गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा को सूचित किया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में मनोरोग से जूझ रहे रोगियों की कुल संख्या 2020 के 3,584 से बढ़कर साल 2022 में 4,940 हो गई. आंकड़े बताते हैं कि 2018 से 2022 तक 658 जवानों ने आत्महत्या की.
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में मानसिक बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की कुल संख्या 2020 के 3,584 से बढ़कर साल 2022 में 4,940 हो गई है. यह रिपोर्ट किए गए मनोरोग के मामलों में लगभग 38 प्रतिशत की वृद्धि है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीएपीएफ- जैसे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी), असम राइफल्स (एआर) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) अन्य सरकारी और चिकित्सा संस्थानों के साथ संपर्क के माध्यम से मनोचिकित्सकों (साइकाइट्रिस्ट), क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और परामर्शदाताओं (काउंसलर) की सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं.
राय ने कहा, ‘आईटीबीपी में पांच, बीएसएफ में चार, सीआरपीएफ में तीन और एसएसबी और एआर में एक-एक साइकाइट्रिस्ट हैं.’
राय के अनुसार, 2021 में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में मनोरोगों के 3,864 मामले सामने आए. उन्होंने कहा, ‘सीआरपीएफ में 2020 में कुल 1,470 मनोरोगी थे, 2021 में 1,506 और 2022 में 1,882 मनोरोग के मामले आए. बीएसएफ में 2020 में 1,073, 2021 में 1,159 और 2022 में 1,327 मरीज थे, जबकि असम राइफल्स में 2020 में 351, 2021 में 509 और 2022 में 530 मरीज थे. सीआईएसएफ में 2020 में 289, 2021 में 244 और 2022 में 472 मरीज थे. आईटीबीपी में 2020 में 215, 2021 में 300 और 2022 में 417 मरीज थे. एसएसबी में 2020 में मनोरोग के 186, 2021 में 246 और 2022 में 312 मरीज थे.’
2018 से 2022 तक 658 आत्महत्याओं का विवरण साझा करते हुए राय ने कहा कि सीआरपीएफ में 230 कर्मियों, बीएसएफ में 174 कर्मियों, सीआईएसएफ में 91 कर्मियों, एसएसबी में 65 कर्मियों, आईटीबीपी में 51 कर्मियों और एआर में 47 कर्मियों ने अपनी जान दी.
मंत्री ने बताया कि सीएपीएफ और असम राइफल्स के लोगों के कामकाजी हालात में सुधार और सुविधाएं बढ़ाने का काम सरकार द्वारा निरंतर किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘पता लगाए गए मामलों का उचित निवारण किया जा रहा है और यदि जरूरत हो, तो विस्तृत जांच के लिए उन्हें सुविधा-संपन्न अस्पतालों में विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है. समय-समय पर फॉलो-अप किया जाता है, प्रत्येक कर्मी के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखा जाता है और समय-समय पर समीक्षा की जाती है. तनाव और चिंता को कम करने के लिए योग को शारीरिक प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है, यूनिट स्तर पर पैरामेडिकल स्टाफ जल्द से जल्द मामलों की पहचान करता है और शीघ्र हस्तक्षेप और उपचार शुरू करता है. कर्मियों की सभी स्तरों के साथ-साथ सीमा चौकियों (बीओपी) पर भी स्ट्रेस काउंसलिंग की जा रही है.’
राय ने कामकाजी परिस्थितियों में सुधार के कदमों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा, ‘सीएपीएफ और एआर कर्मियों के स्थानांतरण और छुट्टी से संबंधित पारदर्शी नीतियां और कठिन क्षेत्रों में सर्विस के बाद कर्मियों को यथासंभव पसंदीदा पोस्टिंग दी जाती है. सैनिकों के लिए रहने की स्थिति में सुधार किया गया है और पर्याप्त मनोरंजन, खेल और संचार सुविधाएं आदि प्रदान की जा रही हैं.’
उन्होंने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग के पाठ्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं.
गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा को बताया कि गृह मंत्रालय और उसके संस्थाओं, जिनमें सीएपीएफ और दिल्ली पुलिस जैसे केंद्रीय पुलिस संस्था शामिल हैं, में 1.14 लाख से अधिक रिक्त पद हैं.
महामारी के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने वाले कर्मियों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है. राय ने 1 अगस्त को लोकसभा को बताया, ‘सीएपीएफ में 2018 में 9,228 कर्मियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली, 2019 में 8,908 कर्मी सेवानिवृत्त हुए, 2020 में 6,891 कर्मी, 2021 में 10,762 कर्मी और 2022 में 11,211 कर्मी सेवानिवृत्त हुए.’