राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडानी समूह की जांच रोकने का आरोप लगाया

अडानी समूह की ऑफशोर फंडिग को लेकर खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ओसीसीआरपी द्वारा प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय अख़बारों- द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और सरकार अडानी को क्यों बचा रहे हैं.

गुरुवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में समूह पर छपी ख़बरें दिखाते कांग्रेस सांसद राहुल गांधी. (फोटो साभार: INC.IN)

अडानी समूह की ऑफशोर फंडिग को लेकर खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ओसीसीआरपी द्वारा प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय अख़बारों- द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और सरकार अडानी को क्यों बचा रहे हैं.

गुरुवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में समूह पर छपी ख़बरें दिखाते कांग्रेस सांसद राहुल गांधी. (फोटो साभार: INC.IN)

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर अरबपति कारोबारी गौतम अडानी के साथ कथित संबंधों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा.

गुरुवार को वैश्विक मीडिया में प्रकाशित हुईं इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट्स के बाद अडानी समूह एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. इन ख़बरों में उनके समूह को मिलने वाली ऑफशोर फंडिंग का विवरण दिया गया है, जो कथित तौर पर अडानी परिवार से जुड़े लोगों द्वारा भारतीय नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की दो दिवसीय बैठक के लिए मुंबई में मौजूद राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर अडानी और उनकी कंपनी को बचाने का आरोप लगाया. उन्होंने अडानी समूह की संयुक्त संसदीय जांच (जेपीसी) की मांग फिर से दोहराई. नए आरोपों को प्रकाशित करने वाले दो अख़बारों की सुर्खियां पढ़ते हुए राहुल गांधी ने सवाल किया कि केंद्र सरकार और मोदी अडानी और उनके भाई विनोद अडानी के खिलाफ इन ‘गंभीर आरोपों’ की जांच करने से ‘क्यों कतरा रहे’ हैं.

मालूम हो कि खोजी पत्रकारों के नेटवर्क ओसीसीआरपी के पत्रकारों द्वारा प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय अख़बारों- द गार्जियन और फाइनेंशियल टाइम्स के साथ साझा किए गए दस्तावेज़ बताते हैं कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह में आने वाले जिन ‘मॉरीशस के निवेश फंड्स’ ज़िक्र किया गया था, उनके तार अडानी समूह से ही जुड़े हैं. रिपोर्ट कहती हैं कि अडानी परिवार के साझेदारों ने भारतीय नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने ही समूह के शेयरों में निवेश करने के लिए ‘मॉरीशस के जरिये अपारदर्शी फंड’ का इस्तेमाल किया.

अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है.

राहुल ने कहा, ‘अख़बारों की हालिया पड़ताल में दो व्यक्तियों की पहचान की गई है- संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शाबान अहली और ताइवान के चांग चुंग-लिंग…  दोनों विदेशी नागरिक हैं. उन्हें ऐसा कर पाने की अनुमति क्यों है? अडानी की कंपनी भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, हवाई अड्डों, बंदरगाहों को संभालती है. ये दोनों विदेशी नागरिक, विशेषकर एक चीनी व्यक्ति, यहां क्या कर रहे हैं?’

राहुल गांधी ने कहा कि जब विदेशी नेता जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आते हैं, तो उनमें वे जो सबसे प्रासंगिक सवाल पूछ सकते हैं वो है कि मोदी जी की अडानी को ‘बचाने’ की क्या वजह है. ‘उन्हें पूछना चाहिए कि हमारे प्रधानमंत्री अडानी को क्यों बचा रहे हैं. यह विशेष कंपनी क्या है और इसे भारत में खुली छूट क्यों मिल रही है?’

उन्होंने जोड़ा, ‘एक सेबी [बाजार नियामक] अधिकारी, जो अडानी की कंपनी की जांच के प्रभारी थे, वो आज एनडीटीवी के निदेशक हैं, जो एक मीडिया चैनल है, जिसके मालिक अडानी हैं.’

राहुल गांधी का इशारा उपेंद्र कुमार सिन्हा के बारे में था, जो 2014 में सेबी के प्रमुख थे, जब द गार्जियन के अनुसार, उन्हें ‘बताया गया था कि [अडानी से जुड़ा] पैसा निवेश-विनिवेश के रूप में भारत के शेयर बाजारों में पहुंच गया है.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘… यह सामग्री सिन्हा को इसलिए भेजी थी क्योंकि सेबी ‘शेयर बाजार में अडानी समूह की कंपनियों के लेनदेन की जांच कर रहा था. हालांकि, नियामक के लिए काम करने वाले एक सूत्र ने बताया कि कुछ महीनों बाद मई 2014 में मोदी के चुने जाने के बाद सेबी की दिलचस्पी गायब हो गई.’

उल्लेखनीय है कि अडानी समूह ने एनडीटीवी का स्वामित्व मिलने के बाद सिन्हा को इस साल मार्च में एनडीटीवी के स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया था.

राहुल गांधी ने आगे कहा, ‘हिंदुस्तान की साख दांव पर लगी है… यहां समान अवसर नहीं है. यहां अडानी जो चाहे वो खरीद सकते हैं, चाहे वो धारावी परियोजना हो या कोई हवाई अड्डा, सीमेंट कंपनी हो, डिफेंस कंपनी हो…  अडानी देश में किसी भी चीज़ पर आसानी से कब्ज़ा कर सकता है. एक आदमी अपनी इच्छानुसार कोई भी संपत्ति खरीदने में सक्षम है. उन पर गलत काम करने का आरोप है. एक अरब डॉलर निश्चित तौर पर संदिग्ध माध्यमों से भारत से बाहर ले जाया गया है और वापस भारत लाया गया है और प्रधानमंत्री यह पता लगाना चाहिए कि किसका पैसा है…’

सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र के बारे में उन्होंने जोड़ा, ‘जब भी मैं अडानी जी के बारे में बोलता हूं, मोदी जी बेचैन हो जाते हैं. पिछली बार जब मैंने बोला था तो मेरी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. जब पार्टी घबरा जाती है, तो वह ऐसे कदम उठाती है.’

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद विपक्ष ने अडानी समूह पर लगे आरोपों की संयुक्त संसदीय जांच की मांग की. हालांकि सरकार ने इस पर चर्चा नहीं की, लेकिन संसद में यह मुद्दा उठाने के तुरंत बाद गांधी को मानहानि के मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें अधिकतम सजा मिली, जिसके कारण उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया.

हालांकि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी और उनकी लोकसभा सदस्यता भी बहाल कर दी गई है.

उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘मैं यह मुद्दा सिर्फ इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि यह हमारे देश की प्रतिष्ठा के बारे में है. हम पीएम से केवल अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच की घोषणा करने के लिए कह रहे हैं.’

विपक्षी दलों ने भी ताजा आरोपों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है. माकपा ने कहा है कि अख़बारों की रिपोर्ट ‘इस बात की याद दिलाती है कि प्रधानमंत्री अपने भ्रष्ट दोस्तों और उनके कुकर्मों को बचाने के लिए किस हद तक जा चुके हैं. भारत की नियामक और जाँच एजेंसियां किसी काम की नहीं हैं.

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