बंगाल: महिलाओं को नग्न घुमाने और बेरहमी से पीटने की घटना के संबंध में पांच गिरफ़्तार

पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के पकुआहाट गांव में बीते 18 जुलाई को हुई इस बर्बर घटना की जानकारी 22 जुलाई को एक वीडियो सामने आने के बाद हुई. साप्ताहिक बाज़ार के दौरान चोरी के शक में दोनों महिलाओं को भीड़ ने बर्बर तरीके से पीटने के साथ निर्वस्त्र घुमाया था. भीड़ में अधिकांश महिलाएं शामिल थीं.

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मालदा में हुई बर्बर घटना के वीडियो का स्क्रीनग्रैब.

पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के पकुआहाट गांव में बीते 18 जुलाई को हुई इस बर्बर घटना की जानकारी 22 जुलाई को एक वीडियो सामने आने के बाद हुई. साप्ताहिक बाज़ार के दौरान चोरी के शक में दोनों महिलाओं को भीड़ ने बर्बर तरीके से पीटने के साथ निर्वस्त्र घुमाया था. भीड़ में अधिकांश महिलाएं शामिल थीं.

मालदा में हुई बर्बर घटना के वीडियो का स्क्रीनग्रैब

कोलकाता: मणिपुर के बाद पश्चिम बंगाल के मालदा में भी दो महिलाओं को नग्न अवस्था में भीड़ द्वारा घुमाने और दर्जनों लोगों द्वारा उनके साथ मारपीट करने का वीडियो सामने आया है. इस घटना से राज्य में आक्रोश पैदा कर दिया है. बंगाल पुलिस ने इस संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

यह घटना बीते मंगलवार 18 जुलाई को मालदा के पकुआहाट में रतुआचक के पास हुई थी, लेकिन बीते 22 जुलाई को सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो सामने आया था. वीडियो में दो महिलाओं को नागरिक स्वयंसेवकों (पुलिस की सहायता करने वाले संविदा कर्मचारियों का एक समूह) के सामने उनके हमलावरों द्वारा बेरहमी से पीटने के साथ और अपमानित किया जा रहा था. हमलावर मुख्यतः महिलाएं थीं.

मालदा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रदीप कुमार यादव ने संवाददाताओं को बताया कि मंगलवार को बैंक से पैसे निकालने के बाद तीन महिलाओं के पर्स खो गए. स्थानीय लोगों को संदेह था कि दोनों महिलाओं ने पर्स चुराए हैं और उन्होंने उन्हें दंडित करने का फैसला किया. महिलाओं को बचाने के लिए नागरिक स्वयंसेवक गए थे. पुलिस अभी तक यह पता नहीं लगा पाई है कि हमला करने वाली महिलाओं के पास पर्स थे या नहीं.

कई लोगों ने सवाल उठाया है कि इस तथ्य के बावजूद कि पुलिस चौकी घटनास्थल से 15 मिनट की दूरी पर थी, पुलिस घटनास्थल पर क्यों नहीं पहुंची. पुलिस द्वारा घटना को स्वीकार करने में काफी देरी (ऐसा उसने वीडियो सामने आने के बाद ही किया) की भी आलोचना की जा रही है.

घटनास्थल पर मौजूद शेख फारुख ने द वायर को बताया कि लोगों को महिलाओं पर हमला करने से रोकने के उनके प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा, ‘एक नागरिक स्वयंसेवक इतनी बड़ी भीड़ को कैसे रोक सकता है. पुलिस क्यों नहीं आ सकी?’

जब तक नागरिक स्वयंसेवकों ने महिलाओं को बचाया, तब तक वे गंभीर रूप से घायल हो चुकी थीं.

नग्न घुमाई गईं महिलाओं में से एक की बेटी ने आरोप लगाया है कि घटनास्थल से बचाने के बाद पुलिस स्टेशन में उनकी मां और दूसरी महिला को उचित चिकित्सा सहायता नहीं दी गई. इसके बजाय उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

हालांकि पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि दोनों महिलाओं को वास्तव में हिरासत में लिया गया था या नहीं.

महिला एवं बाल स्वास्थ्य राज्य मंत्री शशि पांजा ने संवाददाताओं से कहा कि महिलाएं उन महिलाओं के साथ हाथापाई कर रही थीं, जिन्होंने उन पर चोरी का आरोप लगाया था. मौके पर मौजूद महिला नागरिक स्वयंसेवकों ने इसे रोकने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि महिलाएं बाद में खुद ही वहां से चली गईं.

पांजा ने यह भी कहा कि इस घटना का ‘राजनीतिकरण करने की कोई जरूरत नहीं’ थी.

हालांकि, यह घटना राज्य में तेजी से एक राजनीतिक मुद्दा बन गई. भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि हमला करने वाली महिलाएं एक आदिवासी समुदाय से थीं. हालांकि माकपा ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं.

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