महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली समिति की मंशा पर सवाल उठाया है.कुछ ने आरोप लगाया है कि आरोपी को बचाने के लिए जांच समिति उनके बयानों से छेड़छाड़ कर सकती है. समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पहलवानों ने मामले की जांच करने वाली समिति की मंशा पर सवाल उठाया है.
पहलवानों ने आरोप लगाया है कि मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोप-पत्र में कहा गया है कि यह (समिति) उनके (बृजभूषण) प्रति पक्षपाती (Biased – झुकाव रखने वाली) थी.
इस बीच बृजभूषण और डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर, अपने खिलाफ जारी समन के अनुपालन में मंगलवार (18 जुलाई) को सुनवाई अदालत में पेश हुए. इसी बीच, पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दो दिनों के लिए अंतरिम जमानत दे दी.
दिग्गज भारतीय मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम के नेतृत्व में सरकार द्वारा गठित छह सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतकर्ताओं ने अपने अलग-अलग बयानों में आरोप लगाया कि समिति बृजभूषण शरण सिंह, जो एक भाजपा सांसद भी हैं, के प्रति पक्षपाती प्रतीत होती है.
1599 पन्नों की चार्जशीट में 44 गवाहों के बयान के अलावा शिकायतकर्ताओं के छह बयान शामिल हैं, जो सीआरपीसी 164 के तहत दर्ज किए गए थे.
एक शिकायतकर्ता ने कहा, ‘समिति के समक्ष अपना बयान देने के बाद जब भी मैं फेडरेशन कार्यालय गई, आरोपी ने मुझे घृणित और कामुक नजरों से देखा और गलत इशारे किए, जिससे मुझे असुरक्षित महसूस हुआ.’
पहलवान ने अपने बयान में आगे कहा, ‘यहां तक कि जब मैं अपना बयान दे रही थी तो वीडियो रिकॉर्डिंग भी बंद और चालू की जा रही थी और मेरे अनुरोध के बावजूद समिति ने मुझे मेरी वीडियो रिकॉर्डिंग की एक प्रति नहीं दी. मुझे डर है कि मेरा बयान पूरी तरह से दर्ज नहीं किया गया होगा और हो सकता है आरोपियों को बचाने के लिए इसमें छेड़छाड़ की गई होगी.’
एक अन्य शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे उसकी सहमति के बिना ऐसे मामलों को देखने के लिए डब्ल्यूएफआई यौन उत्पीड़न समिति का हिस्सा बनाया गया था. उन्होंने कहा कि सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों के पास आंतरिक शिकायत समिति होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निगरानी समिति ने उन्हें रिकॉर्डिंग मांगने पर उपलब्ध नहीं कराई.
उन्होंने कहा, ‘मुझे आशंका है कि वीडियो पर मेरा बयान पूरी तरह से रिकॉर्ड नहीं किया गया होगा या आरोपियों को बचाने के प्रयास में बदल दिया गया होगा और इसलिए मैंने वीडियो रिकॉर्डिंग की एक प्रति के लिए अनुरोध किया. हालांकि, समिति के सदस्यों ने इससे साफ इनकार कर दिया.’
वहीं, दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने को उचित ठहराते हुए कहा है कि बृजभूषण शरण सिंह और डब्ल्यूएफआई के सहायक सचिव विनोद तोमर दोनों ने जांच में शामिल होकर कानून का पालन किया है.
गौरतलब है कि एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने इस साल अप्रैल में सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी की अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं.
हालांकि नाबालिग और उसके पिता, जो शिकायतकर्ता थे, ने बाद में मजिस्ट्रेट के सामने एक ताजा बयान में सिंह के खिलाफ अपने आरोप वापस ले लिए थे. आरोप है कि ऐसा उसने लगातार मिल रहीं धमकियों के चलते किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने पुलिस ने छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, हमला और पीछा करने के आरोप में सिंह के खिलाफ 1500 पन्नों का आरोप-पत्र दायर किया था.
आरोप-पत्र छह पहलवानों की गवाही, गवाहों के बयान और तकनीकी साक्ष्य जैसे फोटो, वीडियो और कॉल डिटेल रिकॉर्ड का संकलन है. पुलिस ने शिकायतों की पुष्टि के लिए फोटो और वीडियो साक्ष्य का हवाला दिया.
बीते 21 अप्रैल को 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस द्वारा मामला दर्ज न किए जाने पर पहलवान जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे और अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर मानते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थी, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.