संभल में शाही जामा मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा में मुसलमान समुदाय के पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी. अब पुलिस ने दावा किया है कि जिस जगह ये हिंसा हुई थी, वहां से उसे पाकिस्तान में बना कारतूस मिला है.
संभल प्रशासन ने विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों से मिलने के लिए ज़िले में जाने की अनुमति नहीं दी. विपक्षी दलों का कहना है कि यह भाजपा सरकार की कथित पुलिस ज़्यादतियों के पीड़ितों तक पहुंच बाधित करने की योजना का हिस्सा है.
यूपी सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले एक न्यायिक आयोग को संभल हिंसा की जांच का ज़िम्मा सौंपा है. विपक्षी दल के नेता इस जांच की अचानक घोषणा के सरकार के फैसले को संदेह की नज़र से देख रहे हैं, वहीं आयोग की शर्तें और संदर्भ भी कई सवाल उठाते हैं.
भाजपा के अनुसार, संभल में मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा शहर के तुर्क और पठान समुदाय से संबंधित दो राजनीतिक परिवारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम थी. हालांकि, स्थानीय लोगों और विपक्षी नेताओं ने इसे नकारते हुए पुलिस को बचाने का प्रयास कहा है.
संभल मस्जिद की प्रबंध समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील जफर अली ने सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारी एक-दूसरे को क्यों मारेंगे? अगर उन्हें गोली चलानी ही थी, तो वे पुलिस पर गोली चलाते, जनता पर नहीं. अली ने दावा किया कि उन्होंने ख़ुद पुलिस को भीड़ पर गोलियां चलाते हुए देखा था.
संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा को लेकर पुलिस ने दो महिलाओं समेत 25 मुस्लिमों को गिरफ़्तार किया है और सपा सांसद जिया-उर-रहमान बर्क समेत करीब 2,500 लोगों पर केस दर्ज किया है. पुलिस का दावा है कि उसने भीड़ के ख़िलाफ़ किसी भी घातक हथियार का इस्तेमाल नहीं किया.
संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध कर रही भीड़ की पुलिस के साथ 24 नवंबर को हुई झड़प में तीन मुस्लिमों की मौत हुई है. स्थानीय मुस्लिमों का आरोप है कि तीनों पुलिस की गोलीबारी में मारे गए, जबकि प्रशासन ने दावा किया है कि वे भीड़ के बीच क्रॉस-फायरिंग का शिकार हुए.
यूपी में उपचुनाव के मतदान में बड़े पैमाने पर पुलिस के दुर्व्यवहार और मुस्लिमों से भेदभाव के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था. इस बीच भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने इसकी ख़बर देने वाले मुस्लिम पत्रकारों की लिस्ट जारी करते हुए इसे 'मीडिया जिहाद' का नाम दे रहे थे.
संभल की एक स्थानीय अदालत में दायर याचिका में हिंदुत्व समर्थक वकील हरि शंकर जैन समेत कई लोगों ने दावा किया है कि शाही जामा मस्जिद विष्णु के अवतार कल्कि का मंदिर है. कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था, जिसके कुछ ही घंटों के अंदर यह कार्यवाही पूरी कर ली गई.
अर्जक संघ मानवतावाद, बुद्धिवाद, वैज्ञानिक सोच और सभी के लिए समान शिक्षा की वकालत करता है, ताकि समाज से जाति का भेदभाव खत्म हो जाए. संगठन का मानना है कि समाज की सभी बुराइयों की जड़ ‘शिक्षा की कमी’ और ‘पाखंड’ (धार्मिक पाखंड) है.
महाराष्ट्र में अपनी रैलियों में आदित्यनाथ ने ध्रुवीकरण वाला नारा दोहराते हुए कहा, ‘एक रहोगे तो नेक रहोगे, सुरक्षित रहोगे. बंटे थे तो कटे थे.'
मामला लखनऊ के चिनहट थाने का है, जहां मोहित पांडेय नाम के एक व्यक्ति को एक मामूली विवाद के सिलसिले में हिरासत में लेकर बेरहमी से पीटे जाने का आरोप है. परिजनों के विरोध प्रदर्शन के बाद संबंधित थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.
बीते 13 अक्टूबर को बहराइच के महाराजगंज इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा में गोपाल मिश्रा नामक एक हिंदू युवक की गोली लगने से मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. सोमवार को गुस्साई और उग्र भीड़ ने मिश्रा की मौत का विरोध किया और दुकानों, वाहनों, एक निजी अस्पताल और अन्य संपत्तियों को आग लगा दी. इस बीच, भाजपा विधायक ने सोशल मीडिया पर मुस्लिम पत्रकारों की एक सूची साझा करते हुए एक और सांप्रदायिक आग भड़का दी.
उत्तर प्रदेश में साल 2020-21 में ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण के ख़िलाफ़ विवादास्पद क़ानून आने के बाद सामूहिक धर्मांतरण को लेकर सज़ा का यह पहला बड़ा मामला है.
यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने राज्य सरकार द्वारा बुलडोज़र के इस्तेमाल को उचित ठहराते हुए कहा कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गुंडागर्दी और 'माफिया राज' को ख़त्म करने का तरीका है, उसी तरह जैसे पीएम मोदी राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार से निपट रहे हैं.