केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ को मंज़ूरी देने पर सीबीएफसी की खिंचाई की

क्रिस्टोफर नोलन द्वारा निर्देशित हॉलीवुड फिल्म ओपेनहाइमर के एक अंतरंग दृश्य के दौरान संस्कृत श्लोक पढ़े जाने से विवाद हो गया है. बताया जा रहा है कि यह श्लोक भगवद गीता से लिया गया. यह फिल्म अमेरिकी भौतिक विज्ञानी जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित है, ‘परमाणु बम का जनक’ कहा जाता है.

फिल्म ओपेनहाइमर का पोस्टर (फोटो साभार: फेसबुक)

क्रिस्टोफर नोलन द्वारा निर्देशित हॉलीवुड फिल्म ओपेनहाइमर के एक अंतरंग दृश्य के दौरान संस्कृत श्लोक पढ़े जाने से विवाद हो गया है. बताया जा रहा है कि यह श्लोक भगवद गीता से लिया गया. यह फिल्म अमेरिकी भौतिक विज्ञानी जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित है, ‘परमाणु बम का जनक’ कहा जाता है.

फिल्म ओपेनहाइमर का पोस्टर (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: हाल ही में रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म ओपेनहाइमर (Oppenheimer) के एक दृश्य से नाराज होकर केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने फिल्म को उसके वर्तमान स्वरूप में क्यों मंजूरी दी.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि मंत्री ने सीबीएफसी अधिकारियों से फिल्म निर्माताओं से यह विशिष्ट दृश्य हटाने के लिए कहा है, जबकि फिल्म को मंजूरी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, ठाकुर ने फिल्म के विवादास्पद दृश्य को मंजूरी देने के संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करने वाले सीबीएफसी से जवाबदेही की मांग की है, जिससे हिंदू समुदाय के एक वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंची है.

क्रिस्टोफर नोलन द्वारा निर्देशित और बीते 21 जुलाई को भारत में रिलीज हुई फिल्म ओपेनहाइमर के एक अंतरंग दृश्य के दौरान मुख्य पात्र एक किताब से संस्कृत श्लोक पढ़ता है, जिसे कथित तौर पर भगवद गीता बताया जा रहा है.

फिल्म ने अपने शुरुआती सप्ताहांत में बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ रुपये की कमाई की है. यह बायोग्राफिकल थ्रिलर अमेरिकी भौतिक विज्ञानी जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर (J. Robert Oppenheimer) के जीवन पर आधारित है.

ओपेनहाइमर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लॉस अलामोस प्रयोगशाला के पहले निदेशक थे. पहले परमाणु हथियार बनाने वाले अनुसंधान और विकास उपक्रम ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ में उनकी भूमिका के लिए उन्हें ‘परमाणु बम का जनक’ कहा जाता है.

इस प्रयोगशाला को ‘प्रोजेक्ट वाई’ के रूप में भी जाना जाता था. ‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ द्वारा स्थापित और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय द्वारा संचालित यह एक गुप्त प्रयोगशाला थी. इसका मिशन पहले परमाणु बम का डिजाइन और निर्माण करना था.

फिल्म में ओपेनहाइमर की भूमिका किलियन मर्फी (Cillian Murphy) ने निभाई है. यह अंतरंग दृश्य किलियन मर्फी और फ्लोरेंस प्यू (Florence Pugh) पर फिल्माया गया है.

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को ट्वीट किया, ‘मैं स्वतंत्र अभिव्यक्ति में विश्वास करता हूं लेकिन भगवद गीता के संबंध में ओपेनहाइमर में एक दृश्य सिर्फ अज्ञानता है, खासकर इसका कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है, जो शायद आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) का उल्लंघन है. अनुराग ठाकुर की चिंता हास्यास्पद है, क्योंकि उन्हें पूछना चाहिए कि यह सीबीएफसी द्वारा कैसे पास कर दिया गया.’

भारत में फिल्म की रिलीज के एक दिन बाद सूचना आयुक्त और लेखक उदय माहुरकर ने फिल्म के निर्देशक को संबोधित एक खुले पत्र से इस मुद्दे को उठाया था, जिसे उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया था.

इस पत्र में कहा गया है, ‘हम एक वैज्ञानिक के जीवन पर इस अनावश्यक दृश्य के पीछे की प्रेरणा और तर्क को नहीं जानते हैं, लेकिन यह एक अरब सहिष्णु हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं पर सीधा हमला है, बल्कि यह हिंदू समुदाय के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा है और लगभग हिंदू विरोधी ताकतों की एक बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है.’

सोमवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रतिक्रिया के बाद महुरकर, जो ‘सेव कल्चर सेव इंडिया’ नामक एक संगठन भी चलाते हैं, ने कहा, ‘राष्ट्र राहत महसूस कर रहा है, वह निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन से समान रूप से त्वरित कार्रवाई का इंतजार कर रहा है, ताकि यह दृश्य दुनिया भर से हटा दिया जाए.’

रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएफसी को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित करने का काम सौंपा गया है. इसके द्वारा प्रमाणित होने के बाद ही फिल्में भारत में दिखाई जा सकती हैं.

सीबीएफसी या तो आवेदक को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी देने से पहले फिल्म में संशोधन करने का निर्देश दे सकता है या फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी देने से इनकार कर सकता है.

हालांकि, एक बार फिल्म को प्रदर्शन के लिए मंजूरी मिल जाने के बाद निर्माताओं को बदलाव करने के लिए नहीं कहा जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि इस मामले में सीबीएफसी फिल्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आधार पर निर्माताओं से संपर्क कर सकता है और उनसे भारत में इसके प्रदर्शन के दौरान विशिष्ट दृश्य को हटाने का अनुरोध कर सकता है. सीबीएफसी के अधिकारी इस संबंध में टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.

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