अयोध्या डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में ठेकेदारों को अनुचित फायदा पहुंचाया गया: कैग रिपोर्ट

कैग ने जनवरी 2015 से मार्च 2022 के बीच केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना का ऑडिट किया था, जिसकी संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि छह राज्यों में छह परियोजनाओं/सर्किटों में ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया.

अयोध्या में राम की पैड़ी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कैग ने जनवरी 2015 से मार्च 2022 के बीच केंद्र की स्वदेश दर्शन योजना का ऑडिट किया था, जिसकी संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि छह राज्यों में छह परियोजनाओं/सर्किटों में ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया.

अयोध्या में राम की पैड़ी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कथित तौर पर स्वदेश दर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार की अयोध्या विकास योजना के अमल में अनियमितताएं पाई हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अनियमितताओं में ठेकेदारों को अनुचित लाभ देना भी शामिल है.

कैग ने जनवरी 2015 से मार्च 2022 के बीच स्वदेश दर्शन योजना का ऑडिट किया था, जिसकी रिपोर्ट बुधवार को संसद में पेश की गई और कहा गया कि छह राज्यों में छह परियोजनाओं/सर्किटों में ठेकेदारों को 19.73 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया गया.

अयोध्या परियोजना संबंधित अनुचित लाभों पर कैग रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कार्यान्वयन करवाने वाली एजेंसी यानी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा नियुक्त ठेकेदार को अनुबंध मूल्य 62.17 करोड़ रुपये के पांच प्रतिशत की दर पर प्रदर्शन गारंटी जमा करनी थी, जो 3.11 करोड़ रुपये होता है. हालांकि, ठेकेदार ने इसके नवीनीकरण के समय (सितंबर 2021) रिकॉर्ड पर कोई कारण बताए बिना कम राशि यानी केवल 1.86 करोड़ रुपये जमा करवाए.’

रिपोर्ट में आगे बताया गया, ‘अयोध्या के गुप्तार घाट में काम को समान आकार के 14 लॉट में बांटा गया था और विभिन्न निजी ठेकेदारों को काम सौंपा गया था. लेकिन कार्यान्वयन करवाने वाली एजेंसी (सिंचाई विभाग) ने ठेकेदारों द्वारा प्रस्तावित वित्तीय बोलियों/दरों के तुलनात्मक विश्लेषण करने में उचित सावधानी नहीं बरती और समान प्रकृति और स्वीकृत लागत के काम एक ही ठेकेदार को अलग-अलग दरों पर दे दिए, जिसके परिणामस्वरूप जो 19.13 लाख रुपये बच सकते थे, वो खर्च हुए.’

अख़बार के मुताबिक, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘तीन ठेकेदारों को काम देने के बाद राज्य सरकार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उनका जीएसटी पंजीकरण रद्द कर दिया. इस प्रकार, वे अब पंजीकृत ठेकेदार नहीं थे, न ही जीएसटी लेने के हकदार थे. लेकिन, एक ठेकेदार को उसके जीएसटी पंजीकरण के लिए कुल 19.57 लाख रुपये का अनियमित भुगतान किया गया. बाकी दो ठेकेदारों के मामले में यह भुगतान लंबित था, जबकि जीएसटी की पूरी राशि खुद निष्पादन एजेंसी (सिंचाई विभाग) को काटकर जमा की जानी थी.’

कैग ने कहा कि ठेकेदारों को उस काम के लिए भुगतान किया गया जो हुए ही नहीं थे. ‘गुप्तार घाट के विकास कार्य में 1,447.50 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 23,767 वर्ग मीटर में पत्थर के पटिया की आपूर्ति और फिक्सिंग का काम शामिल था. इसमें एमएस क्लैंप (आपूर्ति और फिक्सिंग) की 216.88 रुपये प्रति वर्ग मीटर की लागत शामिल है. (आपूर्ति के लिए 136.88 रुपये और फिक्सिंग के लिए 80.00 रुपये). यह काम करवाया गया और निजी ठेकेदारों को उनके संबंधित अनुबंधों में बताई गई दरों पर भुगतान किया गया.’

‘हालांकि साइट निरीक्षण में पाया गया कि कोई भी एमएस क्लैंप ठीक नहीं किया गया था. हालांकि इस काम के एवज में ठेकेदारों को 51.55 लाख रुपये (12 प्रतिशत जीएसटी को छोड़कर) का भुगतान किया गया था. चूंकि साइट पर एमएस क्लैंप की आपूर्ति और फिक्सिंग का कोई काम नहीं किया गया था, इसलिए इसकी लागत ठेकेदारों के बिलों से काट ली जानी चाहिए थी. इस प्रकार, कटौती न करने के परिणामस्वरूप अंतिम बिल में ठेकेदारों को 57.73 लाख रुपये (12 प्रतिशत जीएसटी सहित) का अतिरिक्त भुगतान हुआ.’

अयोध्या विकास परियोजना स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट का हिस्सा है. इसे 27 सितंबर 2017 को 127.21 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी, जिसमें से 115.46 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. अयोध्या के अलावा उत्तर प्रदेश में रामायण सर्किट में दो अन्य परियोजनाएं चित्रकूट और श्रृंगवेरपुर हैं.

रिपोर्ट में जिन पांच अन्य परियोजनाओं का जिक्र किया गया है, वे गोवा की सिंक्वेरिम-अगुआडा जेल; हिमाचल प्रदेश का हिमालयन सर्किट; तेलंगाना का हेरिटेज सर्किट; सिक्किम में रंगपो-सिंगतम का डेवलपमेंट और मध्य प्रदेश का बौद्ध सर्किट हैं.