यूपी: योगी सरकार में 35 से अधिक लोगों ने सरकार, भाजपा कार्यालय के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया

उत्तर प्रदेश में गृह विभाग का प्रभार संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया है कि 2017 से अब तक 35 लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया है, जिनमें से चार की मौत हुई है.

योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/@MYogiAdityanath)

उत्तर प्रदेश में गृह विभाग का प्रभार संभालने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया है कि 2017 से अब तक 35 लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया है, जिनमें से चार की मौत हुई है.

योगी आदित्यनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/@MYogiAdityanath)

नई दिल्ली: ‘मेरे भैया को मार दिया’, पीड़ा से चीखते हुए उसने यह शब्द कहे और वह खुद को आग लगाने लगी, लेकिन इससे पहले ही आसपास खड़े लोगों और पुलिस गार्ड ने उसके हाथ पकड़ लिए.

बागपत की रहने वाली महिला ने अपने भाई की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मंगलवार (8 अगस्त) को उत्तर प्रदेश विधानसभा भवन के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की.

महिला को घटना के एक वीडियो में यह कहते हुए सुना गया था, ‘कोई कार्रवाई नहीं की गई है. चार महीने हो गए हैं.’

खबरों के मुताबिक, महिला का भाई, जो एक पुलिस कॉन्स्टेबल था, घर से लापता होने के कुछ दिनों बाद एक नहर में मृत पाया गया था. उसने अपने भाई के ससुराल वालों पर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया है.

हालांकि पुलिस की ओर से आधिकारिक बयान अभी भी आना बाकी है, लेकिन स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा साझा किए गए लिखित आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2017 में उनके सत्ता में आने के बाद से 31 दिसंबर 2022 तक 35 लोगों ने यूपी विधानसभा, लोक भवन (सचिवालय) या राज्य भाजपा मुख्यालय के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया है.

तीनों इमारतें लखनऊ में विधानसभा मार्ग पर एक-दूसरे के करीब हैं, जहां पीड़ित लोग और समूह पारंपरिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराने आते रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में वीवीआईपी मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था की कई बार पोल खुली है, क्योंकि लोग और परिवार आत्मदाह का प्रयास करने के लिए वहां पहुंचे हैं.

वर्तमान में जारी यूपी विधानसभा के मानसून सत्र में आदित्यनाथ ने 7 अगस्त को एक लिखित जवाब में कहा कि 2017 से अब तक 35 लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया है, जिनमें से चार की मौत हो गई है. इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं.

आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के विधायक तूफानी सरोज के एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी. सरोज जानना चाहते थे कि क्या सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्होंने कथित तौर पर पीड़ित व्यक्तियों को खुद को आग लगाने के लिए उकसाया था.

कानून एवं व्यवस्था से संबंधित गृह विभाग का प्रभार संभालने वाले आदित्यनाथ ने कहा कि आगे की कार्रवाई करने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि पुलिस ने पहले ही मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है और अदालतों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. चार अलग-अलग मामलों में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

यूपी विधानसभा या भाजपा राज्य मुख्यालय के बाहर आत्मदाह की घटनाओं में मरने वाले चार लोगों के नाम साफिया (अमेठी), अंजलि तिवारी (महाराजगंज), बलराम तिवारी (लखनऊ) और सुरेंद्र चक्रवर्ती (लखनऊ) थे.

यह देखते हुए कि आदित्यनाथ द्वारा साझा किया गया डेटा दिसंबर 2022 तक का था, वर्तमान में यह आंकड़ा अधिक होने की उम्मीद है.

आत्मदाह के कई प्रयास आदित्यनाथ की छवि के लिए चिंता का कारण बन गए थे. नतीजतन, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य विधानसभा के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई. एक कदम आगे बढ़ते हुए, सरकार ने वॉच टावर भी बनाए और ड्यूटी पर तैनात पुलिस को कंबल, रेत की बाल्टियों और आग बुझाने वाले यंत्रों से सुसज्जित कर दिया.

जून में, उन्नाव के एक किसान ने अपने परिवार के साथ राज्य विधानसभा के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था. उनका आरोप था कि पुलिस उनकी दो बेटियों के यौन उत्पीड़न के प्रयास संबंधी शिकायत में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही.

जुलाई 2020 में 50 साल की साफिया ने यूपी सचिवालय के बाहर अपनी बेटी के साथ खुद को आग लगा दी थी, जिसके बाद साफिया की जलने से मौत हो गई थी. पुलिस ने बताया कि साफिया का अपने पड़ोसी से नाली को लेकर विवाद था.

पुलिस ने फिर एक एआईएमआईएम के सदस्य और कांग्रेस नेता अनूप पटेल को कथित तौर पर यूपी विधानसभा के सामने दोनों मां-बेटियों को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

अक्टूबर 2020 में, करीब 30 साल की अंजलि तिवारी की मौत भी खुद को आग लगाने के बाद हुई थी. उन्होंने अपने ससुराल वालों पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था.

उसी महीने, सुरेंद्र चक्रवर्ती की भी खुद को आग लगाने के बाद जलने से मौत हो गई थी. कथित तौर पर उस व्यक्ति ने अपने मकान मालिक द्वारा उसे बेदखल करने के प्रयासों को विफल करने के लिए यह कृत्य किया था. घटना का वीडियो बनाने वाले एक पत्रकार को भी आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सह-आरोपी बनाया गया था, उन पर व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने के साथ-साथ मकान मालिक पर दबाव बनाने के आरोप लगाए गए.

पिछले साल 50 वर्षीय बलराम तिवारी की अपने मकान मालिक पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए लखनऊ में भाजपा कार्यालय के बाहर आत्मदाह करने के बाद मृत्यु हो गई थी.

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