रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि सेना में मेजर रैंक के 2,094 और कैप्टन रैंक के 4,734 अधिकारियों की कमी है. इसके अलावा उन्होंने सेना, नौसेना और वायुसेना में डॉक्टरों, दंत चिकित्सकों और नर्सों की कमी की भी जानकारी दी.
नई दिल्ली: रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया कि सेना में मेजर रैंक के 2,094 और कैप्टन रैंक के 4,734 अधिकारियों की कमी है. इसके अलावा सेना, नौसेना और वायुसेना में डॉक्टरों, दंत चिकित्सकों और नर्सों की भी कमी है.
भट्ट ने यह जानकारी राज्यसभा सांसद कुमार केतकर और जेबी माथेर हिशाम द्वारा पूछे गए सवालों के अलग-अलग लिखित जवाब में दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भट्ट ने बताया कि सेना में मेजर और कैप्टन की कमी का कारण कोविड-19 महामारी के दौरान कम भर्ती के अलावा सभी सहायक कैडर प्रविष्टियों में कम प्रवेश, जिसमें मुख्य रूप से शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) और अन्य सेवा प्रविष्टियां शामिल हैं, को माना जा सकता है.
मंत्री ने कहा कि सेना में स्टाफ की कमी को कम करने के लिए लघु सेवा प्रविष्टि को और अधिक आकर्षक बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है.
सोमवार (24 जुलाई) को सौंपे गए जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि सेना, नौसेना और वायुसेना में 630 डॉक्टरों, 73 दंत चिकित्सकों और 701 नर्सों की कमी है. इनमें से सेना में सबसे अधिक – 598 डॉक्टर, 56 दंत चिकित्सक और 528 नर्सों की कमी है. इसकी तुलना में नौसेना में 20 डॉक्टर, 11 दंत चिकित्सक और 86 नर्सों की कमी है, जबकि वायुसेना में 12 डॉक्टरों, छह दंत चिकित्सक और 87 नर्सों की कमी है.
मंत्री ने यह भी कहा कि सेना में 1,495 पैरामेडिकल स्टाफ, जबकि नौसेना और वायुसेना में क्रमश: 392 और 73 की कमी है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण 2021 और 2022 में अन्य मेडिकल स्टाफ की भर्ती भी प्रभावित हुई. उन्होंने कहा, ‘भविष्य की भर्ती में इसे कवर करने का प्रयास किया जा रहा है.’
मंत्री ने अपने जवाब में उल्लेख किया कि तीनों सेवाओं में डॉक्टर-रोगी अनुपात 0.64 प्रति 1,000 है, यानी प्रति 1,563 मरीजों पर एक डॉक्टर, जबकि नर्स-रोगी अनुपात 0.42 प्रति 1,000 है, यानी प्रति 2,381 मरीजों पर एक नर्स है.