महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के व्यापारियों ने दावा किया कि 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से प्याज उत्पादकों और इसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के नासिक में व्यापारियों ने बीते सोमवार (21 अगस्त) को कहा कि उन्होंने प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में जिले की सभी कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में अनिश्चितकाल के लिए इसकी नीलामी बंद करने का फैसला किया है.
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि फैसले के मद्देनजर 21 अगस्त को जिले के अधिकांश एपीएमसी में प्याज की नीलामी बंद रही, जिसमें भारत का सबसे बड़ा थोक प्याज बाजार लासलगांव भी शामिल है.
व्यापारियों ने दावा किया कि 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से प्याज उत्पादकों और इसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ की बैठक में रविवार (20 अगस्त) को नासिक में प्याज की नीलामी अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया, इसके अध्यक्ष खंडू देवरे ने सोमवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा, ‘यदि प्याज को एपीएमसी में लाया जाता है, क्योंकि निर्णय किसानों तक पहुंचने में समय लगेगा, तो उन प्याज की नीलामी की जाएगी और उसके बाद प्रक्रिया अनिश्चितकाल तक बंद रहेगी. किसानों के विभिन्न संगठनों के अनुरोध पर बैठक में यह भी निर्णय लिया गया.’
पड़ोसी नवी मुंबई में वाशी एपीएमसी के प्याज-आलू बाजार के अध्यक्ष संजय पिंगले ने केंद्र से प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.
पिंगले ने दावा किया कि सरकार के फैसले से राज्य में प्याज उत्पादकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘हम किसानों के दबाव में भी हैं, जो हमसे बाजार बंद करने और प्याज की बिक्री रोकने के लिए कह रहे हैं. कम से कम 10-15 संगठनों ने हमसे प्याज नहीं बेचने के लिए कहा है. आज पूरा नासिक जिला बंद (प्याज की नीलामी) है. आने वाले दिनों में स्थानीय बाजार भी बंद हो जाएंगे. एपीएमसी ने भी किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है.’
पिंगले ने कहा, ‘अगर हम सरकार को 40 प्रतिशत शुल्क का भुगतान करते हैं, तो प्याज की दर जो हम 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से निर्यात कर रहे थे वह घटकर 15 रुपये हो जाएगी. इस दर पर हम 10 रुपये में प्याज खरीदने के लिए मजबूर होंगे. जो एक किसान की उत्पादन लागत को भी कवर नहीं करेगा.’
उन्होंने दावा किया कि किसी एजेंसी ने (इस मुद्दे पर) केंद्र सरकार को ‘गलत रिपोर्ट’ दी है और प्याज के उत्पादन पर उर्वरकों पर खर्च, श्रम लागत आदि में वृद्धि पर ध्यान नहीं दिया है.
उन्होंने आगे दावा किया, ‘आज भी महाराष्ट्र में 80 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 70 प्रतिशत प्याज का स्टॉक बाकी है.’
उन्होंने आगे कहा कि कम बारिश के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज का अच्छा उत्पादन हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘अगर 10 साल पहले प्याज की कीमत 10 रुपये (प्रति किलोग्राम) थी और अब उत्पादन लागत पर विचार करने के बाद इसकी कीमत 17-18 रुपये है, तो बहुत अधिक वृद्धि नहीं हुई है. थोक बाजार में यह लगभग 25-30 रुपये और खुदरा बाजार में 35-40 रुपये है.’
पिंगले ने सरकार से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से प्याज उपलब्ध कराने का आग्रह किया, जैसा कि चावल और गेहूं के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि गरीब लोगों को सस्ती दर पर प्याज मिले, तो इसे पीडीएस के माध्यम से 2 से 10 रुपये (प्रति किलोग्राम) पर बेचें.’
उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र के फैसले के कारण प्याज के निर्यात में भारी गिरावट आएगी और पाकिस्तान, ईरान और मिस्र में किसानों के लिए अधिक आय की सुविधा होगी.
पिंगले ने यह भी आग्रह किया कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएं. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वे इस मुद्दे पर फैसला लेंगे, क्योंकि ‘हम किसानों के साथ रहना चाहते हैं’. उन्होंने कहा, ‘केंद्र को हितधारकों की बैठक बुलानी चाहिए और उसके बाद ही इस फैसले को लागू करना चाहिए.’