भाजपा सरकार ने 2017 और 2022 के चुनाव में वादा किया था कि वह 14 दिन में गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित करेगी. अब विधानसभा में ख़ुद सरकार ने बताया कि 22 मार्च 2023 तक प्रदेश की चीनी मिलों पर पेराई सत्र का 7,366.89 करोड़ बकाया था, जो 24 जुलाई 2023 को 5,664 करोड़ रुपये रह गया.
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2022-23 का 5,664 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है.
यह जानकारी गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने नौ अगस्त को विधानसभा में कई विधायकों द्वारा अलग-अलग पूछे गए सवालों के जवाब में दी.
भाजपा सरकार ने 2017 और 2022 के चुनाव में वादा किया था कि वह 14 दिन में गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित करेगी लेकिन पेराई सत्र समाप्त होने के कई महीनों बाद भी गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया है.
शुगर केन कंट्रोल ऑर्डर 1966 में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि चीनी मिलें किसान को गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के अंदर भुगतान कर देंगी. यदि वे ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें बकाया गन्ना मूल्य पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा.
सपा विधायक महेंद्र नाथ यादव द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में गन्ना विकास मंत्री ने बताया कि 22 मार्च 2023 तक प्रदेश की चीनी मिलों पर पेराई सत्र का 7,366.89 करोड़ बकाया था, जो 24 जुलाई 2023 के आंकड़ों के अनुसार 5,664 करोड़ रुपये रह गया है.
सपा के विधानसभा सदस्य पंकज मलिक के सवाल के जवाब में गन्ना विकास मंत्री ने बताया कि 24 जुलाई 2023 के अनुसार 38,051.45 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य के सापेक्ष 32,387.45 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है और अब 5664 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है. मंत्री ने यह भी बताया कि 21 मार्च 2023 तक 34,54,691 किसानों को 19,771.31 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य भुगतान किया गया था और तब 7525.31 करोड़ गन्ना मूल्य बकाया था.
गन्ना विकास मंत्री ने यह भी बताया कि बकायेदार चीनी मिलों को 21 अप्रैल, 19 मई , नौ जून और 22 जून 2023 को नोटिस दी गई है.
प्रदेश में बंद हैं 39 चीनी मिल
विधायक महेन्द्र नाथ यादव के प्रश्न के जवाब में मंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश में कुल 39 चीनी मिलें बंद हैं. इनमें निगम की आठ, सहकारी क्षेत्र की पांच, निजी क्षेत्र की 22 और भारत सरकार के अधीन चार मिले हैं.
उन्होंने बताया कि निगम की दो बंद चीनी मिलों पिपराइच और मुंडेरवा में नई चीनी मिलें स्थापित की गई हैं. छाता (मथुरा) और बुढवल (बाराबंकी) में नई चीनी मिलों को स्थापित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में बजट का प्रावधान किया गया है. निजी क्षेत्र की गांगलहेड़ी (सहारनपुर), बुलंदशहर, मंझावली (संभल) और टोडरपुर (सहारनपुर) फिर से चालू हुई हैं.
पडरौना चीनी मिल को चलाने का प्रस्ताव नहीं, छितौनी को चलाना संभव नहीं
कुशीनगर जिले के पडरौना के विधायक मनीष कुमार मंटू के प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि पडरौना चीनी मिल भारत सरकार के उपक्रम ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन की इकाई है. इस बंद चीनी मिल के स्थान नई चीनी मिल स्थापित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. इस क्षेत्र का गन्ना हाटा और रामकोला चीनी मिलों द्वारा सुगमतापूर्वक खरीद की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चीनी मिल को चलाने का वादा किया था.
खड्डा के विधायक विवेकानंद पांडेय द्वारा छितौनी चीनी मिल को चालू करने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में गन्ना विकास मंत्री ने बताया कि वर्ष 2007 में निगम की सभी चीनी मिलों के निजीकरण/विक्रय के निर्णय के क्रम में चार जनवरी 2011 को छितौनी चीनी मिल का विक्रय व हस्तांतरण मेसर्स गिरीआशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली को कर दिया गया था. वर्तमान में छितौनी चीनी मिल उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के स्वामित्व में नहीं है. उक्त चीनी मिल के विक्रय के संबंध में सीबीआई जांच चल रही है और उच्चतम न्यायालय में वाद लंबित है. ऐसे में इस चीनी मिल का चलाया जाना संभव नहीं है.
देवरिया जिले के रामपुर कारखाना के भाजपा विधायक सुरेंद्र चौरसिया के सवाल पर गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि देवरिया जिले में प्रतापपुर चीनी मिल चल रही है जिसकी पेराई क्षमता छह हजार टीसीडी है. जिले में बहुत सीमित क्षेत्र में ही गन्ने का उत्पादन होता है जिससे चीनी मिल को उसकी पेराई क्षमता के अनुरूप गन्ना नहीं मिल पाता है. इस कारण चीनी मिल को जल्दी ही पेराई कार्य बंद करना पड़ता है.
रसड़ा चीनी मिल को नहीं मिला निजी निवेशकर्ता
बलिया जिले केे बैरिया विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक जय प्रकाश अंचल के सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि सहकारी क्षेत्र की रसड़ा चीनी मिल को इंटीग्रेटेड सुगर कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने के लिए निजी निवेशकर्ता को दीर्घकालीन लीज पर देने का निर्णय किया गया था. इसकी प्रशासकीय स्वीकृति तीन मार्च 2019 को दी गई. इसके लिए 18 मार्च 2019 और 26 जून 2019 को दो बार ई-निविदा आमंत्रित की गई लेकिन लेकिन कोई बिडर निविदा में भाग लेने नहीं आया.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)