बिहार: शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल ​नीति हटाने पर सरकार का विरोध कर रहे शिक्षकों पर लाठीचार्ज

शिक्षक 1.7 लाख शिक्षकों की भर्ती में अधिवास नीति को हटाने के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के हालिया फैसले का विरोध कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से अन्य राज्यों के लोगों को शिक्षकों की नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देगा.

राजधानी पटना में शनिवार को लगभग 3,000 शिक्षकों और नौकरी आवेदकों ने गांधी मैदान से राजभवन तक मार्च कर रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज कर दिया. (फोटो साभार: ट्विटर/@BiharTeacherCan)

शिक्षक 1.7 लाख शिक्षकों की भर्ती में अधिवास नीति को हटाने के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के हालिया फैसले का विरोध कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से अन्य राज्यों के लोगों को

राजधानी पटना में शनिवार को लगभग 3,000 शिक्षकों और नौकरी आवेदकों ने गांधी मैदान से राजभवन तक मार्च कर रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज कर दिया. (फोटो साभार: ट्विटर/@BiharTeacherCan)

नई दिल्ली: बिहार में लगभग 3,000 शिक्षकों और नौकरी आवेदकों को राजधानी पटना के गांधी मैदान से राजभवन तक मार्च करने से रोकने के लिए पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद सात शिक्षक घायल हो गए.

शिक्षक 1.7 लाख शिक्षकों की भर्ती में अधिवास नीति (Domicile Policy) को हटाने के नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के हालिया फैसले का विरोध कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से अन्य प्रांतों के लोगों को शिक्षकों की नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देगा.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार सुबह करीब 11:30 बजे सबसे पहले शिक्षकों और नौकरी आवेदकों ने गांधी मैदान से मार्च शुरू किया. चूंकि राजभवन और सीएम हाउस के आसपास धरना-प्रदर्शन की इजाजत नहीं है, इसलिए पटना पुलिस ने पहले मौखिक रूप से उन्हें रुकने को कहा और बाद में लाठीचार्ज शुरू कर दिया.

बड़ी संख्या में शिक्षक फिर भी पुलिस अवरोधों को पार कर डाक बंगला चौक पहुंचने में कामयाब रहे, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज का दूसरा दौर शुरू करना पड़ा, जिसमें सात शिक्षक घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

पटना पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी – कानून एवं व्यवस्था) नुरुल हक ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रदर्शन प्रशासन की अनुमति के बिना आयोजित किया गया था. हम प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि वे जो कर रहे हैं वह अवैध है. बल का प्रयोग अंतिम उपाय रहा है.’

हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर डिप्टी एसपी ने कहा, ‘फिलहाल हम आंकड़े देने की स्थिति में नहीं हैं. हम इस पर काम करेंगे और प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्था बनाए रखने के बाद इस बारे में बताएंगे.’

बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा (बीटीईटी) एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित विक्रम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘नियुक्ति प्रक्रिया के बीच में अधिवास खंड को हटाने के लिए सरकार के पास तत्काल कोई कारण नहीं था. सरकार चाहती है कि इस प्रक्रिया में देरी हो, क्योंकि उसका इरादा शिक्षकों की नियुक्ति का नहीं है.’

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘मुझे आश्चर्य है कि राज्य सरकार ने प्रक्रिया के बीच में नियम क्यों बदल दिए हैं. वह केवल विलंब करना चाहती है. अब तक नौ बदलाव किए जा चुके हैं. अब जब अधिवास खंड हटा दिया गया है, तो सरकार को नए सिरे से आवेदन आमंत्रित करने होंगे.’

भाजपा ने घोषणा की है कि वह शिक्षकों की नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में 10 जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन 13 जुलाई को ‘विधानसभा’ मार्च आयोजित करेगी.

राज्य कैबिनेट ने बीते 27 जून को यह शर्त हटा दी थी कि कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के लिए (कक्षा 6 से 8 को छोड़कर) 1.7 लाख शिक्षकों के पद के लिए केवल बिहार के मूल निवासी ही आवेदन कर सकते हैं.

स्थिति तब और बिगड़ गई जब राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्र शेखर ने यह बयान दिया कि यह नीति राज्य में प्रतिभा की कमी को देखते हुए लाई गई है.