विधानसभा चुनावों पर असहमति के बीच कांग्रेस, आप ने कहा- ‘इंडिया’ गठजोड़ राष्ट्रीय चुनाव के लिए

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों का ही कहना है कि 'इंडिया' गठबंधन हमेशा से स्पष्ट रहा है कि यह अगले साल आम चुनाव में भाजपा से मुक़ाबला करने के उद्देश्य से बना एक राष्ट्रीय गठबंधन है. कभी ऐसा नहीं कहा गया कि यह गठबंधन राज्य चुनावों के लिए भी रहेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: संबंधित फेसबुक पेज)

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों का ही कहना है कि ‘इंडिया’ गठबंधन हमेशा से स्पष्ट रहा है कि यह अगले साल आम चुनाव में भाजपा से मुक़ाबला करने के उद्देश्य से बना एक राष्ट्रीय गठबंधन है. कभी ऐसा नहीं कहा गया कि यह गठबंधन राज्य चुनावों के लिए भी रहेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (फोटो साभार: संबंधित फेसबुक पेज)

नई दिल्ली: मुंबई में ‘इंडिया’ गठबंधन की तीसरी बैठक से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच दरार की खबरों के बीच दोनों दलों ने कहा है कि यह गठबंधन 2024 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के उद्देश्य से बना ‘राष्ट्रीय मंच’ है.’

आप प्रवक्ता अक्षय मराठे ने द वायर  से कहा, ‘इंडिया’ गठबंधन हमेशा से स्पष्ट रहा है कि यह अगले साल आम चुनाव के लिए बना एक राष्ट्रीय स्तर का गठबंधन है. कभी ऐसा नहीं कहा गया कि यह गठबंधन राज्य चुनावों के लिए भी रहेगा.’

वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अंशुल अविजित ने द वायर  को बताया, ‘इंडिया’ गठबंधन मजबूत है. राज्य स्तर पर कई दल आमने-सामने होते हैं. कभी-कभी ग़लतफ़हमी हो जाती है, कुछ बातें कह दी जाती हैं, असहमति होती रहती है, लेकिन यह कोई असामान्य बात नहीं है. यह तब से चल रहा है जब से गठबंधन और सहयोगी दल बने हैं. यह ऐतिहासिक सत्य है.’

नए गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच दरार की सुगबुगाहट तब सामने आई जब दिल्ली कांग्रेस नेता अलका लांबा ने 16 अगस्त को एक पार्टी बैठक के बाद कहा कि कांग्रेस 2024 के आम चुनावों में राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस बयान पर आप की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया कि अगर वे दिल्ली में गठबंधन नहीं चाहते हैं तो ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में जाने का कोई मतलब नहीं है.

हालांकि, बाद में स्पष्टीकरण जारी किए गए और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि वह मुंबई में गठबंधन की बैठक में भाग लेंगे. उन्होंने 21 अगस्त को संवाददाताओं से कहा, ‘हम मुंबई जाएंगे और जो भी रणनीति होगी, आपको बताएंगे.’

इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की स्थिति की आलोचना करने के बाद केजरीवाल और कांग्रेस के पवन खेड़ा ने एक-दूसरे पर निशाना साधा था. ट्विटर पर एक बयान में खेड़ा ने उन्हें दिल्ली में कांग्रेस के प्रदर्शन और आप के प्रदर्शन के बीच तुलना पर बहस करने की चुनौती दी थी.

20 अगस्त को चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर निशाना साधा और लोगों से आप को वोट देने की अपील करते हुए कहा था, ‘हम यहां राष्ट्र-निर्माण के लिए आए हैं, पैसा कमाने के लिए नहीं. दिल्ली और पंजाब से पूछिए, लोग कह रहे हैं कि आप 50 साल तक सत्ता में रहेगी. हमें एक मौका दीजिए, मध्य प्रदेश, आप भाजपा और कांग्रेस सरकारों को भी भूल जाएंगे.’

