भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ‘यह लोकतंत्र है, यहां सबको बोलने का अधिकार है. अगर किसी बात से आप सहमत नहीं हैं तो भी इसका जवाब हिंसा से देना ठीक नहीं.’
दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में बीते दिनों एक सेमिनार को लेकर हुए विवाद के बारे में सिन्हा से पूछा गया तो उन्होंने इस पूरे प्रकरण को तनावपूर्ण बताया और यह भी कहा कि इस तरह की स्थितियां लोकतंत्र और देश की युवा पीढ़ी के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, ‘जो हमारे ख़िलाफ़ हैं, वे हमारे दुश्मन नहीं हैं.’
दरअसल रामजस कॉलेज में हुए विवाद के बाद एबीवीपी से जुड़े छात्रों की दूसरे छात्रों की कथित पिटाई का मामला गरमाया हुआ है. सोशल मीडिया पर कारगिल शहीद की बेटी गुरमेहर कौर की ओर से खुलेआम विरोध के बाद ये मसला भड़क उठा है.
विवाद में मंत्री, नेता, अभिनेता से लेकर पूर्व क्रिकेटर तक कूद चुके हैं. बयानों का दौर शुरू हो गया है. ‘देशप्रेम’ और ‘देशद्रोह’ की बहस फिर से शुरू हो चुकी है. इस कड़ी में सोमवार को एबीवीपी से जुड़े छात्रों जहां तिरंगा मार्च निकाला वहीं मंगलवार का वामपंथी छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय कैंपसों में एबीवीपी की ग़ुंडागर्दी के खिलाफ मार्च निकाला.
बता दें कि यह पहली बार नहीं जब शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान दिया. बिहार और दिल्ली चुनाव के वक़्त भी सिन्हा ने कई बार पार्टी लाइन से हटकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल की तारीफ में कसीदे पढ़े थे.
सिन्हा को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी करीबी माना जाता है. मंगलवार को ही सिन्हा ने ट्विटर पर लेखक चेतन भगत की आलोचना की थी. दरअसल चेतन भगत ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तुलना आडवाणी से कर दी थी.