर हमला, शांति भंग करने के इरादे से अपमान, आपराधिक धमकी और सामान्य इरादा से आपराधिक कृत्य शामिल हैं.
मेहंदीरत्ता का आरोप है कि मोहसिन ने उनके साथ गाली-गलौज की और सीने पर धक्का मारा. उन्होंने यह भी कहा कि यास्मिन ने दोनों पक्षों के बीच असहमति के दौरान ‘लोगों को कॉल करना’ शुरू कर दिया.
इससे पहले खान ने 27 जून की शाम को भीड़ के साथ हुए विवाद के बाद पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर उपरोक्त चार मामलों के तहत 11 लोगों के साथ-साथ चार अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
यास्मिन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 27 जून को शाम जब वे बाजार से खरीददारी कर लौटे तो सोसाइटी के गेट पर कुछ निवासियों समेत 15 से 30 लोगों ने उन्हें रोक लिया.
उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘उन्होंने हमारी कार की जांच की और मेरे पति से बकरियों को लाने और उन्हें फ्लैट के अंदर रखने के बारे में पूछताछ की. उन्होंने धमकी दी कि वे हमारे फ्लैट से बकरियों को (जबरन) उठा लेंगे. इस पर मेरे पति ने प्रतिक्रिया व्यक्त की तो उन्होंने हमारे साथ मारपीट शुरू कर दी. हाथापाई के दौरान उन्होंने मेरे कपड़े भी फाड़ दिए, मजबूरन मुझे पुलिस बुलानी पड़ी.’
द क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, उस समय भीड़ की संख्या लगभग 200 लोगों की थी.
मोहसिन ने क्विंट के रिपोर्टर को यह भी बताया कि भीड़ ने ‘जय श्री राम’ के नारे और हनुमान चालीसा का पाठ किया, उन्हें आतंकवादी कहा और उनके घर के अंदर सुअर को मारने की धमकी दी.
यास्मिन ने कहा कि उन्होंने भीड़ में अपने कुछ दोस्तों को भी देखा और महसूस किया कि उनका ‘दिमाग खराब’ कर दिया गया है.
![](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2023/06/Bakrid-Muslim-Couple.jpg)
ईद-उल-अजहा मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जिसमें पशुधन का अनुष्ठानिक वध शामिल है. यह इस साल 29 जून को पड़ा था.
त्योहार की तैयारी में अपार्टमेंट परिसर के भीतर एक विशिष्ट इमारत के कुछ मुस्लिम निवासियों ने अपने प्रशासनिक प्राधिकरण से परिसर के अंदर एक निर्दिष्ट क्षेत्र में अपनी बकरियों को रखने की अनुमति मांगी थी.
द क्विंट के अनुसार, उनके पत्र में कहा गया था, ‘हम आपको आश्वस्त करते हैं कि कोई वध नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह अनुरोध केवल ऊपर बताए अनुसार हमारी बकरियों को चार दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए है. हम आपको यह भी आश्वासन देते हैं कि हम सुरक्षा, स्वच्छता और सफ़ाई का ध्यान रखेंगे.’
इसमें आगे कहा गया था, ‘अधिकार क्षेत्र (सोसाइटी के) के भीतर ऐसी जगह के आवंटन से हमें बकरियों को अपने संबंधित फ्लैटों में लाने की परेशानी से बचने में मदद मिलेगी.’
क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने बकरियों को अपने फ्लैट में रखने के लिए एक ‘आवेदन’ के साथ पुलिस से संपर्क किया.
इसके बाद पुलिस ने सोसाइटी के सदस्यों की एक बैठक की और उन्हें नोटिस देकर चेतावनी दी कि वे शांति को प्रभावित करने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल न हों.
परिसर के एक मुस्लिम निवासी ने क्विंट को बताया कि इस तरह के टकराव कोई नई बात नहीं है. उन्होंने रमजान के महीने की एक घटना को याद किया, जहां परिसर के हिंदू निवासियों ने अनुमति प्राप्त करने के बावजूद परिसर के एक सामान्य क्षेत्र में मुसलमानों द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी पर पुलिस को बुलाया था.
ईद अल-अजहा देश के अन्य हिस्सों में भी विवाद का स्रोत रहा है. इस साल त्योहार से कुछ घंटे पहले तक अदालतें जानवरों के वध पर रोक लगाने या इसके लिए अनुमति देने की मांग करने वाली पार्टियों की याचिकाओं से भरी हुई थीं.
बार एंड बेंच के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था, ‘हम इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हैं कि इस तरह के आवेदन बार-बार अंतिम समय में दायर किए जाते हैं, जबकि बकरीद का समय कैलेंडर पर रहता है.’
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.