केंद्र द्वारा सर्विस रूल्स में बदलाव को पूर्व सिविल सेवकों ने असीमित उत्पीड़न का ज़रिया बताया

डीओपीटी द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) संशोधन नियम, 2023 को लेकर 94 पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने कहा है कि ये नियम लोक सेवकों के लिए राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर राय व्यक्त करना  नामुमकिन बना देंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: daniel alvasd/unsplash)

डीओपीटी द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) संशोधन नियम, 2023 को लेकर 94 पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने कहा है कि ये नियम लोक सेवकों के लिए राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर राय व्यक्त करना  नामुमकिन बना देंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: daniel alvasd/unsplash)

नई दिल्ली: 94 पूर्व सिविल सेवकों के एक समूह ने एक बयान जारी कर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अखिल भारतीय सेवा नियमों में बदलाव पर चिंता व्यक्त की है. बयान में कहा गया है कि ये नियम लोक सेवकों के लिए राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर अपनी राय व्यक्त करना असंभव बना देंगे. यदि वे अनुपालन नहीं करते हैं, तो उनकी पेंशन रद्द की जा सकती है.

कॉन्स्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप द्वारा जारी एक बयान में पूर्व सिविल सेवकों ने कहा है कि प्रस्तावित परिवर्तन ‘संविधान के अनुच्छेद 51 ए का उल्लंघन होगा जो सभी नागरिकों को ‘स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोने और उनका पालन करने’ की अनुमति देता है. सत्ता में सरकार की आलोचना करने का अधिकार इन आदर्शों का हिस्सा है और इसे ‘कदाचार’ नहीं कहा जा सकता.

बयान में आगे कहा गया, ‘कदाचार के लिए निर्धारित गंभीर सजा को ध्यान में रखते हुए इस शब्द की एक विस्तृत परिभाषा देना केंद्र सरकार के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य है. इसे जानबूझकर अस्पष्ट, भ्रामक और अनिश्चित रखकर केंद्र सरकार ने किसी भी पेंशनभोगी, जिनकी करनी- जो किसी लेख की शक्ल में हो, किसी विरोध या सेमिनार की भागीदारी या किसी तरह की आलोचना, उसे (सरकार को) पसंद नहीं है, को परेशान करने और सताने के लिए खुद को असीमित शक्तियों से लैस कर लिया है.’

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) संशोधन नियम 2023 के बारे में अधिसूचना जारी की थी.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, अधिसूचना में बताया गया था कि संशोधित नियम 3 (1) कहता है कि रिटायरमेंट के बाद अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों का आचरण सदैव अच्छा रहे, तभी उन्हें पेंशन मिलेगी. साथ ही यदि सेवानिवृत्ति के बाद, किसी पेंशनभोगी को गंभीर अपराध का दोषी ठहराया जाता है या गंभीर कदाचार का दोषी पाया जाता है, तो केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के निर्देश पर या अन्यथा, किसी निश्चित अवधि या अनिश्चितकाल के लिए उनकी पेंशन या उसके एक हिस्से को रोक या वापस ले सकती है.

संशोधित नियम यह भी कहते हैं कि यदि खुफिया  सुरक्षा संबंधी सेवाओं से जुड़े रहे पूर्व कर्मियों को ऐसे संगठनों के प्रमुख से पूर्व मंजूरी के बिना सेवानिवृत्ति के बाद उनके कार्यक्षेत्र से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रकाशित करने से प्रतिबंधित किया गया है.

पूर्व नौकरशाहों के पूरे पत्र और हस्ताक्षरकर्ताओं के नाम नीचे दिए गए लिंक पर पढ़े जा सकते हैं.

Constitutional Conduct Group Service Rules by The Wire on Scribd