हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने परवाणू-सोलन चार-लेन राजमार्ग के निर्माण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पर आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है. आरोप है कि सड़क का निर्माण पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करके किया गया है.
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने राज्य में चार-लेन राजमार्ग के निर्माण में आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. सोलन जिले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, पंवर ने अपनी शिकायत में जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट नाम की एक निर्माण कंपनी का नाम भी लिया है.
सवालों के घेरे में आया राजमार्ग सोलन और परवाणू शहर के बीच गुजरता है.
पंवर ने आरोप लगाया कि इसका निर्माण पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करके किया गया है और उन्होंने इस बात की जांच की मांग की कि क्या ये उल्लंघन मिलीभगत का नतीजा है.
एफआईआर के अनुसार, ‘यह आपराधिक उपेक्षा की शिकायत है, जिसके कारण प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र, मानव जीवन, संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, लोगों को अपनी (कृषि) उपज को बाजार में ले जाने में असमर्थता के कारण वित्तीय नुकसान हुआ है.’
इसमें कहा गया है, ‘साथ ही इस आपराधिक उपेक्षा में यह परिस्थितिजन्य है या इसमें कोई मिलीभगत थी, इसका भी आकलन किया जाना चाहिए.’
इसमें यह भी कहा गया है कि एनएचएआई और जीआर इन्फ्रा ने राजमार्ग परियोजना रिपोर्ट तैयार करने से पहले राज्य के भूवैज्ञानिक अधिकारियों से परामर्श नहीं किया होगा.
पंवर ने एएनआई को बताया, ‘यह हिमालय का एक हिस्सा है. यह कार्य भूवैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर किया जाना चाहिए था. अगर इसे नजरअंदाज किया गया है, तो यह अधिक गंभीर है.’
एफआईआर में कहा गया है कि राजमार्ग का डिजाइन गलत ढंग से गलत विचारों और मुनाफे के लिए निर्मित किया गया.
इसमें कहा, ‘पहाड़ों को ढलानों में काटने के बजाय, उन्हें एकदम खड़ा काटा गया है और यह लोगों के लिए एक स्थायी समस्या होगी, जिनके नाम पर यह विकास परियोजना बनाई गई है.’
द हिंदू अखबार के एक लेख में पंवर ने कहा था कि पर्यावरण को नुकसान कम करने के लिए पहाड़ों में सड़कों को पारंपरिक रूप से सीढ़ीदार तरीके से काटा जाता है. लेकिन पर्यटन और तेजी से विकास पर बढ़ते जोर का मतलब यह है कि ऐसी परियोजनाएं भूवैज्ञानिक अध्ययन और पारंपरिक इंजीनियरिंग ज्ञान को नजरअंदाज करके बनाई जाती हैं.
लेख में कहा गया है, ‘इस तरह के सड़क विस्तार के परिणाम सामान्य बारिश के दौरान भी स्पष्ट होते हैं, क्योंकि इससे फिसलन होती है, जिससे भारी बारिश या बाढ़ के दौरान विनाश की भयावहता बढ़ जाती है.’
समाचार एजेंसी एएनआई ने उनके हवाले से कहा कि परवाणू-सोलन राजमार्ग के निर्माण के दौरान कोई सार्वजनिक सुनवाई या पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन नहीं किया गया था.
राज्य में व्यापक निर्माण प्रवृत्तियों का जिक्र करते हुए पंवर ने यह भी कहा कि अवैज्ञानिक निर्माण गतिविधियों के कारण भूस्खलन और सड़क पर फिसलन राज्य की सेब की फसल को प्रभावित कर रही है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जुलाई में हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश और बाढ़ आई, जिससे अनुमानित 150 लोगों की मौत हो गई और 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
इस मानसून के मौसम में भारी बारिश और बंद सड़कों के कारण हिमाचल प्रदेश में उगाए गए सेब क्षतिग्रस्त हो गए और उनकी आपूर्ति में देरी हुई.
एप्पल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रविंदर चौहान ने द हिंदू को बताया कि इस साल सेब का उत्पादन संभवत: सामान्य मात्रा से आधा रह सकता है.
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