फिर भारत निर्मित एक और दवा दूषित पाई गई, डब्ल्यूएचओ ने जारी की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर एक भारतीय दवा 'कोल्ड आउट सिरप' के ख़िलाफ़ अलर्ट जारी किया है. अलर्ट में कहा गया है कि इराक को निर्यात की गई इस दवा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल स्वीकार्य स्तर से अधिक मिला है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं और मौत की वजह बन सकता है. 

(फोटो साभार: WHO Alert)

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर एक भारतीय दवा ‘कोल्ड आउट सिरप’ के ख़िलाफ़ अलर्ट जारी किया है. अलर्ट में कहा गया है कि इराक को निर्यात की गई इस दवा में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल स्वीकार्य स्तर से अधिक मिला है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं और मौत की वजह बन सकता है.

(फोटो साभार: WHO Alert)

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक और भारतीय दवा के खिलाफ अलर्ट जारी किया है. इस बार, उसे एक भारतीय निर्माता द्वारा बनाए गए और दूसरी कंपनी द्वारा डिस्ट्रीब्यूट किए गए सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) मिला है.

रिपोर्ट के अनुसार, 7 अगस्त को जारी अलर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय ने कोल्ड आउट सिरप (पैरासिटामोल और क्लोरफेनिरामाइन मैलेट) में डीईजी और ईजी का पता लगाया है. इस दवा का उपयोग सर्दी और फ्लू के लिए किया जाता है. इनमें डीईजी और ईजी का स्तर क्रमशः 0.25% और 2.1% पाए गए हैं.

यह उत्पाद तमिलनाडु स्थित कंपनी फोउर्ट्स (इंडिया) लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित है और डिस्ट्रीब्यूशन डेबीलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड इंडिया ने किया है.

इस दवा का निर्यात इराक में किया गया था और लैब एनालिसिस के लिए देश में एक स्थान से नमूने इकट्ठे किए गए थे.

डब्ल्यूएचओ ने दूषित तत्व की उपस्थिति को अस्वीकार्य रूप से अधिक बताते हुए कहा कि डीईजी और ईजी दोनों को 0.10% से अधिक की अनुमति नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने अपनी चेतावनी में कहा, ‘इस अलर्ट में संदर्भित उत्पाद का घटिया बैच असुरक्षित है और इसके उपयोग से, विशेष रूप से बच्चों में, गंभीर स्वास्थ्य समस्या या मृत्यु हो सकती है. इसके विषैले प्रभाव से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब न कर पाना, सिरदर्द, मानसिक स्थिति में बदलाव और गुर्दे की परेशानी शामिल हो सकती है जिससे मृत्यु संभव है.’

इसमें आगे कहा गया कि आज तक कथित निर्माता और विक्रेता ने उत्पाद की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को गारंटी नहीं दी है.

गौरतलब है कि इससे पहले भारत में बनी दवाइयों को लेकर कई अलर्ट जारी हो चुके हैं. भारतीय फार्मा उद्योग के लिए सबसे बड़ी घटना तब हुई थी, जब बीते साल गांबिया में 70 बच्चों की मौत हुई थी. डब्ल्यूएचओ की लैब रिपोर्ट के अलावा चार विस्तृत रिपोर्ट सामने आने के बावजूद भारत सरकार ने इस घटना को डीईजी और ईजी से हुई विषाक्तता मानने से इनकार कर दिया है.

हाल ही में, डब्ल्यूएचओ ने नेचरकोल्ड सिरप में डीईजी और ईजी पाया था, जिसे कैमरून को निर्यात किया गया था. निर्माता – फ्रैकेन इंटरनेशन – को उत्पाद कार्टन पर यूके-आधारित के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. हालांकि, यूके ड्रग रेगुलेटर ने डब्ल्यूएचओ को पुष्टि की थी कि देश में इस नाम का कोई निर्माता नहीं है. बाद में, निर्माता भारत स्थित पाया गया. सरकार ने इसकी मैन्युफैक्चरिंग बंद करने का आदेश जारी दिया था. इस घटना में छह बच्चों की मौत हो गई थी.

इस साल जनवरी में, उज़्बेकिस्तान में सात बच्चों की मौत को भारत में बनी दो दवाओं से जोड़ा गया था और इनमें भी डीईजी और ईजी की मौजूदगी सामने आई थी. भारत सरकार ने भी अपनी जांच में दवाओं को दूषित पाया था.