बीते 23 मार्च को गुजरात में सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके ख़िलाफ़ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (7 जुलाई) को मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. मानहानि के लिए अधिकतम संभव सजा के परिणामस्वरूप उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
जस्टिस हेमंत एम. प्रच्छक की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है और इसका प्रयोग केवल दुर्लभ मामलों में ही किया जाना चाहिए.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीश ने कहा, ‘उनके खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं. वर्तमान मामले के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और मामले दर्ज किए गए हैं. लोगों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट चरित्र का होना चाहिए. ऐसी ही एक याचिका वीर सावरकर के पोते ने पुणे की एक अदालत में दायर की है, क्योंकि आरोपी ने कैम्ब्रिज में वीर सावरकर के खिलाफ मानहानिकारक शब्दों का इस्तेमाल किया था. एक अन्य मामले में लखनऊ की एक अदालत में भी शिकायत दर्ज की गई थी.’
इसके अलावा पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले के तथ्यों की पृष्ठभूमि में दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता है.
अदालत ने कहा, ‘वैसे भी दोषसिद्धि से आवेदक के साथ कोई अन्याय नहीं होगा. दोषसिद्धि का आदेश उचित और कानूनी है. उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है.’
राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद थे, अगर अदालत उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा देती तो संसद सदस्य के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त हो जाता.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि पार्टी न्यायाधीश के तर्क का अध्ययन कर रही है. पार्टी नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी दोपहर 3 बजे मीडिया से बात करेंगे. उन्होंने कहा, ‘यह फैसला मामले को आगे बढ़ाने के हमारे संकल्प को दोगुना कर देता है.’
We have noted the verdict of the single-judge bench of the Gujarat High Court on the disqualification of @RahulGandhi. The reasoning of the Hon'ble judge is being studied, as it should be, and Dr. Abhishek Singhvi will be briefing the media in detail at 3pm. The judgement only…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 7, 2023
बीते 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
हालांकि इसके कुछ ही देर बाद अदालत ने 15,000 रुपये के मुचलके पर राहुल गांधी की जमानत मंजूर कर ली और उन्हें इसके खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लिए 30 दिनों के लिए सजा पर रोक लगा दी थी.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी सांसद को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, तो वह अयोग्यता का पात्र होगा.
राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.
राहुल गांधी ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी, उनके नाम में मोदी क्यों है.’
दोषी ठहराए जाने के अगले दिन 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. इसके बाद उन्हें उनका सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी मिला था.
उन्होंने प्रोटोकॉल के मुताबिक बीते 22 अप्रैल को अपना तुगलक लेन का सरकारी बंगला खाली कर दिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से जीतने के बाद उन्हें पहली बार बंगला आवंटित किया गया था.
इस बीच बीते 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए राहुल गांधी ने अदालत का रुख किया था, हालांकि बीते 20 अप्रैल को सूरत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा की एक अदालत ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था.
राहुल गांधी पर एक अन्य राज्य में भी ऐसे ही आरोप को लेकर मुकदमा चल रहा है. बीते 5 जुलाई को झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें रांची की एक अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी थी, जहां वह इसी टिप्पणी के लिए मानहानि के आरोप का सामना कर रहे हैं.
‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी राहुल गांधी के खिलाफ याचिका दायर की है.
इस मामले में पटना की निचली अदालत ने राहुल गांधी को पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा था. हालांकि बीते 24 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए निचली अदालत के आदेश पर 15 मई तक रोक लगा दी थी.
बीते मई में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि वह मानहानि के लिए अधिकतम संभव सजा पाने वाले पहले व्यक्ति होंगे.
उन्होंने कहा था, ‘मानहानि पर पहली अधिकतम सजा पाने वाला और अयोग्य घोषित होने वाला पहला व्यक्ति बनना… मैंने कल्पना नहीं की थी कि ऐसा कुछ संभव है, लेकिन फिर मुझे लगता है कि इसने मुझे वास्तव में एक बड़ा अवसर दिया है, उससे भी बड़ा अवसर जो मुझे संसद में कभी मिलता. राजनीति इसी तरह काम करती है.’
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