उत्तर प्रदेश में बरेली ज़िले के शीशगढ़ क़स्बे का मामला. दूसरे समुदाय के एक लड़के द्वारा धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने थाने का घेराव करने के साथ लड़के के घर के बाहर प्रदर्शन किया था. आरोपी ने एक अन्य लड़के के साथ सोशल मीडिया पर बहस में यह टिप्पणी की थी. दोनों को हिरासत में ले लिया गया है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के शीशगढ़ कस्बे में शुक्रवार (18 अगस्त) को उस समय तनाव व्याप्त हो गया, जब अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के एक समूह ने एक 14 वर्षीय लड़के के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर उनके धर्म के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की थी.
पुलिस ने कहा कि दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लड़के ने कथित तौर पर अपने सहपाठी के साथ ऑनलाइन बहस के दौरान यह टिप्पणी की. उन्होंने बताया कि दोनों लड़कों को हिरासत में ले लिया गया है, दोनों की उम्र 14 साल है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस सूत्रों ने शनिवार (19 अगस्त) को बताया कि बरेली पुलिस ने दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है और पूरी घटना के संबंध में चार एफआईआर दर्ज की हैं.
इससे पहले शुक्रवार शाम को प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने लड़के की गिरफ्तारी की मांग को लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया था. इसके बाद वे लड़के के घर गए और बाहर धरने पर बैठ गए. इस बीच पड़ोसी इलाके के लोग भी मौके पर पहुंच गए और कथित तौर पर घर पर पथराव किया, जो बंद था.
सूचना मिलने के बाद पुलिस की एक टीम जल्द ही मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की. कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की और मामले में एफआईआर दर्ज होने तक हटने से इनकार कर दिया.
बाद में शुक्रवार रात पुलिस ने लड़के के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज की. पुलिस द्वारा लड़के को हिरासत में लेने के बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि लड़के के दोस्त ने भी ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की थी तो उसी आरोप में उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया. संबंधित दोनों पुलिस स्टेशनों के प्रभारियों ने बताया कि पुलिस ने दोनों लड़कों को हिरासत में लिया है.
बरेली के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) राज कुमार ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के संबंध में उपद्रवियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 341 (गलत तरीके से रोकना) और अन्य के तहत एक अलग मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस शुक्रवार रात हिंसा और विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है.
शीशगढ़ कस्बे में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. एहतियात के तौर पर लड़के के घर के बाहर भी पुलिस टीम तैनात की गई है. राज कुमार ने कहा, ‘हिरासत में लिए गए लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है और इसमें शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच, इलाके के कुछ दुकानदारों ने ‘एकतरफा पुलिस कार्रवाई’ के विरोध में शनिवार को अपनी दुकानें बंद कर दीं.
इस मामले में शुक्रवार रात करीब 8 बजे दर्ज की गई पहली एफआईआर में शिकायतकर्ता मोहम्मद आसिफ ने दावा किया, ‘आपत्तिजनक पोस्ट के बाद हमारी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों ने शुक्रवार रात विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया, लेकिन शनिवार सुबह से पुलिस की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण रही है. हिरासत में लिए गए लोगों में से कई हमारे समुदाय के हैं. हमने अपनी दुकानें बंद करने का फैसला किया है.’
पुलिस महानिरीक्षक आईजी राकेश सिंह ने कहा, ‘शांति सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में पर्याप्त पुलिस और पीएसी के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है.’
बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) घुले सुशील चंद्रभान ने कहा, ‘उपद्रवियों की पहचान की जा रही है, क्योंकि पूरी घटना की पुलिस ने वीडियोग्राफी की है. हम इलाके के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करेंगे. अपराधियों को सख्त दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.’
रिपार्ट के अनुसार, बरेली, उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक रूप से अधिक संवेदनशील जिलों में से एक है. बीते 30 जुलाई को बरेली के जोगिनीवाड़ा इलाके में उस समय झड़प हो गई जब एक कांवड़ यात्री समूह अल्पसंख्यक समुदाय-बहुल इलाके से गुजर रहा था. इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 16 लोग घायल हो गए. घटना को लेकर तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया था.
आईजी सिंह ने कहा, ‘हम शुक्रवार की घटना की जांच करेंगे और अगर पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाने के दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’