शिया वक़्फ़ बोर्ड ने की अयोध्या में मंदिर और लखनऊ में मस्जिद बनाने की पेशकश

बोर्ड के समझौता प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू समाज की आस्था का सम्मान करते हुए शिया वक़्फ़ बोर्ड विवादित स्थल से अपना अधिकार ख़त्म करने को तैयार है.

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Ayodhya Babri Masjid PTI
(फाइल फोटो: पीटीआई)

बोर्ड के समझौता प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू समाज की आस्था का सम्मान करते हुए शिया वक़्फ़ बोर्ड विवादित स्थल से अपना अधिकार ख़त्म करने को तैयार है.

Ayodhya Babri Masjid PTI
(फाइल फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: अयोध्या विवाद के समाधान के लिए उच्चतम न्यायालय में समझौता प्रस्ताव पेश करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड ने सोमवार को इस दस्तावेज को सार्वजनिक किया. इसमें विवादित स्थल पर मंदिर बनाने और लखनऊ में मस्जिद बनाने की बात कही गई है.

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि द्वारा यहां प्रेस कांफ्रेंस में जारी इस चार पन्नों के समझौता प्रस्ताव में कहा गया है कि बोर्ड भारत में आपसी सद्भाव बनाए रखने की दृष्टि से समझौते के लिए राम मंदिर के पक्षकारों के समक्ष प्रस्ताव को प्रस्तुत कर रहा है.

एक रास्ता एकता की ओर शीर्षक वाले इस पांच सूत्रीय प्रस्ताव में कहा गया है कि 26 फरवरी 1944 को जारी एक अधिसूचना के तहत बाबरी मस्जिद को सुन्नी वक्फ मानते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड में पंजीकृत किया गया था. इस अधिसूचना को फैजाबाद की सिविल अदालत और उच्च न्यायालय ने भी अवैध माना है. इस कारण सुन्नी वक्फ बोर्ड का विवादित बाबरी मस्जिद पर कोई अधिकार नहीं है. वह मस्जिद शिया समुदाय की थी. लिहाजा इससे संबंधित प्रकरण में शिया वक्फ बोर्ड को पूर्ण रूप से निर्णय लेने का अधिकार है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू समाज की आस्था का सम्मान करते हुए शिया वक्फ बोर्ड उस विवादित स्थल से अपना अधिकार खत्म करने को तैयार है. हिंदू समाज को पूर्ण रूप से यह अधिकार होगा कि वह संबंधित पूरी जमीन पर अपनी आस्था के अनुसार भव्य मंदिर का निर्माण करे.

प्रस्ताव के अनुसार शिया वक्फ बोर्ड मंदिर-मस्जिद विवाद खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या से संबंधित धार्मिक परिक्रमाओं की सीमा से बाहर लखनऊ के हुसैनाबाद स्थित खाली पड़ी नुजूल की जमीन में से एक एकड़ जमीन शिया समाज के मुसलमानों के लिए नये मस्जिद बनाने के लिए आबंटित कर दे. बोर्ड एक समिति बनाकर मस्जिद निर्माण के लिए अपने स्तर से धन मुहैया कराएगा. इस मस्जिद का नाम मस्जिद-ए-अमन रखा जाएगा, ताकि पूरे देश में इस मस्जिद से भाईचारे और शांति का संदेश फैले.

उच्चतम न्यायालय में पिछली 18 नवंबर को दाखिल किए गए इस प्रस्ताव पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महन्त नरेंद्र गिरि, रामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास, पूर्व सांसद रामविलास वेदांती और निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास एवं कई अन्य धर्माचार्यों ने भी सहमति देते हुए दस्तखत किए हैं.

मालूम हो कि रिजवी अयोध्या विवाद का बातचीत के जरिये हल निकालने को लेकर इन दिनों खासे सक्रिय हैं. वह इस मामले में पहल करने वाले आर्ट आफ लिविंग संस्थापक श्री श्री रविशंकर से मुलाकात करने के लिए हाल में बेंगलूर भी गए थे.