जम्मू कश्मीर: प्रशासन ने घाटी में बार एसोसिएशन के चुनाव कराने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पिछले तीन वर्षों से बिना किसी निर्वाचित निकाय के है क्योंकि सरकार ने दो साल पहले भी उन्हें चुनाव कराने से रोक दिया था. पिछले कुछ वर्षों में बार को अलगाववाद समर्थक के रूप में देखा गया है.

(फोटो साभार: एएनआई)

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पिछले तीन वर्षों से बिना किसी निर्वाचित निकाय के है, क्योंकि सरकार ने दो साल पहले भी उन्हें चुनाव कराने से रोक दिया था. पिछले कुछ वर्षों में बार को अलगाववाद समर्थक के रूप में देखा गया है.

(फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: श्रीनगर के उपायुक्त अजाज असद ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जेकेएचसीबीए) श्रीनगर के चुनाव कराने पर रोक लगा दी है. उपायुक्त ने अगले आदेश तक चुनाव कराने के उद्देश्य से अदालत परिसर या किसी अन्य स्थान के अंदर प्रतिबंध लगा दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन पिछले तीन वर्षों से बिना किसी निर्वाचित निकाय के है, क्योंकि सरकार ने दो साल पहले भी उन्हें चुनाव कराने से रोक दिया था. पिछले कुछ वर्षों में बार को अलगाववाद समर्थक के रूप में देखा गया है.

श्रीनगर के उपायुक्त, जो जिला मजिस्ट्रेट भी हैं, द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, ‘मैंने अपने सामने रखे गए मामले के भौतिक तथ्यों पर गौर किया है और मैं संतुष्ट हूं कि एक आकस्मिक स्थिति मौजूद है, अगर जेकेएचसीबीए निर्धारित चुनावों को कराता है तो शांति भंग हो सकती है और सार्वजनिक व्यवस्था में खलल पड़ सकता है.’

आदेश में आगे लिखा है, ‘इसलिए, मैं श्रीनगर का जिला मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 144 के तहत मुझमें निहित शक्तियों के आधार पर निर्देश देता हूं कि बटमालू के जिला न्यायालय परिसर या चुनाव आयोजित करने की किसी अन्य जगह पर अगले आदेश तक 4 या अधिक लोगों के एकत्र होने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’

श्रीनगर हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील, जो जेकेएचसीबीए के तदर्थ (एड-हॉक) निकाय का भी हिस्सा हैं, ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चुनाव कराने का कोई प्रस्ताव नहीं है और नए आदेश का उद्देश्य बार एसोसिएशन को ‘निष्क्रिय’ बनाना है.

उन्होंने कहा, ‘एक हालिया बैठक के दौरान एक प्रस्ताव रखा गया था कि बार एसोसिएशन के चुनाव कराए जाने चाहिए. केवल उसी पर चर्चा हुई थी. फिलहाल चुनाव कराने का कोई प्रस्ताव नहीं है.’

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन 2020 से एक तदर्थ निकाय द्वारा चलाया जा रहा है, जब पिछले निकाय का कार्यकाल समाप्त हो गया था. एसोसिएशन पिछले निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब नए चुनाव की तैयारी कर रहा था, सरकार ने चुनाव कराने पर रोक लगा दी.

आदेश में कहा गया है कि बार एसोसिएशन के चुनाव होने पर ‘शांति भंग’ होने की आशंका है.

आदेश में लिखा है, ‘वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) श्रीनगर ने बताया है कि 13/07/2023 को श्रीनगर के कोर्ट कॉम्प्लेक्स में कश्मीर अधिवक्ता संघ (केएए) द्वारा आयोजित बैठक के दौरान जेकेएचसीबीए के नाम से एक अन्य एसोसिएशन के सदस्य बार रूम में घुस गए और केएए के सदस्यों पर चिल्लाना शुरू कर दिया, जिसके चलते दोनों गुटों के बीच हाथापाई हो गई.’

आदेश में आगे लिखा है, ‘श्रीनगर के एसएसपी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वकीलों के दो गुटों के बीच आंतरिक प्रतिद्वंद्विता की पूरी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप उनके बीच झड़पें हो सकती हैं. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि जेकेएचसीबीए का अधिवक्ताओं के अन्य समूहों को डराने-धमकाने और उकसाने का पुराना इतिहास रहा है, जिससे शांति भंग हो सकती है.’

जहां बार एसोसिएशन के पास एक तदर्थ निकाय है, वहीं अधिवक्ताओं का एक नया निकाय – जिसका नाम कश्मीर अधिवक्ता संघ है – हाल ही में बनाया गया था.

बार एसोसिएशन का कहना है कि अधिवक्ता संघ को सरकार का समर्थन प्राप्त है. तदर्थ निकाय के एक सदस्य ने कहा, ‘यह वकीलों का एक समूह है, खासकर युवा वकीलों का. उनमें से बड़ी संख्या में स्थायी सरकारी वकील हैं.’

श्रीनगर के उपायुक्त ने एसएसपी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके आदेश का कार्यान्वयन किया जाए और साथ ही कहा है कि आदेश का उल्लंघन होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.