माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, पिछले तीन साल में देश में अमीर और ग़रीब के बीच आर्थिक असमानता तेज़ी से बढ़ी है.
नई दिल्ली: माकपा नेता सीताराम येचुरी ने पिछले तीन साल में आर्थिक असमानता की खाई बढ़ने के लिये केंद्र सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.
येचुरी ने आज अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज की सालाना रिपोर्ट में भारत की वित्तीय साख को ऊंची श्रेणी में रखने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न मानकों की जमीनी हकीकत बताती है कि एक तरफ रोजगार और विकास की दर घट रही है वहीं ग्रामीण असंतोष, कुपोषण, लैंगिक भेदभाव और भुखमरी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं.
All indices of real lives of Indians: Jobs, Growth: are down. Rural distress, Malnutrition, gender gap and hunger is worsening.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 17, 2017
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने 13 साल बाद भारत की वित्तीय साख को ऊंचा करते हुए बीएए2 श्रेणी में रखा है. इससे पहले मूडीज की सूची में भारत निचली श्रेणी बीएए3 में रखा गया था.
येचुरी ने ट्वीट में कहा है कि तीन साल में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ी है. भारतीय संपत्ति का 58 प्रतिशत हिस्सा एक प्रतिशत लोगों के पास है. उन्होंने इसे अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ने का स्पष्ट सबूत बताते हुए कहा, सरकार आखिरकर किसे बेवकूफ बना रही है.
Modi govt wants the poor, the hungry, protesting farmers, jobless and those hit by the Economy crumbling, to eat these 'ratings'?
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 17, 2017
आर्थिक मोर्चे पर सरकार को विफल बताते हुए येचुरी ने सरकार से पूछा क्या मोदी सरकार यह चाहती है कि गरीब, भूखे, आंदोलनरत किसान और बेरोजगार हुए लोग आर्थिक बदहाली के इन आंकड़ों को खाएं.
उन्होंने सरकार की अर्थनीति को ‘जुमलानॉमिक्स’ बताते हुए कहा कि यह हालत भाजपा की गलत आर्थिक नीतियों के पीड़ितों और नाउम्मीद हुए लोगों के प्रति भद्दा मजाक है.
इसके पहले गुरुवार को माकपा नेता येचुरी ने किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी मोदी के वादे पर हमला बोला था. उन्होंने लिखा, ‘मोदी सरकार के पास किसानों की आय दोगुनी करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने जैसे जुमले हैं. जबकि सच यह है कि किसानों की समस्या बढ़ रही है, जबकि अमीर डिफाल्टरों को जनता के पैसे से कर्ज से मुक्ति दी जा रही है.’