ईडी निदेशक सेवा विस्तार: विपक्ष ने की माफ़ी की मांग, अमित शाह बोले- ख़ुशियां मनाने वाले भ्रमित

बीते वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें कोई और सेवा विस्तार न देने का आदेश दे चुका था. मंगलवार को शीर्ष अदालत ने उसके आदेश के बाद मिश्रा को दिए दो सेवा विस्तारों को अवैध क़रार दिया है.

एसके मिश्रा (बाएं) और अमित शाह. (फोटो: ट्विटर और फाइल)

बीते वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें कोई और सेवा विस्तार न देने का आदेश दे चुका था. मंगलवार को शीर्ष अदालत ने उसके आदेश के बाद मिश्रा को दिए दो सेवा विस्तारों को अवैध क़रार दिया है.

एसके मिश्रा (बाएं) और अमित शाह. (फोटो: ट्विटर और फाइल)

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख एसके मिश्रा को केंद्र द्वारा दिए गए सेवा विस्तारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध ठहराए जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 जुलाई की शाम ट्वीट करके ईडी और उसके प्रमुख का बचाव किया.

विपक्षी नेता, जो मामले में याचिकाकर्ता हैं, फैसले के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार से देश से माफी मांगने के लिए मांग कर रहे हैं.

ज्ञात हो कि मंगलवार को जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने कहा कि आगे ईडी प्रमुख मिश्रा को आगे सेवा विस्तार देने पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें दिए गए दो सेवा विस्तार अवैध थे.

हालांकि, केंद्र सरकार के इस आग्रह को ध्यान में रखते हुए कि ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग- फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की एक महत्वपूर्ण समीक्षा में उनका नेतृत्व महत्वपूर्ण है, मिश्रा को 31 जुलाई तक अपनी भूमिका में बने रहने की अनुमति दे दी गई.

अदालत ने यह भी माना कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम- जिसे लाने के लिए सरकार ने पिछले साल एक अध्यादेश जारी किया था- में संशोधन को लेकर उसके पास बहुत कम शक्ति है. इन संशोधनों में कहा गया है कि ईडी और सीबीआई प्रमुखों का कार्यकाल दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, इसे ही गृहमंत्री शाह ने जीत का संकेत माना. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘ईडी मामले पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी मनाने वाले लोग विभिन्न कारणों से भ्रमित हैं: सीवीसी अधिनियम में संशोधन, जिसे संसद द्वारा विधिवत पारित किया गया था, को बरकरार रखा गया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जो लोग भ्रष्ट है और कानून के खिलाफ काम करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने की ईडी की शक्तियां वही रहेंगी. ईडी एक ऐसी संस्था है जो किसी एक व्यक्ति से ऊपर उठकर है और अपने मूल उद्देश्य को प्राप्त करने पर केंद्रित है- यानी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करना.’

शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने शाह के बयान पर पूछा, ‘क्या यह भारत के गृह मंत्री की ओर से परोक्ष धमकी है? क्या जो लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी मना रहे हैं, उनके दरवाजे पर ईडी होगी (भले ही इसका प्रमुख कोई भी हो)?’

ईडी ने अक्सर भाजपा का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बनाया है. अक्सर जब नेताओं के पीछे ईडी पड़ती है तो वे अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते हैं, फिर उनके खिलाफ मामलों की प्रगति रुक सी जाती है.

महाराष्ट्र में हाल ही में भाजपा में शामिल हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नौ विधायकों में से अजीत पवार समेत पांच की जांच ईडी सहित विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं.

शाह ने यह भी कहा, ‘इस प्रकार, ईडी निदेशक कौन है- यह महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि जो कोई भी इस भूमिका को ग्रहण करेगा वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले वंशवादियों के बड़े पैमाने पर किए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगा.’

गौरतलब है कि 61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था.

बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.

केंद्र के 2020 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही यह कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

उस समय जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा विस्तार दिया था. इसके बाद अदालत में याचिका दायर की गई थी. इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, मिश्रा को 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दे दिया गया.

हालांकि, सरकार ने नवंबर 2021 में दो अध्यादेश जारी किए जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने फैसले को ‘न्याय की जीत’ कहा. उन्होंने निम्न प्रश्न भी पूछे;

1. क्या 17 नवंबर, 2021 के बाद ईडी निदेशक द्वारा की गई सभी कार्रवाइयां अवैध और दागदार नहीं हैं?

2. क्या 17 नवंबर 2021 के बाद ईडी निदेशक द्वारा लिए गए हर फैसले की स्वतंत्र समीक्षा और जांच नहीं होनी चाहिए?

3. क्या उन राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की जानी चाहिए, जिन्होंने 17 नवंबर 2021 और 17 नवंबर 2022 को ईडी निदेशक को दो अवैध सेवा विस्तार दिए; फिर चाहे वह स्वयं प्रधानमंत्री ही क्यों न हों?

इस मामले की एक अन्य याचिकाकर्ता तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने लिखा है कि विपक्षी दल ‘कभी भी सरेंडर नहीं करेंगे.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘ईडी निदेशक को दिया गया विस्तार पूरी तरह से अवैध था… सुप्रीम कोर्ट ने आज यही कहा… कांग्रेस पहले दिन से ही यही कह रही थी. इसलिए, कांग्रेस पार्टी आज पूरी तरह से सही साबित हुई है. मकसद गैरकानूनी तरीकों से ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाना था. यह (एससी आदेश) वास्तव में सरकार के चेहरे पर एक करारा तमाचा है.’

कांग्रेस ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने और गैर-भाजपा शासित राज्यों में निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने के लिए एजेंसियों का ‘दुरुपयोग’ कैसे कर रही है.

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