‘इंडिया’ राष्ट्रीय गठबंधन है’

आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. तीनों ही राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं. पार्टी ने कहा है कि ‘इंडिया’ गठबंधन केवल राष्ट्रीय स्तर के चुनाव के लिए है.

मराठे ने कहा, ‘लोग इतने समझदार हैं कि वे राज्य के चुनाव के बीच अंतर देख सकते हैं, जहां मुद्दे बिजली, पानी, सड़क, नौकरियां हैं. वहीं राष्ट्रीय चुनाव के मुद्दे अर्थव्यवस्था, संविधान पर हमला, संघवाद आदि है. ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय चुनाव के लिए है. राज्य चुनावों के लिए आप के पास एक व्यवहार्य मॉडल है. अरविंद केजरीवाल मॉडल को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित पूरे देश में अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.’

कांग्रेस के अनुसार, अतीत में ‘इंडिया’ गठबंधन जैसे गठजोड़ों ने इसके साझेदारों के बीच असहमति और राजनीतिक कलह के बावजूद काम किया है. अविजीत कहते हैं, ‘हमारे पास 2004 के गठबंधन का एक अच्छा उदाहरण है जिसने काम किया था. तब एक स्थिर सरकार ने 8% से अधिक की वृद्धि हासिल की थी, मनरेगा सहित कई गरीब-समर्थक सुधार जो कोविड​​-19 महामारी के दौरान काम आए, कई दूरगामी सुधार किए गए, मजबूत विकास दर लाई गई और इससे कलह पर कोई असर नहीं पड़ा.’

उन्होंने कहा, ‘गठबंधन को जो चीज़ चलाती रहती है वह एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है. राजनीति चलती रहती है. आख़िरकार आप राजनीति में हैं, चीज़ों को ग़लत समझा जाता है और बातें कही जाती हैं – यह ठीक है. लेकिन इसका उस ठोस गठबंधन पर कोई असर नहीं है जो साथ आया है- एक भाजपा विरोधी गठबंधन- जो भाजपा के देश को विभाजित करने और अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के खिलाफ है.’

अविजित ने कहा कि लांबा ने जिस बैठक का जिक्र किया वह किसी भी तरह से ‘इंडिया’ गठबंधन के कामकाज के बारे में नहीं थी. ,उन्होंने जोड़ा, ‘हमारा ध्यान केंद्र में एक बहुत मजबूत भारतीय गठबंधन बनाने पर है, बाकी चीजों पर भी काम किया जाएगा. यह एक सतत प्रक्रिया है. जब आप एक साथ आते हैं, तो हमेशा इस पर लगातार काम करना होता है. यहां तक कि जिन बैठकों में ये टिप्पणियां की गईं, वे पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी, दिल्ली में उसके कार्यकर्ताओं के आकलन के लिए की हुई थीं; ‘इंडिया’ गठबंधन के बारे में नहीं.’

विधानसभा चुनावों में कोई ‘समझौता’ नहीं 

नाम न बताने की शर्त पर आम पार्टी के एक नेता ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन का मतलब यह नहीं है कि पार्टियों को विधानसभा या राज्य के चुनावों में समझौता करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यह कहना कि कांग्रेस और आप को राज्य चुनावों में समझौता करना चाहिए, मुझे नहीं लगता कि यह कभी भी ‘इंडिया’ गठबंधन का नतीजा होना था. तो दो तरह के राज्य हैं – वे राज्य जहां पहले से ही गठबंधन हैं, इसलिए यह उन पार्टियों पर निर्भर है कि वे कैसे आगे बढ़ेंगे. यह कल्पना नहीं की जा सकती कि ममता बनर्जी गठबंधन सहयोगी के रूप में कांग्रेस के साथ राज्य चुनाव लड़ रही हैं, या अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस राज्य के चुनावों के लिए गठबंधन कर रही हैं.’

