यंग विमेन क्रिश्चियन एसोसिएशन ऑफ दिल्ली के बाद एक पखवाड़े के भीतर अपना एफसीआरए लाइसेंस खोने वाला सद्भावना ट्रस्ट दूसरा महिला-केंद्रित एनजीओ है. दो और एनजीओ सीएनआई शिशु संगोपन गृह और प्रोग्राम फॉर सोशल एक्शन ने भी हाल ही में अपने लाइसेंस खो दिए हैं.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सद्भावना ट्रस्ट का विदेशी योगदान पंजीकरण अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द कर दिया है. दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) दलित और मुस्लिम महिलाओं के लिए काम करने में सक्रिय है.
इकोनॉमिक्स टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अब यह संगठन विदेशी अनुदान प्राप्त करने या उपयोग करने में असमर्थ होगा.
अधिकारियों ने अखबार को बताया कि एफसीआरए के उल्लंघनों में ट्रस्ट द्वारा नई दिल्ली में नामित भारतीय स्टेट बैंक में एफसीआरए बैंक खाता खोलने में विफलता भी शामिल है.
ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट बताती है कि इसे 1990 में सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा पंजीकृत किया गया था, जिन्होंने दशकों पहले मेहरौली मजदूरों के साथ काम किया था. वेबसाइट के अनुसार, ट्रस्ट अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी में काम करता है और मुख्य रूप से देश के पिछड़े क्षेत्रों में ग्रामीण महिलाओं के लाभ के लिए काम करता है.
रिपोर्ट के अनुसार, यंग विमेन क्रिश्चियन एसोसिएशन ऑफ दिल्ली के बाद एक पखवाड़े के भीतर अपना एफसीआरए लाइसेंस खोने वाला यह दूसरा महिला-केंद्रित एनजीओ है.
दो और एनजीओ सीएनआई शिशु संगोपन गृह और प्रोग्राम फॉर सोशल एक्शन (पीएसए) ने भी हाल ही में अपने लाइसेंस खो दिए हैं.
जुलाई की शुरुआत में 80 सेवानिवृत्त सिविल सेवकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भारत के हाशिये पर रहने वाले वर्गों के लिए काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठनों के साथ ‘प्रतिद्वंद्वितापूर्ण संबंध के बजाय सहयोगात्मक संबंध अपनाने’ का आह्वान किया था.
उन्होंने हाल के दिनों में कई गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने या निलंबित करने पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था, ‘मतभेद या असहमति की हर अभिव्यक्ति को देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन या सार्वजनिक हित के खिलाफ नहीं माना जा सकता है.’
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