हिमाचल प्रदेश में बारिश संबंधी घटनाओं में कम से कम 55 लोगों की मौत

देश के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में बारिश का कहर जारी है. हिमाचल में कई जगहों पर भूस्खलन हुए हैं, जिससे प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं, घर और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. उत्तराखंड में में बारिश से जुड़ीं घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई और 10 लोग लापता बताए गए हैं.

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्खलन की सूचना है. (फोटो साभार: ट्विटर/@himachalpolice)

देश के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में बारिश का कहर जारी है. हिमाचल में कई जगहों पर भूस्खलन हुए हैं, जिससे प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं, घर और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. उत्तराखंड में में बारिश से जुड़ीं घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई और 10 लोग लापता बताए गए हैं.

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्खलन की सूचना है. (फोटो साभार: ट्विटर/@himachalpolice)

नई दिल्ली: हिमालय क्षेत्र में भारी बारिश का कहर जारी है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में लगभग 55 लोगों की मौत की खबर है. राज्य में कई जगहों पर भूस्खलन हुए हैं, जिससे प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं, घर और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

राजधानी शिमला में दो स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, यहां से अब तक 14 शव बरामद किए गए हैं और अधिकारियों को डर है कि मलबे के नीचे और भी लोग फंसे हो सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल शिमला-कालका रेलवे लाइन भी समर हिल के पास क्षतिग्रस्त हो गई है. भूस्खलन के चलते 50 मीटर लंबा पुल बह गया, जिससे ट्रैक का एक हिस्सा हवा में लटक गया.

स्टेशन मास्टर जोगिंदर सिंह ने कहा कि शिमला से 6 किमी दूर समर हिल के पास कंक्रीट पुल पूरी तरह से नष्ट हो गया और हेरिटेज ट्रैक को पांच या छह स्थानों पर नुकसान हुआ है और सबसे अधिक प्रभावित हिस्सा शिमला और शोघी के बीच है. सिंह ने कहा, बारिश की तीव्रता के आधार पर ट्रैक की मरम्मत में कम से कम दो सप्ताह लगेंगे.

हिमाचल में 70 घंटे लगातार बारिश हुई, जिससे भारी तबाही हुई है. मंडी जिले में सबसे ज्यादा 19 लोगों की जान चली गई है. वहीं शिमला में 16, सोलन में 10, सिरमौर में 4, चंबा, हमीरपुर और कांगड़ा में एक-एक व्यक्ति की मौत की सूचना है. कांगड़ा में 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा 273 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई.

हिमाचल प्रदेश के हालात पर बात करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, ‘राज्य में अब तक लगभग 55 लोगों की जान जा चुकी है. मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है. मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. चंडीगढ़-शिमला 4-लेन राजमार्ग के साथ-साथ अन्य मुख्य सड़कें खोली गई हैं.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार को राज्य के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.

मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, ‘शिमला में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति का जायजा लेने के लिए आज एक बैठक की अध्यक्षता की. इस भीषण त्रासदी को देखते हुए इस बार स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाएगा. स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के जवान परेड में भाग नहीं लेंगे, वे केवल बचाव कार्यों में शामिल होंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार की पहली प्राथमिकता भारी बारिश के कारण लोगों को हो रही परेशानी को दूर करना है और परेड को भी छोटा किया जा रहा है. राहत एवं बचाव कार्यों में अधिक से अधिक संख्या में जवानों को तैनात किया जाएगा और लोगों को राहत पहुंचाने का काम युद्धस्तर पर जारी रहेगा.’

मौसम कार्यालय ने सोमवार को कुल्लू, किन्नौर, लाहौल और स्पीति को छोड़कर हिमाचल के 12 जिलों में से नौ में अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की और मंगलवार को राज्य के लिए एलो अलर्ट जारी किया.

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि लगातार बारिश की वजह से हुए भूस्खलन के कारण 700 से अधिक सड़कें बंद कर दी गई हैं. अधिकारियों ने यह भी बताया कि शिमला और चंडीगढ़ को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का एक प्रमुख हिस्सा बार-बार हो रहे भूस्खलन से प्रभावित हुआ है, जिससे राजमार्ग पर कई वाहन फंसे हुए हैं.

सरकार ने राज्य में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टियों की घोषणा कर दी है. पोस्ट ग्रेजुएट की सभी परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं.

राज्य में हर मानसून सीजन में आपदा आती है. इस वर्ष इसमें 257 लोगों की जान जाने और अरबों डॉलर की संपत्ति के नुकसान की सूचना है.

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में इस तरह का चरम मौसम बार बार बन जा रहा है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग हिमालयी राज्य में ग्लेशियरों के पिघलने में योगदान दे रही है.

उत्तराखंड में भी बारिश का कहर जारी

हिमाचल प्रदेश के अलावा उत्तराखंड राज्य में भी बारिश का कहर जारी है. राज्य में भारी बारिश के कारण चारधाम यात्रा दो दिन के लिए रोक दी गई है. अधिकारियों ने कहा कि मूसलाधार बारिश ने राज्य को प्रभावित किया है, प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों में बाढ़ आ गई है और बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री मंदिरों के राष्ट्रीय राजमार्गों पर भूस्खलन हुआ है.

भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कई लोगों के दबे होने की आशंका है. आपदा नियंत्रण कक्ष ने कहा कि अलकनंदा, मंदाकिनी और गंगा नदियां रुद्रप्रयाग, श्रीनगर और देवप्रयाग में खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि इस बीच उत्तराखंड के जोशीमठ में ताजा दरारें दिखाई दीं, जिससे राज्य में भारी बारिश के कारण यहां के निवासियों में डर बढ़ गया है.

भारी बारिश के कारण जोशीमठ के सुनील गांव के पंवार मोहल्ले और नेगी मोहल्ले के करीब 16 परिवार खतरे में हैं, क्योंकि गांव के ऊपरी और निचले हिस्सों में कई जगहों पर दरारें पड़ गई हैं, जिससे बड़े भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है. प्रभावित परिवारों के मुताबिक घर गिरने के डर से लोग रात में अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में एक शिविर (नाइट लाइफ पैराडाइज कैंप) में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के बाद एक व्यक्ति मृत पाया गया, जबकि चार अन्य के मलबे में फंसे होने की आशंका है. सोमवार को भारी बारिश के कारण देहरादून को ऋषिकेश से जोड़ने वाली एक सड़क भोगपुर गांव के पास बह गई.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड के ऋषिकेश में सोमवार को देशभर में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई. राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई और 10 लोग लापता बताए गए हैं.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया.

उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण पिछले 48 घंटों में कई जगह नुकसान हुआ है. सड़कें बह गई हैं, पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. केदारनाथ यात्रा अगले 2 दिनों के लिए रोक दी गई है. गंगा नदी में भी जलस्तर बढ़ रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए, खोज और बचाव टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है.’

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