लंबित मांगों को लेकर किसान 26 नवंबर से देशभर के 30 शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे

अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान 26 से 28 नवंबर तक 30 शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उनकी लंबित मांगों में ऋण माफ़ी, एमएसपी कार्यान्वयन, प्रदर्शनकारी किसान परिवारों के लिए मुआवज़ा आदि शामिल हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: ट्विटर/@KisanSabha)

अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान 26 से 28 नवंबर तक 30 शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उनकी लंबित मांगों में ऋण माफ़ी, एमएसपी कार्यान्वयन, प्रदर्शनकारी किसान परिवारों के लिए मुआवज़ा आदि शामिल हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: ट्विटर/@KisanSabha)

नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्लाह ने सोमवार को कहा कि लंबित मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान 26-28 नवंबर तक 30 शहरों में विरोध प्रदर्शन करेंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अगरतला में कृषक-खेत मजदूर कार्यालय के एक नए कार्यालय भवन का उद्घाटन करने के बाद मोल्लाह ने कहा ‘हमने पहले भी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था. अब हम इसे देश भर में ले जाएंगे और अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव डालने के लिए 30 शहरों में प्रदर्शन करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी मांगों में ऋण माफी, एमएसपी कार्यान्वयन, प्रदर्शनकारी किसान परिवारों के लिए मुआवजा और फसलों की खरीद और राशन वितरण शामिल हैं. ये अभी तक पूरे नहीं हुए हैं.’

मोल्लाह ने कहा कि किसान उपज के लिए एमएसपी नहीं मिलने से परेशान हैं और कई लोग कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या कर रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘एनडीए सरकार किसान विरोधी है, पिछली सरकारों के विपरीत उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के मुद्दे टालने और मांगें पूरी नहीं करने के कारण उनके दुश्मन हैं.’

गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसानों ने नवंबर 2020 में केंद्र से वर्ष 2019 में पारित तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली का घेराव किया था. इनमें से अधिकतर किसान पंजाब और हरियाणा के थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस ले लिया था.

तब प्रदर्शनकारी किसानों ने विरोध स्थलों को खाली करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उन्होंने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी और विरोध के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की थी.

केंद्र ने पिछले साल 9 दिसंबर 2021 को उनकी अन्य लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की थी. उसके बाद एसकेएम ने एक साल से अधिक समय से चल रहे उनके आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी.