मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि व्यापारियों और उद्यमियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाए. कहा गया है कि यह क़दम राज्य में उद्यमियों को आधारहीन एफआईआर के ज़रिये अनुचित दबाव और उत्पीड़न से बचाने के लिए लिया गया है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने कारोबारियों के खिलाफ दर्ज होने वाले ‘निराधार मामले’ कम करने का हवाला देते आदेश दिया है कि उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाए.
यूपी सीएमओ के एक ट्वीट में कहा गया है कि ‘मुख्यमंत्री ने व्यापार के सुगम संचालन और उद्यमियों व निवेशकों को उत्पीड़न से बचाने के लिए किसी भी प्रकार की शिकायत पर प्रारंभिक जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.’
द हिंदू के अनुसार, सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आदेश दिया कि व्यापारियों और उद्यमियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाए. इस कदम का उद्देश्य राज्य में व्यवसायियों और उद्यमियों के खिलाफ दर्ज आधारहीन एफआईआर की संख्या को कम करना है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर उत्पीड़न और अनुचित दबाव बनाया जाता है. अब कोई भी व्यक्ति सीधे तौर पर व्यापारियों और उद्यमियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करा सकेगा.’
कहा गया है कि यह कदम राज्य के विकास में किसी भी तरह की बाधा को रोकने के लिए है. हालांकि यह आदेश किसी भी संज्ञेय अपराध पर लागू नहीं होगा जो पुलिस को किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की अनुमति देता है.
सरकारी आदेश में कहा गया है, ‘सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि राज्य की विकास परियोजनाओं को गति देने के लिए ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में कोई बाधा न आए. इसके साथ ही, सरकार उद्यमियों, व्यापारियों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, निर्माण कंपनियों, होटलों और अन्य लोगों के साथ-साथ उनके प्रबंधकीय स्तर के कर्मचारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार की पहल से राज्य में 36 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है.’