नेता ने कहा, ‘यह गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है और इसीलिए सब साथ आए हैं और मुझे लगता है कि सभी पक्षों में इस बारे में एक स्पष्टता है.’

हालांकि, अविजीत ने कहा कि इस समय इसे लेकर किसी रणनीति का कयास नहीं लगाया जा सकता.

उन्होंने कहा, ‘यह एकता बीते कुछ महीनों में बनी है… और इसके तौर- तरीकों को लेकर काम  किया जा रहा है, जैसे हमेशा से होता आया है. भाजपा की राजनीति के खिलाफ एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पहले से ही है.’

क्या विधानसभा चुनावों में त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा की मदद करेगा? 

हालांकि, ऐसी चिंताएं भी जताई जा रही हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस, भाजपा और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबले से भाजपा को मदद मिल सकती है जैसा कि 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव में हुआ था. मराठे कहते हैं, ‘यह कहना ठीक नहीं है कि आप कांग्रेस के वोट काटती है. आप को सत्ता विरोधी वोट मिलते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘छत्तीसगढ़ या राजस्थान जैसे राज्य में जहां कांग्रेस सत्ता में है, आप उन लोगों के वोट लेगी जो सरकार से निराश हैं और जो भाजपा को सत्ता ने नहीं देखना चाहते हैं. इसलिए यह कहना कि आप केवल एक पार्टी का वोट लेती है, उचित नहीं है और सच भी नहीं है. अगर आप 2020 और 2015 में दिल्ली के चुनाव के आंकड़ों को देखें, तो वोट शेयर से पता चलता है कि हर पार्टी के समर्थकों ने आप को वोट दिया है.

दूसरी ओर, अविजीत ने कहा कि त्रिकोणीय लड़ाई का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि कांग्रेस तीनों राज्यों में जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा, ‘हम वहां जीत रहे हैं.’

सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के फेलो और अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग में विजिटिंग असिस्टेंट प्रोफेसर राहुल वर्मा ने कहते हैं कि जिन तीन राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं, वहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना नहीं है.

उन्होंने द वायर  से कहा, ‘मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं होगा. यह कांग्रेस और भाजपा के बीच की लड़ाई होगी. मुझे नहीं लगता कि आप को अभी तक कोई फायदा हुआ है. उनके पास 2-3% वोट हो सकते हैं, लेकिन इस समय ऐसा नहीं लगता कि आप के पास इसे त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोई क्षमता है.’

वर्मा ने कहा कि गुजरात में भले ही आप को कांग्रेस के वोटों से फायदा हुआ हो, लेकिन हर राज्य में कहानी अलग है.

वो कहते हैं, ‘छत्तीसगढ़ चुनाव के लिहाज़ से भाजपा के लिए एक मुश्किल राज्य है. आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने पर भी भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ जीतना आसान नहीं होगा. हर राज्य अलग है. पंजाब में आप की बड़ी मौजूदगी है. दिल्ली में कोई सांसद होने से पहले ही 2014 में आप के पहले चार सांसद पंजाब से आए थे. 2017 के पंजाब चुनाव में आप जीत के करीब पहुंच गई थी. 2022 में उनकी जीत आठ साल का नतीजा है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘हां, गुजरात में उन्हें कांग्रेस के वोट मिले. लेकिन कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो 25 साल से गुजरात में सत्ता में नहीं है, इसलिए कांग्रेस के मतदाताओं के मन में यह आना स्वाभाविक है कि चलो कुछ और ट्राई करते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों जगह कांग्रेस सत्ता में है. इसलिए मतदाताओं के लिए ऐसे तीसरे विकल्प के बारे में सोचना, जो सरकार नहीं बना सकता है, लेकिन सिर्फ खेल बिगाड़ने की भूमिका निभाएगा, असंभव है और आप  के लिए इन तीन राज्यों में कोई भूमिका निभाना मुश्किल है.’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)