यूएनएचआरसी: स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के विरोध में लाए गए प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया

जून के आख़िर में स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने धार्मिक नफ़रत का मुक़ाबला करने के लिए मसौदा प्रस्ताव अपनाया है. भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया है. हालांकि भारत ने क़ुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई निंदा की है.

जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद. (फोटो साभार: United Nations Photo/Flickr CC BY NC ND 2.0)

जून के आख़िर में स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने धार्मिक नफ़रत का मुक़ाबला करने के लिए मसौदा प्रस्ताव अपनाया है. भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया है. हालांकि भारत ने क़ुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई निंदा की है.

जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद. (फोटो साभार: United Nations Photo/Flickr CC BY NC ND 2.0)

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने स्वीडन में कुरान जलाने की घटना के बाद धार्मिक नफरत का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत मसौदा प्रस्ताव को अपनाया है और भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है.

मसौदा प्रस्ताव को एक बार पेश किए जाने के बाद मौखिक रूप से संशोधित किया गया था. इसका शीर्षक ‘भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को बढ़ावा देने वाली धार्मिक घृणा का मुकाबला करना’ है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जून के अंत में स्वीडन राजधानी स्टॉकहोम स्थित केंद्रीय मस्जिद के बाहर एक व्यक्ति ने कुरान की एक प्रति फाड़कर जला दी थी. स्वीडिश पुलिस ने उस पर एक जातीय या राष्ट्रीय समूह के खिलाफ आंदोलन करने का आरोप लगाया था.

अमेरिका और महत्वपूर्ण रूप से तुर्की (स्वीडन जिसका समर्थन नाटो में शामिल होने के प्रयास में करना चाहता है) दोनों ने इस घटना की आलोचना की थी.

रॉयटर्स की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी), जिसमें 57 देश शामिल हैं, ने इस घटना को ‘घृणास्पद, अपमानजनक और उकसावे की एक स्पष्ट कार्रवाई’ कहा था, जो नफरत को बढ़ावा देती है और मानवाधिकारों का उल्लंघन है.

ओआईसी की ओर से पाकिस्तान ने मसौदा प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें ‘कुछ यूरोपीय और अन्य देशों’ में कुरान को ‘सार्वजनिक रूप से जलाने की बार-बार होने वाली घटनाओं’ की निंदा की गई थी.

प्रस्ताव पर पश्चिमी राजनयिकों के विरोध के बावजूद 19 ओआईसी देश, जो 47-सदस्यीय मानवाधिकार परिषद के मतदान सदस्य हैं, और चीन जैसे अन्य देशों ने उनके मसौदा प्रस्ताव समर्थन किया था.

इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 12 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस बेल्जियम, जर्मनी, रोमानिया, लिथुआनिया, कोस्टा रिका और फिनलैंड शामिल हैं, जबकि नेपाल, पैराग्वे, जॉर्जिया, बेनिन, चिली, होंडुरास और मेक्सिको अनुपस्थित रहे.

भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम और यूक्रेन सहित 28 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.

भारत ने बुधवार को अपने वोट के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है, लेकिन उसने 11 जुलाई को बहस के दौरान एक बयान दिया था. हालांकि, बयान में स्वीडन की घटना का कोई स्पष्ट संदर्भ नहीं दिया गया था. भारत ने कुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की है और न ही कोई सीधी निंदा की है.

भारत ने कहा था कि सभी धर्मों के प्रति ‘भय’ में वृद्धि हुई है. हालांकि उसने इस्लाम का नाम नहीं लिया.

भारत की ओर से कहा गया था, ‘दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हमने मंदिरों और मूर्तियों की क्षति और विनाश, मूर्तियों के अपमान, गुरुद्वारा परिसर का उल्लंघन, सिख तीर्थयात्रियों का नरसंहार और धार्मिक असहिष्णुता के कई कृत्य देखे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सभी धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ असहिष्णुता, पूर्वाग्रह, भय और हिंसा की घटनाओं को पहचानने और उन्हें खत्म करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है.’

इसके अलावा भारत ने दावा किया था कि उसकी सहिष्णुता उसके ‘सभ्यतागत लोकाचार’ पर आधारित है, जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है.

भारतीय प्रतिधिनियों की ओर से कहा गया, ‘वसुधैव कुटुंबकम यानी ‘विश्व एक परिवार है’, पर भारत का सभ्यतागत जोर, सभी धर्मों के अनुयायियों के खिलाफ निर्देशित सभी प्रकार की धार्मिक नफरत, भेदभाव और असहिष्णुता को खत्म करने का आधार प्रदान करता है. अब समय आ गया है कि सभी सदस्य देश सभी धर्मों के लिए समान सम्मान और उनके शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की संस्कृति के निर्माण के लिए हाथ मिलाएं.’

मतदान के बाद अमेरिका की मिशेल टेलर ने कहा कि अगर अधिक समय होता तो आम सहमति बन सकती थी.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से हमारी चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया. मैं वास्तव में इस बात से दुखी हूं कि यह परिषद आज सर्वसम्मति से उस बात की निंदा करने में असमर्थ रही, जिस पर हम सभी सहमत हैं, यह मुस्लिम विरोधी घृणा के निंदनीय कृत्य हैं.’

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि खलील हासमी ने पश्चिम पर धार्मिक घृणा को रोकने की अपनी प्रतिबद्धता के प्रति ‘जबानी दिखावा’ करने का आरोप लगाया.

रॉयटर्स के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘कमरे में कुछ लोगों का विरोध पवित्र कुरान या किसी अन्य धार्मिक पुस्तक के सार्वजनिक अपमान की निंदा करने की उनकी अनिच्छा से उत्पन्न हुआ है. उनके पास इस कृत्य की निंदा करने के लिए राजनीतिक, कानूनी और नैतिक साहस की कमी है और परिषद उनसे न्यूनतम उम्मीद कर सकती थी.’

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