जम्मू कश्मीर: पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों का साथ देने के आरोप में तीन कर्मचारी बर्ख़ास्त

जम्मू कश्मीर सरकार ने तीनों कर्मचारियों को बर्ख़ास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया, जो सरकार को बिना जांच किए किसी कर्मचारी को बर्ख़ास्त करने की अनुमति देता है. पिछले डेढ़ साल में सरकार ने राज्य की सुरक्षा के लिए ‘ख़तरा’ होने के कारण लगभग 52 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की हैं.

(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर सरकार ने तीनों कर्मचारियों को बर्ख़ास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया, जो सरकार को बिना जांच किए किसी कर्मचारी को बर्ख़ास्त करने की अनुमति देता है. पिछले डेढ़ साल में सरकार ने राज्य की सुरक्षा के लिए ‘ख़तरा’ होने के कारण लगभग 52 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर सरकार ने कथित तौर पर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ काम करने के आरोप में तीन राज्य कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों कर्मचारियों को आतंकवादियों को सक्रिय रूप से रसद मुहैया कराने और आतंकवादी संगठनों के लिए वित्त जुटाने की कोशिश करने के लिए सेवा से हटा दिया गया है.

जम्मू कश्मीर सरकार ने तीनों कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान की धारा 311 (2) (सी) का इस्तेमाल किया, जो सरकार को किसी कर्मचारी को बिना जांच किए बर्खास्त करने की अनुमति देता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नवीनतम कदम सरकार द्वारा उसी कानून के तहत शोपियां बलात्कार-हत्या विवाद में कथित रूप से शामिल दो डॉक्टरों की सेवाओं को समाप्त करने के एक महीने से भी कम समय बाद आया है.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) फहीम असलम, राजस्व अधिकारी मुरावत हुसैन मीर और पुलिस अधिकारी अरशद अहमद थोकर को बर्खास्त करने का आदेश सोमवार को दिया गया.

फहीम असलम के पास कश्मीर विश्वविद्यालय से जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है. वह 2008 से विश्वविद्यालय में पीआरओ हैं. इससे पहले उन्होंने स्थानीय अंग्रेजी दैनिक ‘ग्रेटर कश्मीर’ के लिए एक संवाददाता के रूप में काम किया था.

दक्षिण कश्मीर के रहने वाले मुरावत मीर को 1985 में राजस्व विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था.

अरशद थोकर को 2006 में जम्मू कश्मीर पुलिस की सशस्त्र शाखा में एक कॉन्स्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में उन्हें 2009 में पुलिस की कार्यकारी विंग में स्थानांतरित कर दिया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, अनुच्छेद 311(2)(सी) सरकार को कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उनके आचरण की जांच का आदेश दिए बिना उन्हें बर्खास्त करने की अनुमति देता है.

पिछले डेढ़ साल में जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य की सुरक्षा के लिए ‘खतरा’ होने के कारण लगभग 52 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की हैं. हालांकि सरकार ने कर्मचारियों को बर्खास्त करने का कारण न तो उन्हें और न ही मीडिया को बताया है. हटाए गए कर्मचारियों में छह जम्मू क्षेत्र से हैं, जबकि बाकी कश्मीर घाटी से हैं.