सीवीसी को गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार की सर्वाधिक शिकायतें मिलीं

केंद्रीय सतर्कता आयोग की नवीनतम सालाना रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ प्राप्त कुल 1,15,203 शिकायतों में से 46,643 (41%) गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ थीं. इसके बाद रेलवे को इसके कर्मचारियों की 10,580 और बैंकों को 8,129 शिकायतें मिलीं.

(फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय सतर्कता आयोग की नवीनतम सालाना रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ प्राप्त कुल 1,15,203 शिकायतों में से 46,643 (41%) गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के ख़िलाफ़ थीं. इसके बाद रेलवे को इसके कर्मचारियों की 10,580 और बैंकों को 8,129 शिकायतें मिलीं.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की नवीनतम सालाना रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भ्रष्टाचार की सबसे अधिक शिकायतें केंद्रीय गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ मिलीं.

एनडीटीवी के अनुसार, रिपोर्ट बताती है कि इसके बाद सर्वाधिक शिकायतें रेलवे और बैंकों में काम करने वालों के खिलाफ थीं.

सीवीसी ने कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ प्राप्त कुल 1,15,203 शिकायतों में से 46,643 (41%) गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं.

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल गृह मंत्रालय को अपने कर्मचारियों के खिलाफ 46,643 शिकायतें मिलीं, जबकि रेलवे को 10,580 और बैंकों को 8,129 शिकायतें मिलीं.

ज्ञात हो कि सीवीसी एक शीर्ष भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी है जो केंद्र सरकार के संगठनों पर नजर रखती है. सीवीसी किसी भी केंद्रीय मंत्रालय द्वारा नियंत्रित नहीं है और केवल संसद के प्रति जवाबदेह है.

रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,15,203 शिकायतों में से 85,437 का निपटारा कर दिया गया और 29,766 लंबित थीं, जिनमें से 22,034 तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं.

इसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ कुल शिकायतों में से 23,919 का निपटारा कर दिया गया और 22,724 लंबित हैं – 19,198 तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं.

हाल ही में सार्वजनिक रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने 9,663 शिकायतों का निपटारा किया, जबकि 917 लंबित हैं , इनमें से नौ तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं. बैंकों ने भ्रष्टाचार की 7,762 शिकायतों का निपटारा किया, 367 लंबित थीं- जहां 78 तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ 7,370 शिकायतें मिली थीं. इनमें से 6,804 का निपटारा हुआ, 566 लंबित थीं, जहां तीन महीने से अधिक समय से लंबित शिकायतों की संख्या 18 थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 4,710 शिकायतें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सहित), दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, दिल्ली शहरी कला आयोग, हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड, आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड, एनबीसीसी और एनसीआर योजना बोर्ड के कर्मचारियों के खिलाफ थीं.

इनमें से 3,889 का निपटारा हुआ और 821 लंबित रहीं, जिनमें से 577 तीन महीने से अधिक समय से लंबित थीं.

सीवीसी की रिपोर्ट में कहती है कि 4,304 शिकायतें कोयला मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं (4,050 का निपटान हुआ), 4,236 शिकायतें श्रम मंत्रालय के खिलाफ थीं (4,016 का निपटारा किया गया) और 2,617 शिकायतें पेट्रोलियम मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं (2,409 का निपटारा किया गया).

इसी तरह केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के कर्मचारियों के खिलाफ 2,150, रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,619, दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ 1,308, वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,202 और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के कर्मचारियों के खिलाफ 1,101 शिकायतें थीं. )

सीवीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 987 शिकायतें बीमा कंपनियों में काम करने वालों के खिलाफ, 970 कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ और 923 इस्पात मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं.

सीवीसी ने कहा- सलाह का अनुपालन नहीं हुआ

रिपोर्ट के अनुसार, सीवीसी ने अपनी हालिया वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि उसकी सलाह से को या तो दरकिनार किया गया या अनुपालन नहीं हुआ.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सतर्कता आयोग के अधिकारक्षेत्र में आने वाले अधिकारियों के कुछ मामलों में, या तो आयोग के साथ निर्धारित परामर्श तंत्र का पालन नहीं किया गया, या संबंधित अधिकारियों ने आयोग की सलाह को स्वीकार नहीं किया. इसके अलावा, ऐसे उदाहरण भी हैं जहां आयोग द्वारा दी गई सलाह को मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार, उसकी सलाह पर पुनर्विचार के लिए आयोग से संपर्क किए बिना काफी हद तक कमजोर कर दिया गया.’

सीवीसी ने अपनी सलाह के साथ प्रक्रिया के अनुचित पालन के उदाहरण में कुछ दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में देरी होना बताया है.