कुडनकुलम परमाणु संयंत्र विरोध: अदालत ने 18 व्यक्तियों को सात साल की क़ैद सुनाई

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक मामले में 22 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था, जिनमें से अधिकांश मछुआरे थे. उन्होंने कथित तौर पर दो अन्य मछुआरों पर हमला किया था, जिन्होंने प्रदर्शन में भाग लेने से इनकार कर दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Allen Allen/Flickr CC BY 2.0)

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक मामले में 22 लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था, जिनमें से अधिकांश मछुआरे थे. उन्होंने कथित तौर पर दो अन्य मछुआरों पर हमला किया था, जिन्होंने प्रदर्शन में भाग लेने से इनकार कर दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Allen Allen/Flickr CC BY 2.0)

नई दिल्ली: तमिलनाडु की एक उप-अदालत ने शुक्रवार (21 जुलाई) को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक मामले में चार महिलाओं सहित 18 लोगों को सात साल की कैद की सजा सुनाई. उन पर 500 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

22 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, जिनमें से अधिकांश मछुआरे थे. उन्होंने कथित तौर पर दो अन्य मछुआरों पर हमला किया था, जिन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने से इनकार कर दिया था.

जहां 18 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया था, तीन व्यक्तियों – एसपी उदयकुमार, पुष्परायण और एमपी जेसुराज – जो विरोध के समन्वयक थे, को बरी कर दिया गया.

सूत्रों ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया ‘इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ इदिनथकराई (Idinthakarai) में हजारों लोगों ने कई वर्षों तक विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 300 से अधिक पुलिस मामले दर्ज किए गए, जहां उनमें से अधिकांश को वापस ले लिया गया, 63 अदालत में लंबित हैं.’

सूत्रों ने बताया, ‘2013 में प्रदर्शनकारी मछुआरों ने विरोध प्रदर्शन पर होने वाले खर्चों का प्रबंधन करने के लिए मछली पकड़ने से हो रही आय का एक हिस्सा देने का फैसला किया, लेकिन एस. एलंगो और आर. ब्राइटन ने कथित तौर पर इस कदम से पीछे हटने से इनकार कर दिया. दोषियों द्वारा हमला किए जाने के बाद दोनों ने पुलिस में अलग-अलग शिकायतें दर्ज कीं, जिन्होंने 22 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.’

इदिनथकराई कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के नजदीक एक गांव है, जो विरोध का केंद्र बन गया था. यहां उदयकुमार और अन्य लोगों ने 500 से अधिक दिनों तक पाली (Shifts) में भूख हड़ताल की थी.

2021 में उदयकुमार ने राज्य सरकार से परमाणु परियोजना का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने का आग्रह किया.

यह कहते हुए कि मामले ग्रामीणों की आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार को या तो मामले वापस लेने चाहिए या कम से कम कानूनी कार्यवाही में तेजी लानी चाहिए. फिर भी कई लोगों के नाम ‘वांटेड लिस्ट’ में हैं. नौकरी की तलाश कर रहे युवा सबसे अधिक प्रभावित हैं.’

उन्होंने कहा था, ‘जैसा कि बिजली मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने कहा है, राज्य सरकार को कुडनकुलम में यूनिट 5 और 6 के निर्माण पर जनता की राय सुननी चाहिए और निर्माण कार्यों को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए. कुडनकुलम के लोग बिजली संयंत्र के विस्तार के खिलाफ हैं.’

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