वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि मेहुल चोकसी की गीतांजिल जेम्स सबसे बड़ी डिफॉल्टर है, जिस पर बैंकों का 8,738 करोड़ रुपये बकाया है. दूसरे स्थान पर एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लि. है, जिस पर 5,750 करोड़ रुपये हैं. तीसरे नंबर पर आरईआई एग्रो लिमिटेड है, जिस पर 5,148 करोड़ रुपये हैं.
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि शीर्ष 50 विलफुल डिफॉल्टर्स- जिनमें भगोड़े मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड, और एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड, आरईआई एग्रो लिमिटेड, और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं- पर सामूहिक रूप से विभिन्न बैंक और वित्तीय संस्थानों की 87,295 करोड़ रुपये की बड़ी राशि बकाया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में यह बताया है.
उक्त जवाब में उन्होंने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूचित किया है कि 31 मार्च, 2023 तक एससीबी में शीर्ष 50 विलफुल डिफॉल्टरों पर बकाया राशि 87,295 करोड़ रुपये थी.’
‘विलफुल डिफॉल्टर’ वह कर्जदार होता है जो साधन होने के बावजूद जानबूझकर ऋण चुकाने से इनकार कर देता है.
कराड ने बताया कि इनमें से शीर्ष 10 पर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का 40,825 करोड़ रुपये बकाया है, और साथ ही कहा कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, एससीबी ने कुल 10,57,326 करोड़ रुपये की राशि माफ कर दी है.
चोकसी की गीतांजिल जेम्स सबसे बड़ी डिफॉल्टर है, जिसके पास बैंकों का 8,738 करोड़ रुपये बकाया है. दूसरे स्थान पर एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड है, जिस पर 5,750 करोड़ रुपये का बकाया है. अगला नंबर आरईआई एग्रो लिमिटेड का आता है, जिस पर 5,148 करोड़ रुपये का बकाया है. एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर 4,774 करोड़ और कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड के पास 3,911 करोड़ रुपये बकाया हैं.
कराड ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी करने वाले या जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले के रूप में वर्गीकृत कर्जदारों के संबंध में बैंकों का समझौता करना कोई नया नियामक निर्देश नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई ने 10 मई 2007 के पत्र के माध्यम से आईबीए (भारतीय बैंक संघ) को सलाह दी थी कि बैंक ऐसे उधारकर्ताओं के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना विलफुल डिफॉल्टर्स/धोखाधड़ी करने वाले उधारकर्ताओं के साथ समझौता कर सकते हैं और समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों की जांच प्रबंधन समिति/बैंकों के बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए.’
एक अलग जवाब में, उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 66,069 धोखाधड़ी की सूचना मिली थी, जिससे 85.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
पिछले हफ्ते उन्होंने संसद को सूचित किया था कि बैंकों ने व्यापक उपायों के माध्यम से पिछले नौ वर्षों में 10.16 लाख करोड़ रुपये से अधिक के डूबत ऋणों की वसूली की है.