राफेल विमान सौदे में राहुल ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, कांग्रेस-भाजपा में घमासान

राहुल ने सीतारमण से कहा- शर्मनाक है कि आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं. सीतारमण बोलीं- संप्रग ने जो किया उसे बयां नहीं किया जा सकता.

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राहुल ने सीतारमण से कहा- शर्मनाक है कि आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं. सीतारमण बोलीं- संप्रग ने जो किया उसे बयां नहीं किया जा सकता.

Rahul sitharaman (1)
फोटो: पीटीआई/रॉयटर्स

नई दिल्ली: लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में भ्रष्टाचार और क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों से लगातार राफेल सौदे को लेकर सवाल उठा रहे हैं. इसे लेकिन कांग्रेस और भाजपा में अब आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे को लेकर शनिवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर पलटवार करते हुए दावा किया कि यह शर्मनाक है कि उनके बॉस उन्हें चुप करा रहे हैं.

इसके पहले इसी सप्ताह कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राफेल सौदे में पूरी तरह से बदलाव करके राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता करने, सांठगांठ वाले पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) को बढ़ावा देने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था.

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या पेरिस में राफेल विमानों की खरीद के बारे में घोषणा करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति (सीसीएस) से मंजूरी ली थी?

कांग्रेस उपाध्यक्ष के इस हमले से एक दिन पहले रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि यह शर्मनाक है कि कांग्रेस विमान सौदे को लेकर आपत्तियां खड़ी कर रही है. कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं और सरकार पर राष्ट्रीय हित एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है.

राहुल गांधी के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, प्रिय आरएम, यह कितना शर्मनाक है कि आपके बॉस आपको चुप करा रहे हैं. कृपया हमें बताइए:

1. हर रॉफेल विमान का अंतिम मूल्य क्या है?

2. पेरिस में विमानों के खरीद की घोषणा करने पहले क्या प्रधानमंत्री ने सीसीएस (कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी) से मंजूरी ली थी?

3. प्रधानमंत्री ने एचएएल (भारत सरकार के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को दरकिनार कर एए रेटेड कारोबारी (अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड) को सौदा क्यों दिया जबकि उसके पास रक्षा क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है?

राफेल सौदे को लेकर हाल के समय में कांग्रेस और भाजपा के बीच जोरदार जुबानी जंग देखने को मिली है. कांग्रेस भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रही है, जबकि सरकार उल्टा कांग्रेस से सवाल कर रही है.

संप्रग ने 10 साल तक सौदे पर निर्णय नहीं किया

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब 10 साल तक राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर निर्णय नहीं करने को लेकर पिछली संप्रग सरकार की शनिवार को आलोचना की और कहा कि देर करने से क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती क्योंकि इसमें राष्ट्र की सुरक्षा शामिल है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान 2004 और 2013 के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया. उन्होंने कहा, 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद… कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया.

मंत्री ने कहा कि निर्णय नहीं लेने के चलते क्या हुआ, उसे वह विस्तार से बयां नहीं कर सकती क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा, राजग के 2014 में सत्ता में आने के बाद फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए अंतर-सरकारी रास्ते का विकल्प चुना गया. दरअसल, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वायु सेना के साथ चर्चा हुई थी.

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार खरीद पूरी नहीं कर सकी. वहीं, भाजपा नीत सरकार ने हमारी जरूरत और तात्कालिकता पर विचार करते हुए यह किया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि खरीद का आर्डर उचित तरीके से किया गया. सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की सहमति ली गई और सारी औपचारिकताएं पूरी की गईं. दरअसल, इस बारे में उनसे एक सवाल किया गया जिसके जवाब में उन्होंने यह कहा.

यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस यह मुद्दा अब क्यों उठा रही है, रक्षा मंत्री ने कहा, यह सरकार बगैर किसी भ्रष्टाचार के काम कर रही है. उन्होंने कहा कि यह लड़ाकू विमान खरीद भ्रमित करने का एक बहाना बन गया है.

उन्होंने कहा कि हथियार प्रणाली के साथ हर लड़ाकू विमान की कीमत उससे कम है, जो संप्रग सरकार ने बात की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि लड़ाकू विमान खरीदने के पिछली संप्रग सरकार के अनिर्णय ने संभवत: राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों से समझौता किया.

गौरतलब है कि भारत ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इससे करीब डेढ़ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस की एक यात्रा के दौरान इस प्रस्ताव की घोषणा की थी.

कांग्रेस ने हाल के समय में इस सौदे की कीमतों सहित कई चीजों पर सवाल उठाए हैं. उसने सरकार पर सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया. साथ ही, सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)