एक स्थानीय अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित जम्मू कश्मीर प्रशासन को उस भूमि को ख़ाली करने का आदेश दिया है, जिसका उपयोग किश्तवाड़ ज़िले में स्थित मचैल चंडी माता मंदिर तक तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए दो निजी विमानन कंपनियों द्वारा हेलीपैड संचालित करने के लिए किया जा रहा है.
श्रीनगर: दिल्ली स्थित दो निजी कंपनियों ने कथित तौर पर जम्मू कश्मीर प्रशासन के साथ मिलकर वर्तमान में जारी एक हिंदू तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए जम्मू के किश्तवाड़ जिले में जमीन के एक टुकड़े पर जबरन कब्जा कर लिया, जिसके बाद अदालत को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है.
एक याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए अदालत ने प्रशासन को, जो सीधे केंद्र सरकार द्वारा चलाया जाता है, उस जमीन को खाली करने का आदेश दिया है, जिसका इस्तेमाल दो विमानन कंपनियों द्वारा किश्तवाड़ जिले में स्थित माता मचैल के तौर पर लोकप्रिय मंदिर (मचैल चंडी माता मंदिर/चंडी माता मंदिर) तक तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए किया जा रहा है.
बीते मंगलवार (25 जुलाई) को किश्तवाड़ के सिविल सबऑर्डिनेट जज ने आदेश दिया कि भूमि के मालिक याचिकाकर्ता के ‘महत्वपूर्ण अधिकारों’ के साथ जम्मू कश्मीर प्रशासन ने समझौता किया है, जो उसके मालिकाना हक वाली जमीन पर कब्जा करने के लिए ‘आमादा’ है.
मचैल पद्दार गांव के निवासी पृथ्वीराज ने याचिका तब दायर की थी, जब दिल्ली की दो कंपनियां – हिमालयन हेली सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड – ने उनकी आपत्ति के बावजूद इस साल की शुरुआत में उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया था.
याचिकाकर्ता के अनुसार, मचैल पद्दार के मौजा इलाके में उनकी छह कनाल और दो मरला जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया गया और कथित तौर पर प्रशासन की मदद से दोनों कंपनियों ने हेलीपैड के निर्माण के लिए जमीन को समतल करना शुरू कर दिया.
याचिकाकर्ता पृथ्वीराज के वकील शेख नासिर ने याचिकाकर्ता के हवाले से द वायर को फोन पर बताया, ‘मैंने न्याय के लिए प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन मेरी मदद करने के बजाय उन्होंने दोनों कंपनियों का पक्ष लिया और मेरी सहमति या कोई किराया दिए बिना हेलीपैड के रूप में उपयोग के लिए जमीन तैयार करना शुरू कर दिया.’
नासिर ने कहा कि प्रशासन द्वारा उदासीनता दिखाए जाने के बावजूद जमीन के मालिक ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार दोनों कंपनियों के साथ इस मुद्दे को उठाया और उनसे जमीन खाली करने का अनुरोध किया.
नासिर ने दावा किया, ‘हालांकि, कंपनियों ने उनके अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया. यहां तक कि प्रशासन के अधिकारियों ने भी उन्हें सलाह दी कि इसे मुद्दा न बनाएं, क्योंकि यह एक पवित्र तीर्थयात्रा से जुड़ा है.’
अपनी याचिका में राज ने अदालत को बताया कि दोनों कंपनियों ने पिछले हफ्ते फिर से जबरन जमीन समतल करने की कोशिश की, लेकिन उनके पड़ोसियों और स्थानीय लोगों के ‘समय पर हस्तक्षेप’ के कारण उन्हें रोक दिया गया.
अदालत को बताया गया था, ‘इस बात की पूरी आशंका है कि वे (प्रशासन और विमानन कंपनियां) जबरन अतिक्रमण करेंगे और मुकदमे वाली जमीन का उपयोग करेंगे.’
भूमि मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि सुविधा के संतुलन का झुकाव आवेदक के पक्ष में है, इस वक्त यदि अंतरिम निषेधाज्ञा जारी नहीं की जाती है तो भूमि मालिक को दोनों कंपनियों के हाथों अपूरणीय क्षति होने की संभावना है और अदालत ने कंपनियों और प्रशासन को जमीन खाली करने के लिए कहा.
द वायर ने हिमालयन हेली सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क किया है. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर उसे इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा. संभागीय आयुक्त (जम्मू) रमेश कुमार से उनकी टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका.
किश्तवाड़ में देवी दुर्गा के स्वरूपों में से एक माता चंडी के बेहद ऊंचाई पर स्थित हिमालयी मंदिर की कठिन तीर्थयात्रा हर साल सैकड़ों-हजारों तीर्थयात्रियों द्वारा की जाती है.
जम्मू कश्मीर में 43 दिवसीय तीर्थयात्रा मंगलवार को शुरू हो गई. गुलाबगढ़ से मचैल तक का 30 किलोमीटर का कठिन सफर किश्तवाड़ जिले के ऊंचे पहाड़ों से होकर गुजरता है, जो दुनिया के कुछ बेहतरीन और सबसे कीमती रत्न नीलम का घर है.
अमरनाथ और माता वैष्णो देवी तीर्थयात्राओं के विपरीत, मचैल यात्रा का प्रबंधन किसी स्वतंत्र बोर्ड द्वारा नहीं किया जाता है. प्रशासन ने मचैल माता यात्रा प्रबंधन समिति की स्थापना की है, जिसके अध्यक्ष जम्मू के मंडलायुक्त हैं, जबकि किश्तवाड़ के उपायुक्त समिति के उपाध्यक्ष हैं.
एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, जम्मू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) मुकेश सिंह, डोडा-किश्तवाड़-रामबन रेंज के उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) सुनील गुप्ता और किश्तवाड़ के उपायुक्त देवांश यादव ने तीर्थयात्रा के पहले दिन मंदिर में पूजा-अर्चना की थी.
सूत्रों ने बताया कि सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने विवादास्पद हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग करके मंदिर का दौरा किया, जिसे लगभग 10 साल पहले यात्रा मार्ग पर शुरू किया गया था. किश्तवाड़ प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हेली-सेवा का ठेका प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से निजी कंपनियों को दिया जाता है.
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मंदिर के रास्ते में दो हेलीपैड हैं. एक गुलाबगढ़ में है, जो सरकार के स्वामित्व में है, जबकि दूसरा हेलीपैड मचैल मंदिर के पास स्थित है, जो निजी भूमि पर बनाया गया है.’
अधिवक्ता नासिर ने कहा, ‘ऑपरेटर प्रति तीर्थयात्री 3,790 रुपये लेता है और एक उड़ान में आठ तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुंचाया जाता है. अगर सरकार कार पार्किंग के लिए 50 रुपये लेती है तो मेरे मुवक्किल को किराया देने से इनकार करना न्याय का मखौल है.’
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