बीते 15 जुलाई को राजस्थान के जोधपुर स्थित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय परिसर में 17 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार काम मामला सामने आया था. तीन आरोपियों के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सदस्य होने के पुलिस के आरोप का भाजपा नेताओं ने खंडन किया है.
नई दिल्ली: राजस्थान के जोधपुर शहर स्थित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय परिसर में 17 वर्षीय दलित लड़की के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के बाद राज्य में तब राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है, जब पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपी भाजपा की छात्र शाखा ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ (एबीवीपी) के सदस्य हैं. भाजपा नेताओं ने इस दावे का खंडन किया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अजमेर जिले के ब्यावर से नाबालिग दलित लड़की अपने साथी के साथ भागकर शनिवार (15 जुलाई) देर रात जोधपुर आ गई थी. वे शहर में आवास की तलाश कर रहे थे, जब तीन आरोपियों ने उन्हें यह कहकर फुसलाया कि वे रात के लिए आश्रय दे सकते हैं. इसके बाद आरोपी उन्हें विश्वविद्यालय के हॉकी मैदान में ले गए और कथित तौर पर लड़की के प्रेमी की पिटाई करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया.
कथित बलात्कारियों को अपराध के दो घंटे बाद गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी पहचान धर्मपाल सिंह, समंदर सिंह भाटी और भट्टम सिंह के रूप में की गई, जिनकी उम्र 20 से 22 साल के बीच है.
पुलिस ने कहा कि आरोपी विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव के लिए एबीवीपी से टिकट चाहने वाले एक छात्र नेता के लिए प्रचार कर रहे थे.
भाजपा और एबीवीपी दोनों ने आरोपियों के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. भाजपा विधायकों ने सोमवार (17 जुलाई) को राज्य विधानसभा में उस समय हंगामा किया, जब निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने उन पर सामूहिक बलात्कार का मुद्दा नहीं उठाने का आरोप लगाया, क्योंकि इसमें एबीवीपी के सदस्य शामिल थे.
विपक्ष (भाजपा) के नेता राजेंद्र राठौड़ ने लोढ़ा की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और मांग की कि उन्हें कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा दिया जाए.
जब सदन के पीठासीन अधिकारी ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखने के बाद ही मांग पर विचार करेंगे, तो भाजपा सदस्यों ने नारेबाजी की और कार्यवाही बाधित की, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी.
जोधपुर और जयपुर दोनों जगहों पर घटना के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस की छात्र शाखा, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और एबीवीपी के सदस्य आपस में भिड़ गए. पुलिस ने दोनों स्थानों पर उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा के अग्रिम संगठन से जुड़े लोगों की स्पष्ट संलिप्तता ने पार्टी का ‘असली चेहरा और चरित्र’ उजागर कर दिया है.
गहलोत ने ट्वीट किया, ‘भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा इस घटना पर चुप हैं. उन्होंने इसकी निंदा भी नहीं की, जो महिला सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा की गंभीरता को दर्शाता है.’
गहलोत ने कहा कि पुलिस ने जिस तत्परता से मात्र दो घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, वह सराहनीय है. उन्होंने कहा, ‘चाहे आरोपी कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों, राज्य सरकार दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाएगी और निर्दोष लड़की को न्याय दिलाएगी.’
राज्य सरकार के सूत्रों ने बुधवार (19 जुलाई) को एक आरोपी धर्मपाल सिंह की एबीवीपी सदस्यता की रसीद जारी की, जिसमें दिखाया गया कि वह 21 सितंबर, 2021 से सदस्य है. रसीद पर एबीवीपी जोधपुर प्रांत (ब्लॉक) अध्यक्ष बलवीर चौधरी के हस्ताक्षर हैं.
तीनों आरोपियों पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.