केंद्र सरकार संसद में जम्मू कश्मीर से जुड़े चार संवैधानिक संशोधन पेश करने वाली है, जिनमें एक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 भी है. इसमें प्रावधान किया गया है कि 114 सदस्यीय केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में दो सीटें ‘कश्मीरी प्रवासियों’ के लिए और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के विस्थापितों के लिए आरक्षित की जाएंगी.
नई दिल्ली: केंद्र जम्मू कश्मीर विधानसभा में दो सीटें ‘कश्मीरी प्रवासियों’ के लिए और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के विस्थापितों के लिए आरक्षित करने के लिए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करने जा रहा है, ताकि उनके राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ उनके समग्र सामाजिक और आर्थिक विकास को संरक्षित किया जा सके. इन सदस्यों को उपराज्यपाल द्वारा नामित किया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पेश किया जाएगा.
हालिया परिसीमन प्रक्रिया के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की विधानसभा में सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 हो गई है, जिसमें नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
नए विधेयक में मौजूदा अधिनियम की धारा 14 में संशोधन और दो नई धाराएं – धारा 15ए और 15बी शामिल की जाएंगी. जहां धारा 14 में संशोधन अधिनियम में ‘107 सीटों’ को ‘114 सीटों’ से प्रतिस्थापित करेगा, वहीं धारा 15ए और 15बी तीन आरक्षित सीटों का विवरण देंगी.
‘कश्मीरी प्रवासियों’ के लिए आरक्षित सीट के संबंध में संशोधन विधेयक कहता है, ‘केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से दो से अधिक सदस्यों को नामांकित नहीं कर सकते हैं, जिनमें से एक महिला होगी.’
धारा 15बी में लिखा है, ‘केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के विस्थापित व्यक्तियों में से एक सदस्य को जम्मू कश्मीर विधानसभा में नामित कर सकते हैं.’
‘उद्देश्यों और कारणों का विवरण’ अनुभाग में विधेयक कहता है कि ‘80 के दशक में तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में उग्रवाद के समय, विशेष तौर पर 1989-90 में कश्मीर (डिविजन) में, बड़ी संख्या में लोग अपने पैतृक निवास स्थानों को छोड़कर पलायन कर गए थे, जिनमें कश्मीर प्रांत में विशेष तौर पर कश्मीरी हिंदू और पंडितों के साथ-साथ कुछ सिख और मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले परिवार थे.’
विधेयक में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन दशकों में 1,58,976 व्यक्तियों वाले 46,517 परिवारों ने राज्य के राहत संगठन में पंजीकरण कराया है.
पीओके से विस्थापित लोगों पर विधेयक कहता है, ‘जम्मू कश्मीर में 1947 के पाकिस्तानी आक्रमण के मद्देनजर 31,779 परिवार जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों से तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य में पलायन करके आ गए थे. इनमें से 26,319 परिवार तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर में बस गए और शेष 5,460 परिवार जम्मू कश्मीर से बाहर देश के अन्य हिस्सों में चले गए. इसके अलावा, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान 10,065 और परिवार छंब नियाबत क्षेत्र से विस्थापित हो गए थे. इनमें से 3,500 परिवार 1965 के युद्ध के दौरान विस्थापित हुए और 6,565 परिवार 1971 के युद्ध के दौरान विस्थापित हुए थे. इस प्रकार 1947-48, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान कुल 41,844 परिवार विस्थापित हुए थे.’
यह जम्मू कश्मीर से संबंधित चार संवैधानिक संशोधनों में से एक है, जिसे केंद्र संसद में पेश कर रहा है. अन्य हैं- संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023; संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023.
संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 में जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में ‘गड्डा ब्राह्मण, कोली, पद्दारी जनजाति और पहाड़ी जातीय समूह’ समुदायों को शामिल करने के लिए प्रावधान किए गए हैं.
इसी प्रकार, अनुसूचित जाति सूची में नए समूहों को शामिल करने के लिए एक संशोधन है.
जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023, जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में बदलाव पेश करता है, जिसमें ‘कमजोर और वंचित वर्गों (सामाजिक जातियों)’ की ‘शब्दावली’ को ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ में बदला गया है और इस प्रकार इसका दायरा काफी हद तक बढ़ जाता है.