पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और ज़िला परिषद की 73,887 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ था. भाजपा, माकपा और कांग्रेस सहित विपक्ष ने बड़े पैमाने पर चुनावी कदाचार का आरोप लगाया है. भाजपा ने हिंसा के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराते हुए राष्ट्रपति शासन की मांग की है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में शनिवार (8 जुलाई) को पंचायत चुनाव के दौरान आठ जिलों में हुई हिंसा में कम से कम 18 लोगों के मारे जाने और कई लोगों के घायल होने की खबर है. साथ ही, व्यापक पैमाने पर चुनावी कदाचार के भी आरोप लगे हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में व्यापक हिंसा, मतपत्रों की लूट और धांधली हुई थी. केवल दो स्तरीय पंचायत वाले दो पहाड़ी जिलों दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में मतदान शांतिपूर्ण रहा.
शनिवार की हिंसा में मरने वालों की संख्या के साथ 8 जून को चुनाव की घोषणा होने के बाद जान गंवाने वालों का आंकड़ा 37 हो गया. मतदान के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में विफलता पर राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया गया है.
शनिवार को मरने वालों में कम से कम 11 सत्तारूढ़ टीएमसी के समर्थक थे, हालांकि अधिकारियों ने संकेत दिया कि उनमें से कुछ मौतें तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच आंतरिक लड़ाई का परिणाम थीं, जबकि कई मामलों में टीएमसी कार्यकर्ताओं और अन्य दलों के लोगों के बीच झड़पें हुईं.
उत्तरी बंगाल का कूचबिहार जिला दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक टीएमसी समर्थक की मौत का गवाह बना. यहां भाजपा ने 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 और 2018 के पंचायत चुनावों में मतदान के दिन मौतों का आधिकारिक आंकड़ा क्रमश: 13 और 14 था.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, चुनाव के नतीजे 11 जुलाई को घोषित होने हैं, लेकिन भाजपा, माकपा और कांग्रेस समेत विपक्ष ने बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान की मांग की है.
कांग्रेस ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया है, जिन्हें पहले चुनाव पूर्व हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए अदालत ने फटकार लगाई थी, जिसमें 8 जून से 7 जुलाई के बीच 19 लोगों की जान चली गई थी.
मुर्शिदाबाद, कूच बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया जैसे कई जिलों से बूथ कैप्चरिंग, मतपेटियों को नुकसान पहुंचाने और पीठासीन अधिकारियों पर हमले की घटनाएं सामने आई हैं. अधिकारियों ने कहा कि कई स्थानों पर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पेट्रोल बम का इस्तेमाल किया गया.
राज्य के ग्रामीण इलाकों की 73,887 सीटों पर शनिवार सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ, जिसमें 5.67 करोड़ लोगों को लगभग 2.06 लाख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करना था. इनमें ग्राम पंचायत (63,229), पंचायत समिति (9,730) और जिला परिषद (928) की सीटें शामिल रहीं.
चुनाव संपन्न कराने के लिए 70,000 राज्य पुलिसकर्मियों के साथ केंद्रीय बलों की कम से कम 600 कंपनियां तैनात की गई थीं.
राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान बंद होने के समय शाम 5 बजे तक 68.28 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. 2018 में 82 फीसदी मतदान हुआ था.
जैसे ही हिंसा और आगजनी की खबरें आईं, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा से अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने का आग्रह किया.
राज्यपाल ने उत्तर 24 परगना जिले के विभिन्न इलाकों का दौरा किया और हिंसा में घायल हुए लोगों से मुलाकात की और मतदाताओं से बातचीत की. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘इससे हम सभी को चिंता होनी चाहिए. यह लोकतंत्र के लिए सबसे पवित्र दिन होता है. चुनाव मत-पत्रों से होना चाहिए, गोलियों से नहीं.’
