विवादित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे चोर दरवाज़े से शासन छीनने की कोशिश क़रार देते हुए भारत में लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ बताया है.
नई दिल्ली: विवादास्पद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023, जो राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेता है और उपराज्यपाल एवं नौकरशाहों को व्यापक शक्तियां देता है, को सोमवार रात तब संसद की मंजूरी मिल गई जब राज्यसभा ने इसे पारित कर दिया. चार दिन पहले ही लोकसभा ने भी इसे स्वीकृति प्रदान कर दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विधेयक के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े. बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), जिनके 9-9 सांसद हैं, ने सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में मतदान किया जबकि विपक्ष अपने अनुमान से कुछ कम ही वोट पा सका.
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन ने अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया था- यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी ह्वीलचेयर पर सदन में लाया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि बीमार शिबू सोरेन मतदान के लिए उपस्थित हों. लेकिन यह सब भी विधेयक को पारित होने से नहीं रोक सके.
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चली करीब 8 घंटे की बहस को समाप्त करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा कि यह विधेयक किसी भी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं करता है.
उल्लेखनीय है कि अब इस विधेयक ने उस अध्यादेश का स्थान ले लिया है जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फैसला सुनाए जाने के बाद लाया गया था कि निर्वाचित सरकार का दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण है. आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को संविधान पीठ के पास भेज दिया.
संसद में बहस को दौरान अमित शाह ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा और साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) के विकास में बाधाएं उत्पन्न की हैं. विभिन्न परियोजनाओं के लिए मंजूरी नहीं दी गई, साथ ही दिल्ली में 5जी तकनीक के कार्यान्वयन में भी बाधाएं पैदा की गईं.
उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज के लेनदेन नियम-1993 का हिस्सा हैं, जिसे कांग्रेस ने लागू किया था.
उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हें विधेयक में शामिल कर लिया है. हम कुछ भी नया नहीं लाए हैं. नियमों को विधेयक का हिस्सा बनाया गया है… क्योंकि दिल्ली में एक ऐसी सरकार है जो नियमों का पालन नहीं करती है.’
उन्होंने कहा कि केंद्र को अध्यादेश लाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि आप सरकार ने अधिकारियों का तबादला शुरू कर दिया था और संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों को सीधे मंत्री को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था.
विधेयक लाए जाने की तात्कालिकता का बचाव करते हुए शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा घोटालों से जुड़े दस्तावेज रात ही रात में गायब करने से रोकने के लिए इसे तत्काल लाया गया था.
चोर दरवाजे से शासन छीनने की कोशिश: अरविंद केजरीवाल
इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे चोर दरवाजे से शासन छीनने की कोशिश करार देते हुए भारत में लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ बताया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्यसभा में विधेयक पारित होने के तुरंत बाद एक वीडियो संबोधन में केजरीवाल ने भाजपा पर ‘दिल्ली के लोगों की पीठ में छुरा घोंपने’ का भी आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में एक चुनाव पूर्व भाषण में दिल्ली को राज्य का दर्जा देने का वादा किया था.
केजरीवाल ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहता हूं कि 2014 के चुनावों में आपने निर्वाचित होने पर इसे (दिल्ली) पूर्ण राज्य बनाने का वादा किया था. बस अपना खुद का भाषण उठा लें. उससे पहले, हर चुनाव से पहले, भाजपा ने दिल्ली को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए राजनीतिक आंदोलन किया था. आज आपने दिल्ली के लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है. आप अपनी बात से मुकर गए हैं. अगर आप यही करेंगे तो प्रधानमंत्री पर कौन विश्वास करेगा.’
उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के लोग 2024 में भाजपा को एक भी लोकसभा सीट पर नहीं जिताएंगे.
उन्होंने कहा कि यह विधेयक अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली पर शासन करने का प्रयास है. उन्होंने कहा, ‘वे (भाजपा) जानते हैं कि दिल्ली में ‘आप’ को हराना बहुत मुश्किल है. वे चार चुनाव हार चुके हैं. दिल्ली में भाजपा सरकार बने 25 साल से अधिक समय हो गया है. इसलिए उन्होंने चोर दरवाजे के जरिये दिल्ली का शासन छीनने की कोशिश की है.’
केजरीवाल ने कहा कि मोदी इतने ‘अहंकारी’ हो गए हैं कि वह न तो दिल्ली के लोगों की बात सुनना चाहते हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट की.
केजरीवाल ने कहा, ‘अमित शाह कहते हैं कि संविधान ने हमें कानून पारित करने का अधिकार दिया है… लेकिन आपको सत्ता लोगों की सेवा करने के लिए दी गई है, न कि उनके खिलाफ अत्याचार करने के लिए.’