दिल्ली में यमुना नदी के ख़तरे के निशान को पार करने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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उत्तर भारत के कई राज्यों में हुई भारी बारिश के बीच दिल्ली में यमुना का जलस्तर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. नवभारत टाइम्स के अनुसार, इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री को चिट्ठी लिखकर मदद भी मांगी है. ख़बरों के अनुसार, यमुना का जलस्तर 207.71 मीटर है, जो अब तक का उच्चतम है और खतरे के निशान 205.33 मीटर से काफी ऊपर है. अपने पत्र में केजरीवाल ने हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने को बढ़े जलस्तर का कारण बताते हुए गृह मंत्री से अपील की है कि अब से  बैराज से सीमित गति से पानी छोड़ा जाए. इस बीच, उन्होंने दिल्ली के निचले इलाके के रहवासियों से घर खाली करने का आग्रह भी किया है. वहीं, दिल्ली पुलिस ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को दूर रखने के लिए धारा 144 लागू कर दी है.

फ्रांस के एक मजिस्ट्रेट ने रफाल सौदे में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को लेकर भारत सरकार से सहयोग मांगा है. फ्रांसीसी इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मेदियापार ने बताया है कि पेरिस मजिस्ट्रेट ने भारत सरकार को एक आधिकारिक अनुरोध भेजा है, जिसमें दासो एविएशन द्वारा कथित तौर पर भारत में 36 रफाल लड़ाकू विमानों की बिक्री के लिए 2015-16 में हुए सौदे के हिस्से के तौर पर किए गए भुगतान को लेकर चल रही जांच में सहयोग मांगा है. रिपोर्ट में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 की पेरिस यात्रा के बाद कारोबारी अनिल अंबानी द्वारा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉ और वित्त मंत्री को भेजे गए पत्र का भी ख़ुलासा किया गया है, जिसमें उन्होंने 151 मिलियन यूरो के टैक्स बिल को कम करने की मांग की थी.

फ्रांस में रहने वाले चेक मूल के कथाकार मिलान कुंदेरा का बुधवार को निधन हो गया. वे 94 वर्ष के थे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वे लंबे समय से बीमार थे. कुंदेरा को भावनाओं और रिश्तों पर लिखे उपन्यासों के लिए जाना जाता है. उनकी उत्कृष्ट और सर्वाधिक चर्चित कृति ‘द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ प्राग की पृष्ठभूमि में सोवियत के आक्रमण के समय एक युवा जोड़े और उनके कुत्ते की कहानी है. 1984 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब ने कुंदेरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी थी. उन्होंने चेक गणराज्य की कम्युनिस्ट सरकार की आलोचना करती ‘द जोक’ भी लिखी थी, जिसके बाद उन्होंने देश छोड़ना पड़ा. कम्युनिस्ट सरकार ने देश में उनकी किताबों को बैन भी कर दिया था.

मणिपुर सरकार ने बीते 7 सालों में पूर्वोत्तर में सर्वाधिक बंदूक लाइसेंस जारी किए हैं. द वायर की एक रिपोर्ट में एक आरटीआई आवेदन के जवाब के हवाले से बताया है कि बीते दो महीनों से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में इस समय 35,117 सक्रिय बंदूक लाइसेंस हैं. यह संख्या दिसंबर 2016 में 26,836 थी. साल 2017 में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से लगभग 8,000 बंदूक लाइसेंस जारी किए गए हैं.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि देश की राजनीतिक पार्टियों के लिए चंदे का मुख्य स्रोत चुनावी बॉन्ड हैं. द हिंदू के अनुसार, एडीआर ने 2016-17 और 2021-22 के बीच राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विश्लेषण किया है, जिसमें सामने आया है कि इस अवधि में भाजपा को अन्य सभी राष्ट्रीय दलों की तुलना में तीन गुना अधिक चंदा मिला, जिसमें से 52%से अधिक चुनावी बॉन्ड से आया. रिपोर्ट के अनुसार, सात राष्ट्रीय और 24 क्षेत्रीय दलों को चुनावी बॉन्ड से कुल 9,188.35 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसमें से भाजपा का हिस्सा 5,271.9751 करोड़ रुपये था, जबकि अन्य सभी राष्ट्रीय दलों ने मिलकर 1,783.9331 करोड़ रुपये एकत्र किए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें अपराध में दोषी साबित हो चुके सांसदों/विधायकों के आजीवन चुनाव न लड़ने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, ऐसे मामलों में आजीवन प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका सुनते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि विधायकों पर प्रतिबंध लगाना विधायी नीति का मामला है. जब विधायिका छह साल के प्रतिबंध की बात करती है तो वे (कोर्ट) आजीवन प्रतिबंध लगाने की बात कैसे कह सकते हैं. पीठ यह भी जोड़ा कि अदालतें दोषी सांसदों/विधायकों के लिए अयोग्यता की अवधि निर्दिष्ट नहीं कर सकती हैं और इसका दायरा प्रावधान को दी गई चुनौती की वैधता की जांच करने तक ही सीमित है.

अरुणाचल प्रदेश की एक महिला पुलिसकर्मी ने उनके सीनियर अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कॉन्सटेबल के तौर पर काम करने वाली महिला ने एक ज़िले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाया है कि वह देर रात मैसेज कर यौन संबंध बनाने की मांग करते थे. जून महीने में उक्त अधिकारी का तबादला दिल्ली किए जाने की सूचना है. अख़बार के अनुसार, इस मामले में एक स्थानीय शिकायत समिति (एलसीसी) का गठन कर जांच शुरू की गई है.

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