उन्होंने मतदान केंद्रों के बाहर केंद्रीय बलों की अनुपस्थिति का दावा करने वाली रिपोर्टों के मद्देनजर राज्य चुनाव आयुक्त सिन्हा से सभी जिला मजिस्ट्रेटों से कर्मियों की संख्या और स्थिति पर एक रिपोर्ट भी मांगी है.
गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग ने राज्य में केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों की तैनाती की मांग की थी, लेकिन केवल 649 कंपनियों को तैनात किया गया. द हिंदू के मुताबिक, कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कई मतदान केंद्रों के बाहर केंद्रीय बलों को तैनात नहीं किया गया था.
वहीं, शाम को चुनाव आयुक्त सिन्हा ने पंचायत चुनावों के समग्र परिणाम पर सीधी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा, ‘(जिलों से) रिपोर्ट अभी भी भेजी जा रही हैं. एक बार जब हमें सभी रिपोर्ट मिल जाएंगी, तो हम चुनाव प्रक्रिया पर टिप्पणी कर सकते हैं.’
इससे पहले दिन में सिन्हा ने आश्वासन दिया था कि वह मतपेटियों की लूट और वोटों के साथ छेड़छाड़ की शिकायतों पर गौर करेंगे. उन्होंने कहा कि हिंसा के संबंध में सबसे अधिक शिकायतें कुछ जिलों से आईं और चुनाव प्रक्रिया की समीक्षा करते समय इसे ध्यान में रखा जाएगा.
दोपहर में उन्होंने कहा था, ‘पुनर्मतदान पर निर्णय रविवार को लिया जाएगा, जब पर्यवेक्षक और रिटर्निंग अधिकारी मतदान प्रक्रिया की जांच और समीक्षा करेंगे. मुझे कल रात से (हिंसा की) जानकारी मिल रही है. सीधे मुझे और कंट्रोल रूम को कॉल की गईं. शनिवार को ऐसी सबसे अधिक घटनाएं उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद जैसे तीन से चार जिलों से दर्ज की गईं.’
उन्होंने रविवार के दिन विस्तृत जांच किए जाने की बात कही और कहा कि उन बूथों पर दोबारा मतदान होगा, जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी और जहां मतदान नहीं हो सका या रोक दिया गया था.
हालांकि, सिन्हा ने आधिकारिक तौर पर केवल तीन मौतों की बात स्वीकारी.
हालांकि, खबरों के मुताबिक, मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में हुई हिंसा में एक तृणमूल कांग्रेस समर्थक की मौत हो गई. जिले के खारग्राम में एक और शव मिला. द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के डोमकाल में तृणमूल कांग्रेस के दो समर्थक बम से घायल हो गए.
मालदा जिले के सुजापुर में एक व्यक्ति मृत पाया गया. कूचबिहार जिले में विभिन्न स्थानों पर हिंसा की सूचना मिली, जहां चुनाव संबंधी हिंसा में कथित तौर पर एक व्यक्ति की मौत हो गई. पूर्वी बर्धमान जिले के आउसग्राम में सीपीआई (एम) के एक समर्थक की हत्या कर दी गई.
विभिन्न मतदान केंद्रों से धांधली, मत-पत्र छीनने और मतपेटियों में पानी डालने की घटनाएं सामने आईं. कूचबिहार के दिनहाटा में एक मतदान केंद्र पर मतपेटियों में आग लगा दी गई.
आरोप लगाया जा रहा है कि विपक्षी दलों के सदस्यों को दक्षिण 24 परगना के भांगर में कैद किया गया. उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर में वोट डालने के लिए कतार में लगे मतदाताओं को गोली लग गई.
द हिंदू के अनुसार, भाजपा, माकपा और कांग्रेस सहित विपक्ष के राजनीतिक दलों ने बड़े पैमाने पर चुनावी कदाचार का आरोप लगाया और दावा किया कि मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष होने से बहुत दूर था. वहीं, तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने जोर देकर कहा कि केवल 60 मतदान केंद्रों से हिंसा की बड़ी और छोटी घटनाएं सामने आई है.
