जम्मू कश्मीर के प्रशासन द्वारा जारी वर्तमान आदेश की तरह ही पिछले वर्ष भी यहां स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहा गया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
श्रीनगर: केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू कश्मीर के निवासियों से आगामी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने को कहा है. प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों को भी समारोह में भाग लेने का निर्देश दिया है. सभी शैक्षणिक संस्थानों को भी खुला रखने के लिए कहा गया है.
ज्ञात हो कि 15 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश होता है और देश में सभी सरकारी कार्यालय, बैंक और शैक्षणिक संस्थान और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहते हैं.
हालांकि, जम्मू कश्मीर में कर्मचारियों को ‘असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर’ कार्यालय का अवकाश करने से रोका गया है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे सोशल मीडिया एकाउंट पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर को ‘झंडा, मिट्टी और दीया’ के साथ ली गई सेल्फी से बदलें.
स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियों की समीक्षा के लिए बुधवार (26 जुलाई) को श्रीनगर में जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव एके मेहता की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्देश जारी किए गए थे.
मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह श्रीनगर के सोनावर इलाके में शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा और इसमें जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के भाग लेने की संभावना है.
केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन, जो सीधे नई दिल्ली द्वारा संचालित होते हैं, द्वारा योजनाबद्ध अन्य कार्यक्रम में सभी सरकारी भवनों और कार्यालयों में रोशनी करने को कहा गया है. इनमें शैक्षणिक संस्थान और स्थानीय निकायों और पंचायतों के कार्यालय भी शामिल हैं, जहां सरकारी अधिकारियों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए कहा गया है.
शैक्षणिक संस्थानों को इस दिन के उपलक्ष्य में पुरस्कार वितरण समारोह के बाद राष्ट्रगान गायन और निबंध, वाद-विवाद और खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करने का भी निर्देश दिया गया है. रिकॉर्ड नोट में कहा गया है, ‘जम्मू कश्मीर के सभी जिलों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने और अमृत सरोवरों पर शिला फलक रखने सहित विशेष समारोह आयोजित किए जाएंगे.’
प्रशासन ने इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के भाषणों की थीम को पिछले वर्ष पूरी हुई परियोजनाओं- ‘डिजिटल जम्मू कश्मीर’, ‘भ्रष्टाचार मुक्त जम्मू कश्मीर’, ‘स्वच्छता’, ‘नशा मुक्त भारत’, जन भागीदारी और ‘आप की ज़मीन आप की निगरानी’ तक सीमित कर दिया है.
अतीत में कश्मीरी अलगाववादी समूह स्वतंत्रता दिवस पर बंद का आह्वान किया करते थे और लोगों से इसे ‘काला दिवस (ब्लैक डे)’ के रूप में मनाने का आग्रह करते थे. अलगाववादियों के आह्वान के जवाब में कश्मीर में बाजार और शैक्षणिक संस्थान बंद हो जाया करते थे और सड़कों से ट्रैफिक नदारद रहता था.
अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से स्वतंत्रता दिवस समारोह जम्मू कश्मीर में ‘सामान्य स्थिति’ दिखाने का एक जरिया बन गया है, जबकि वहां राजनीतिक प्रक्रियाएं निलंबित हैं और और पांच साल से अधिक समय से विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं.
लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहने वाले इसी तरह के आदेश ने पिछले साल एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था, जब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर के लोगों को झंडा न फहराने पर डराया-धमकाया गया था. अधिकारियों ने इस आरोप से इनकार किया था.
पिछले साल जिन इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था उनमें हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के मारे गए और सक्रिय आतंकवादियों के आवास भी शामिल थे. मारे गए हिजबुल कमांडर रियाज नाइकू के दक्षिण कश्मीर स्थित आवास पर तिरंगे के बगल में रखी एक उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई थी.
पिछले साल केंद्र सरकार ने देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आग्रह किया था.
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