मध्य प्रदेश में दलितों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे ज़्यादा: रिपोर्ट

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे अधिक थी. 2021 में देश में अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध की 50,900 घटनाएं हुईं. मध्य प्रदेश में यह संख्या 7,214 थी.

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(फोटो साभार: knowlaw.in)

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के लोगों के ख़िलाफ़ अपराध दर सबसे अधिक थी. 2021 में देश में अनुसूचित जाति के ख़िलाफ़ अपराध की 50,900 घटनाएं हुईं. मध्य प्रदेश में यह संख्या 7,214 थी.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समूहों के लोगों के खिलाफ अपराध दर सबसे अधिक थी.

आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में राज्य में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध दर सबसे अधिक थी और 2019 में (राजस्थान के बाद) यह दूसरे स्थान पर था.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, अधिकांश भारतीय राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में आरोप-पत्र दायर करने की दर भी अधिक थी, जिससे पता चलता है कि भले ही राज्य पुलिस ऐसे अपराधों को रोकने में असमर्थ रही हो, लेकिन कम से कम उसने अधिकांश अन्य राज्यों की तुलना में अदालत में इन मामलों को लेकर सक्रिय रही.

इन अपराधों में अनुसूचित जाति के खिलाफ किए गए सभी अपराध/अत्याचार शामिल हैं, न कि केवल वे अपराध जो एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए थे. निश्चित रूप से संख्या में बहुत अधिक अंतर नहीं है.

उदाहरण के लिए 2021 में देश में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध की 50,900 घटनाएं हुईं. मध्य प्रदेश में यह संख्या 7,214 थी. ऐसे मामलों की संख्या जहां एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम लागू किया गया था, राष्ट्रीय स्तर पर 45,610 और मध्य प्रदेश के लिए 7,211 थी.

मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध दर 63.6 प्रतिशत थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 25.3 प्रतिशत था. 2020 और 2019 में मध्य प्रदेश में यह संख्या 60.8 और 46.7 प्रतिशत थी. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध दर 2020 में 25 प्रतिशत और 2019 में 22.8 प्रतिशत थी. 2021 और 2020 में अपराध दर के मामले में राजस्थान दूसरे स्थान पर था और 2019 में यह पहले स्थान पर था.

अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराध दर के आंकड़ों से पता चलता है कि केरल 2019 और 2021 के बीच तीन वर्षों में सूची में शीर्ष पर रहा. राजस्थान इस दौरान दूसरे स्थान पर था और मध्य प्रदेश 2019 में पांचवें, 2020 में चौथे और 2021 में तीसरे स्थान पर था.

एनसीआरबी की रिपोर्ट ऐसे अपराधों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई या उसकी कमी की जानकारी भी देती है.

जब इन मामले में आरोप-पत्र दाखिल करने की बात आती है तो 2021 के आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों के आरोप-पत्र दाखिल करने में मध्य प्रदेश का बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. यह सिक्किम के बाद दूसरे स्थान पर था. अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध दर के मामले में मध्य प्रदेश के लगभग बराबर रहे राजस्थान में आरोप दाखिल करने की दर खराब रही. वहीं इस साल असम में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराधों में आरोप-पत्र दाखिल करने की दर सबसे कम थी.

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