अमेरिकी अदालत ने 26/11 के आरोपी के भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाई

मई में एक अमेरिकी ज़िला अदालत ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के सिलसिले में वॉन्टेड पाकिस्तानी-कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राना के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. इसे राना ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में चुनौती दी थी.

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तहव्वुर राना. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मई में एक अमेरिकी ज़िला अदालत ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के सिलसिले में वॉन्टेड पाकिस्तानी-कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राना के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. इसे राना ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में चुनौती दी थी.

तहव्वुर राना. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एक अमेरिकी अदालत ने पाकिस्तानी-कनाडाई कारोबारी तहव्वुर राना की याचिका को अनुमति दे दी है, जिसमें उन्होंने अपनी अपील पर अंतिम फैसला होने तक उसके प्रत्यर्पण कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी. भारतीय अधिकारियों ने इसे सामान्य कानूनी प्रक्रिया बताया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, मई में एक अमेरिकी जिला अदालत ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के सिलसिले में वांछित 62 वर्षीय राना के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया था. वे प्रत्यर्पण के खिलाफ नाइंथ सर्किट कोर्ट पहुंचे थे.

सेंट्रल कैलिफोर्निया में अमेरिकी जिला अदालत के जिला न्यायाधीश डेल एस. फिशर ने 18 अगस्त को दिए आदेश में कहा कि राना के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग करने वाले ‘एकतरफा आवेदन’ को मंजूरी दे दी गई थी. अदालत ने पाया कि स्टे के लिए दी गई वजहें लंबित अपील पर स्टे के पक्ष में है. न्यायाधीश फिशर ने आदेश में कहा, ‘एकतरफा आवेदन मंजूर किया जाता है. राना के भारत प्रत्यर्पण पर यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइंथ सर्किट के समक्ष उनकी अपील के पूरा होने तक रोक लगाई जाती है.’

इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली में एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘यह एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया है कि जब तक नाइंथ सर्किट कोर्ट उसकी अपील पर सुनवाई नहीं होगी, तब तक उसके प्रत्यर्पण पर रोक रहेगी. इसका मतलब यह नहीं है कि उसका प्रत्यर्पण हमेशा के लिए रोक दिया गया है. यह भारत के लिए किसी तरह की नाकामयाबी नहीं है.’

अदालत ने राना को 10 अक्टूबर से पहले अपनी दलील पेश करने और अमेरिकी सरकार को 8 नवंबर तक अपना जवाब देने को कहा है.

सेंट्रल कैलिफोर्निया जिले के मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जैकलिन कूलजियन ने जिन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई थी, उसके लिए पर्याप्त सबूत का हवाला देते हुए मई में फैसला सुनाया कि राना को भारत में प्रत्यर्पित किया जा सकता है.

राना पर मुंबई में लक्षित जगहों की रेकी के लिए सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली की मदद करने और मुंबई में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमले, जिसमें 166 लोग मारे गए थे, की योजना बनाने का आरोप है.

अमेरिका में एफबीआई ने मुंबई और कोपेनहेगन सहित अमेरिका के बाहर आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने की साजिशों के लिए सामान आदि के जरिये सहायता देने के लिए राना को अक्टूबर 2009 में शिकागो में गिरफ्तार किया था. उन्हें 2013 में डेनमार्क में एक हत्या की साजिश में साथ देने का दोषी ठहराया गया था, जिसमें डेनिश अखबार मोर्नेविसेन युलेंस-पोस्तेन के कर्मचारियों का सिर काटना भी शामिल था.

जून 2020 में भारत ने राना के प्रत्यर्पण के लिए उसकी अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की. जो बिडेन प्रशासन ने इसका समर्थन किया था.

अमेरिकी अभियोजकों ने तर्क दिया कि राना को अपने बचपन के दोस्त हेडली के लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने के बारे में पता था. उन्होंने कहा था कि वह हेडली को सुरक्षा देकर आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों का समर्थन कर रहा था. उन्होंने कहा कि राना को हेडली की बैठकों, वहां क्या चर्चा हुई और हमलों की योजना के बारे में पता था.

अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राना साजिश का हिस्सा था और संभावित कारण है कि उसने आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने का बड़ा अपराध किया है.