द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संसद में घोषणा की कि मोदी सरकार ने राजद्रोह कानून को ‘रद्द’ करने का फैसला किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार और इसके औपनिवेशिक स्वरूप को बदलने का हवाला देते हुए शाह ने तीन नए विधेयक- भारतीय न्याय संहिता विधेयक- 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक- 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक- 2023 पेश किए. ये तीनों क्रमशः इंडियन पीनल कोड, 1860, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 की जगह लेंगे. शाह ने ‘राजद्रोह’ कानून को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कही, हालांकि भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की धारा 150 बताती है है कि भले ही राजद्रोह शब्द हटा दिया गया हो, लेकिन कानून बना हुआ है और कई मायनों में इसे आजीवन कारावास या सात साल की कारावास की सजा के साथ दंडनीय बनाकर और अधिक कठोर बना दिया गया है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि मणिपुर में महीनों से आग लगी है और प्रधानमंत्री हंस-हंसकर मज़ाक कर रहे थे. शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मलेन में बोलते हुए राहुल ने कहा कि अगर देश में कहीं हिंसा हो रही है तो प्रधानमंत्री को दो घंटे मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए. ऐसा व्यवहार हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि मणिपुर में जो हो रहा है, सेना उसे दो दिन में रोक सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री मणिपुर की आग को बुझाना नहीं चाहते.
वाराणसी की एक अदालत ने मीडिया को ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे एएसआई सर्वे के बारे में ‘अनाधिकारिक जानकारी या सूचनाएं’ प्रकाशित या प्रसारित करने से रोक दिया है. बार और बेंच के अनुसार, कोर्ट ने एएसआई समेत मामले के सभी हितधारकों को सर्वे के बारे में बयान देने से भी मना किया है. यह आदेश मस्जिद का प्रबंधन संभालने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर एक आवेदन के संबंध में आया है. समिति ने अपनी याचिका में कहा था कि सर्वे टीम की ओर से अब तक कोई बयान नहीं दिया गया है, लेकिन अख़बारों, न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर लगातार भ्रामक ख़बरें चल रही हैं.
हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद कुछ अन्य हिस्सों में उपजे सांप्रदायिक तनाव के बीच हिसार में हुई एक महापंचायत में खापों, कृषि संघों ने महापंचायत में मोनू मानेसर की गिरफ़्तारी और शांति बनाए रखने की मांग की. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यहां 30 खापों, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं, कई किसान संघों और विभिन्न धर्मों के लोग इकट्ठा हुए थे, जिन्होंने राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने का संकल्प लिया और उन लोगों को चेतावनी दी ‘जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ नारे और भाषा का उपयोग करके राज्य में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.’
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव पर रोक लगा दी है. द हिंदू के अनुसार, इस चुनाव के लिए मतदान शनिवार (12 अगस्त) को होना था. यह आदेश हरियाणा कुश्ती महासंघ (एचडब्ल्यूए ) द्वारा दायर एक याचिका के बाद आया, जिसमें हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ को इस चुनाव में वोट डालने की अनुमति देने के कदम को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि एचडब्ल्यूए राज्य में एक पंजीकृत सोसायटी है और डब्ल्यूएफआई से संबद्ध है. डब्ल्यूएफआई के नियमों और संविधान के अनुसार, कोई भी पंजीकृत संबद्ध निकाय डब्ल्यूएफआई चुनावों में वोट डालने के लिए दो प्रतिनिधियों को भेज सकता है. उधर, हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ ने दावा किया है कि वह डब्ल्यूएफआई के साथ-साथ हरियाणा ओलंपिक संघ से भी संबद्ध है. इस दावे पर एचडब्ल्यूए ने सवाल उठाया था और कहा था कि अगर उन्हें मतदान करने दिया गया तो चुनाव प्रक्रिया अवैध कही जाएगी.
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी विधायक नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट से दो महीने की अंतरिम जमानत मिल गई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शीर्ष अदालत ने उन्हें मेडिकल आधार पर ज़मानत दी है. ईडी ने उन्हें फरवरी 2022 में कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड संपत्ति को लेकर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़ा था. मलिक मार्च 2022 से न्यायिक हिरासत में हैं और पिछले साल मई से कुर्ला के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती हैं.
केंद्र सरकार ने बताया है कि देश में हाईकोर्ट जजों के तौर पर 13%, ज़िला और अधीनस्थ स्तर पर 36% से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, न्यायपालिका में लैंगिक अंतर को दूर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के संबंध में गुरुवार को एआईडीएमके सांसद आर. धरमार के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि उच्च न्यायालयों में 106 महिला जज और ज़िला और अधीनस्थ स्तर पर 7,199 महिलाएं काम कर रही हैं.