हाल के महीनों में ऐसे स्वस्थ व्यक्तियों, जिन्हें कोविड-19 संक्रमण हुआ था, की हृदय संबंधी विकारों से अचानक मृत्यु में असामान्य वृद्धि की ख़बरें आई हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि इस बारे में तथ्यों का पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद तीन अध्ययन कर रहा है.
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने संसद में बताया कि कुछ ऐसे युवाओं की अचानक मौत की सूचनाएं मिली हैं जो कोविड-19 से संक्रमित हुए थे, लेकिन ऐसी मौतों के कारण की पुष्टि करने के लिए वर्तमान में पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
मंडाविया का जवाब 21 जुलाई (शुक्रवार) को लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रवींद्र कुशवाह और खगेन मुर्मू के एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में आया. सांसदों ने पूछा कि क्या कोविड-19 महामारी के बाद देश भर में कार्डियक अरेस्ट से मरने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है.
जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘कोविड-19 के बाद कुछ युवाओं की अचानक मौत की सूचना मिली है. हालांकि, वर्तमान में ऐसी मौतों के कारण की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं हैं. कोविड-19 के बाद कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों की आशंका के बारे में तथ्यों का पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) तीन अध्ययन कर रहा है.
पहले अध्ययन का उद्देश्य भारत में ’18 से 45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों से जुड़े कारकों’ को देखना है.
यह कई केंद्रों पर किया जाने वाला मिलते-जुलते मामलों का अध्ययन है, एक तरह का अवलोकन अभ्यास है जहां विभिन्न मापदंडों पर समूहों की तुलना की जाती है. मांडविया ने कहा कि यह अध्ययन लगभग 40 अस्पतालों और अनुसंधान केंद्रों पर चल रहा है.
दूसरा अध्ययन भारत में 18 से 45 वर्ष के लोगों की रक्त वाहिकाओं या दिल में खून का थक्का जमने की घटनाओं पर कोविड-19 वैक्सीन के प्रभाव को देख रहा है.
यह अध्ययन भी बहु-केंद्रीय है यानी कई केंद्रों पर हो रहा है और अस्पताल आधारित, मिलते-जुलते मामलों का अध्ययन है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह करबी 30 अस्पतालों में चल रहा है.
विश्लेषणों ने निष्कर्ष निकाला था कि हालांकि कोविड-19 टीकाकरण के बाद मायोकार्डिटिस (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) जैसी स्थितियां दुर्लभ हैं, लेकिन जोखिम कोविड-19 से जुड़ी कार्डियक इंजरी के जोखिम से कम है.
मंडाविया ने कहा, ‘तीसरे अध्ययन का शीर्षक है ‘युवाओं में अचानक अस्पष्ट मृत्यु का कारण स्थापित करना’ और यह वर्चुअल और भौतिक अटॉप्सी के जरिये किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हृदय रोग से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए उनके मंत्रालय का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ‘गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी एनसीडी)’ के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है.
उन्होंने कहा, ‘हृदय रोग एनपी एनसीडी का एक अभिन्न अंग है.’
उल्लेखनीय है कि हाल के महीनों में, ऐसे स्वस्थ व्यक्तियों की अचानक हृदय संबंधी मौतों में असामान्य वृद्धि की खबरें आई हैं, जिन्हें कोविड-19 संक्रमण हुआ था.
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल स्टडीज (एम्स) के प्रोफेसर राकेश यादव ने मार्च में टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि हालांकि कोई मात्रात्मक (quantifiable) डेटा नहीं है, लेकिन ऐसी घटनाओं के ब्योरे से इस तरह के मामलों में 10-15 फीसदी की वृद्धि की ओर इशारा मिलता है.
बता दें कि कुछ अध्ययनों ने कोविड के बाद हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम की ओर इशारा किया है.
नेचर पत्रिका में प्रकाशित ‘कोविड-19 के दीर्घकालिक हृदय संबंधी परिणाम‘ शीर्षक से एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया था कि गंभीर कोविड-19 संक्रमण से बचे लोगों में हृदय रोग का जोखिम काफी है.
हालांकि, भारत में विशेषकर युवाओं में हृदय विकार से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या पर कोई बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन कुछ अस्पतालों ने अपने स्तर पर ऐसे अध्ययन किए हैं.
आईसीएमआर ने पिछले महीने मनीकंट्रोल से कहा था कि कोविड के बाद युवाओं में दिल के दौरे पर उसके अध्ययन के नतीजे और उनके संभावित कारण जल्द ही सार्वजनिक किए जाएंगे.
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