शादी का वादा टूटने पर सहमति से बने यौन संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आते: ओडिशा हाईकोर्ट

भुवनेश्वर के एक शख़्स पर लगे बलात्कार के आरोप ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नेक इरादे से कोई वादा करने, जो किसी वजह से पूरा नहीं हुआ और शादी का झूठा वादा करने के बीच बारीक अंतर है. पहली स्थिति में यौन संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता, जबकि बाद वाली स्थिति में बनता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Joe Gratz/Flickr CC0 1.0)

भुवनेश्वर के एक शख़्स पर लगे बलात्कार के आरोप ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नेक इरादे से कोई वादा करने, जो किसी वजह से पूरा नहीं हुआ और शादी का झूठा वादा करने के बीच बारीक अंतर है. पहली स्थिति में यौन संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता, जबकि बाद वाली स्थिति में बनता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Joe Gratz/Flickr CC0 1.0)

नई दिल्ली: ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि शादी के वादे पर सहमति से शारीरिक संबंध बनाया गया और किन्हीं कारणों से वादा पूरा नहीं हो सका, तो इस संबध को बलात्कार नहीं माना जा सकता.

एनडीटीवी के मुताबिक, हाईकोर्ट ने ऐसा कहते हुए भुवनेश्वर के एक व्यक्ति पर लगे बलात्कार के आरोप को खारिज कर दिया. इस शख्स के खिलाफ याचिकाकर्ता की मित्र एक महिला ने आरोप लगाया था. महिला का उनके पति के साथ पांच साल से शादी से जुड़ा विवाद चल रहा है.

जस्टिस आरके पटनायक ने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे अन्य आरोपों को जांच के लिए खुला रखा गया है.

हाईकोर्ट के तीन जुलाई के आदेश में लिखा है, ‘नेक इरादे से कोई वादा करने, जो किसी वजह से बाद में पूरा नहीं हुआ और शादी का झूठा वादा करने के बीच बारीक अंतर है. पहली स्थिति में किसी भी यौन संबंध के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध नहीं बनता है, जबकि बाद वाली स्थिति में यह अपराध बनता है क्योंकि इसमें संबंध शुरुआत से ही शादी के झूठे वादे के आधार पर बनाए गए थे.’

पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि अगर दो व्यक्ति शारीरिक संबंध बनाते हैं, जिसमें पीड़िता को शादी का आश्वासन दिया जाता है जो किन्हीं कारणों से बाद में पूरा नहीं हो पाता है तो इसे वादा तोड़ने का दावा करते हुए बलात्कार नहीं कहा जा सकता है.

वर्तमान मामले के संबंध में अदालत ने कहा, ‘कोई कड़वा रिश्ता, जो अगर शुरुआत में दोस्ती के साथ ईमानदारी से शुरू और बढ़ा था, उसे हमेशा भरोसा तोड़ने के नतीजे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और और पुरुष साथी पर कभी बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए.’