मोदी सरनेम केस: राहुल गांधी की सज़ा पर रोक, कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर सवाल उठाए

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सज़ा पर रोक लगाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध के तहत अधिकतम सज़ा देने के लिए विशेष कारण नहीं बताए हैं.

(फोटो साभार: सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट/ट्विटर/@RahulGandhi)

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की सज़ा पर रोक लगाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध के तहत अधिकतम सज़ा देने के लिए विशेष कारण नहीं बताए हैं.

(फोटो साभार: सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट/ट्विटर/@RahulGandhi)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (4 अगस्त) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोदी सरनेम मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी. सूरत की एक अदालत ने पहले उन्हें दोषी पाया था और उन्हें अधिकतम दो साल की कैद की सजा सुनाई थी, जिसके कारण उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

इससे पहले पिछले महीने गुजरात हाईकोर्ट ने गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के साथ उनकी अयोग्यता भी अब स्थगित हो गई है.

शीर्ष अदालत के आदेश में निचली अदालत द्वारा गांधी को सुनाई गई सजा पर सवाल उठाया गया है.

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध के तहत अधिकतम सजा देने के लिए विशेष कारण नहीं बताए हैं.

लाइव लॉ के अनुसार, आदेश में कहा गया है:

‘भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध के लिए सजा अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों है. माननीय न्यायाधीश ने अपने आदेश में अधिकतम दो वर्ष की सजा सुनाई है. अवमानना कार्यवाही में इस न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को चेतावनी के अलावा दो साल की अधिकतम सजा देते समय ट्रायल कोर्ट के माननीय न्यायाधीश द्वारा कोई अन्य कारण नहीं बताया गया है.’

हालांकि, शीर्ष अदालत ने जोड़ा कि 2019 में राहुल गांधी द्वारा की गई यह टिप्पणी- जिसे लेकर केस दर्ज हुआ-  शालीन नहीं कही जा सकती है.

राहुल के खिलाफ भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी द्वारा 13 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज कराया गया था. उन्होंने कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव के समय एक रैली में राहुल द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शिकायत की थी.

राहुल गांधी ने कथित तौर पर रैली के दौरान कहा था, ‘सभी चोर, चाहे वह नीरव मोदी हों, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी, उनके नाम में मोदी क्यों है.’

इस साल 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी कथित ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.

हालांकि इसके कुछ ही देर बाद अदालत ने 15,000 रुपये के मुचलके पर राहुल गांधी की जमानत मंजूर कर ली और उन्हें इसके खिलाफ अपील करने की अनुमति देने के लिए 30 दिनों के लिए सजा पर रोक लगा दी थी.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी सांसद को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, तो वह अयोग्यता का पात्र होगा.

दोषी ठहराए जाने के अगले दिन 24 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को 23 मार्च 2023 से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. इसके बाद उन्हें उनका सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भी मिला था.

उन्होंने प्रोटोकॉल के मुताबिक बीते 22 अप्रैल को अपना तुगलक लेन का सरकारी बंगला खाली कर दिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से जीतने के बाद उन्हें पहली बार बंगला आवंटित किया गया था.

इस बीच बीते 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए राहुल गांधी ने अदालत का रुख किया था, हालांकि बीते 20 अप्रैल को सूरत की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा की एक अदालत ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था.