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने हिंसा के लिए टीएमसी को जिम्मेदार ठहराया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने उनके हवाले से लिखा, ‘यह चुनाव नहीं है, यह जंगल राज है. 1942 में स्वतंत्रता सेनानियों ने इस भूमि पर भारत को स्वतंत्र घोषित किया था और आज यह भूमि पश्चिम बंगाल पुलिस की मिलीभगत से ममता बनर्जी और उनके भतीजे के कारण अशांति में है. केंद्र सरकार को फैसला लेना चाहिए.’
भाजपा ने कहा है कि हिंसा और कदाचार के पीछे टीएमसी का हाथ है और राज्य निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने में विफल रहा है. सुवेंदु अधिकारी ने साथ ही राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल जल रहा है और केंद्र सरकार को अनुच्छेद 355 या अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के साथ हस्तक्षेप करना चाहिए. पुलिस की मौजूदगी में 20 हजार से ज्यादा बूथों पर सत्ताधारी दल के गुंडों ने कब्जा कर लिया. यह लोकतंत्र की हत्या के अलावा कुछ नहीं है. जिला पुलिस के असहयोग के कारण सीएपीएफ काम नहीं कर रही है. उनका उचित इस्तेमाल नहीं किया गया.’
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे हिंसा पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
वहीं, टीएमसी ने पूछा, ‘जब हिंसा होती है, तो सवाल उठता है: केंद्रीय बल कहां थे? यदि हिंसा और रक्तपात की घटनाएं बेरोकटोक जारी रहती हैं तो उनकी उपस्थिति का क्या फायदा?’
टीएमसी की ओर से आरोप लगाया गया, ‘नादिया के छपरा में एक दुखद घटना में, हमारी पार्टी के एक कार्यकर्ता की पश्चिम बंगाल कांग्रेस के गुंडों ने हत्या कर दी और इसके परिणामस्वरूप हुए टकराव में पार्टी के अन्य सदस्यों पर घातक हथियारों से हमला किया गया.’
When violence strikes, it begs the question: where were the Central Forces?
In a tragic incident in Chapra, Nadia, one of our party workers was hacked to death by @INCWestBengal goons, and in the resulting confrontation, other party members were subjected to vicious assaults…
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) July 8, 2023
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि कूचबिहार के गीतलदाहा के एक सीमावर्ती गांव में बीएसएफ जवानों ने अराजकता पैदा करने और चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया.
तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘हर मौत बेहद दर्दनाक है. हर एक मौत पर तृणमूल कांग्रेस को अफसोस है. पंचायत चुनाव से पहले बंगाल को नकारात्मक रूप में दिखाने की स्क्रिप्ट तैयार की गई थी. यह विपक्षी दलों की योजना थी, जिसकी तृणमूल ने चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही निंदा की थी.’
माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने ट्विटर पर खेत में पड़ीं खुले मतपेटियों और पानी से भरे गड्ढे में मत-पत्रों का एक वीडियो साझा किया. उन्होंने लिखा, ‘मतदान खत्म हो गया. एक बूथ पर मत-पत्रों, मतपेटियों की स्थिति. वैसे यह तस्वीर डायमंड हार्बर की है.’
Vote is over! Condition of the ballots, ballot boxes in one of the booths. Btw this pic is from Diamond Harbour. TMC did exactly what they practiced during ‘Bhepon Yatra’ under the patronage of @WBPolice pic.twitter.com/B2DYzbxyZx
— Md Salim (@salimdotcomrade) July 8, 2023
वहीं, हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा, ‘राज्य में और विशेष रूप से मुर्शिदाबाद में स्थिति बहुत तनावपूर्ण और प्रतिकूल है. मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछना चाहता हूं कि आप किस तरह का लोकतंत्र चाहती हैं? आपके हाथ खून से रंगे हैं.’